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झुंझुनूं में बीडीके अस्पताल से निकाली गई जागरूकता रैली:PMO डॉ. जितेन्द्र भाम्बू ने दिखाई हरी झंडी, नर्सिंग विद्यार्थियों ने किया नशा मुक्ति का आह्वान


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झुंझुनूं में बीडीके अस्पताल से निकाली गई जागरूकता रैली:PMO डॉ. जितेन्द्र भाम्बू ने दिखाई हरी झंडी, नर्सिंग विद्यार्थियों ने किया नशा मुक्ति का आह्वान

झुंझुनूं में बीडीके अस्पताल से निकाली गई जागरूकता रैली:PMO डॉ. जितेन्द्र भाम्बू ने दिखाई हरी झंडी, नर्सिंग विद्यार्थियों ने किया नशा मुक्ति का आह्वान

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका

झुंझुनूं : नशामुक्त भारत अभियान को जन-जन तक पहुंचाने और समाज में व्याप्त नशे की बुराई को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से बीडीके अस्पताल झुंझुनूं की ओर से सोमवार को शहर में जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस रैली की शुरुआत अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ) डॉ. जितेन्द्र भाम्बू ने हरी झंडी दिखाकर की।

रैली में बीडीके अस्पताल के नर्सिंग और मेडिकल विद्यार्थियों ने भाग लिया। रैली का मार्ग शहर के प्रमुख स्थानों- कलेक्ट्रेट परिसर, रोडवेज बस स्टैंड, नगर परिषद क्षेत्र और प्रमुख बाजारों से होकर गुजरा। इस दौरान विद्यार्थियों ने हाथों में तख्तियां, पोस्टर और बैनर लेकर “नशा छोड़ो – जीवन से नाता जोड़ो”, “नशा जीवन का शत्रु है”, “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन बसता है” जैसे नारों के साथ आमजन को जागरूक किया।

पूरे परिवार को बर्बाद करता है नशा

डॉ. जितेन्द्र ने बताया कि नशा केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरे परिवार को बर्बादी की ओर ले जाता है। यह सामाजिक, मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से व्यक्ति को कमजोर बना देता है। नशे के कारण व्यक्ति गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाता है और कई बार समय से पहले मौत का शिकार भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि नशा करने वाला व्यक्ति न केवल अपनी सेहत खोता है, बल्कि उसका पारिवारिक और सामाजिक जीवन भी संकट में पड़ जाता है। अनेक घर नशे की वजह से उजड़ चुके हैं।

युवा निभाएं सक्रिय भूमिका

डॉ. भाम्बू ने अपील की कि युवाओं को नशे से दूर रहना चाहिए और समाज को इस बुराई से मुक्त करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। रैली में भाग ले रहे विद्यार्थियों ने बताया कि नशा एक सामाजिक अभिशाप है, जो देश के युवाओं को गुमराह कर रहा है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो इसका दुष्परिणाम भविष्य की पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। इसीलिए नशे के खिलाफ यह अभियान सिर्फ एक दिन का नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे निरंतर चलाकर जन-जागरूकता को बढ़ाना होगा।

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