माहे रमजान में बच्चे भी रोजा रख कर खुशी महसूस करते हैं बच्चों ने रखा रोजा
माहे रमजान में बच्चे भी रोजा रख कर खुशी महसूस करते हैं बच्चों ने रखा रोजा

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर माहे रमजान में छोटे बच्चों के लिए रोज़ा रखना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुभव हो सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि वे स्वस्थ और सुरक्षित रहें। इस्लाम में बच्चों को रोज़ा रखने की उम्र आमतौर पर 7 साल मानी जाती है, लेकिन यह उम्र बच्चे की शारीरिक और मानसिक परिपक्वता पर निर्भर करती है। कुछ छोटे बच्चे जो रोजा रख रहे हैं उन्होंने बताया कि 1. इकरा खान पुत्रीआरिफ खान उम्र 8 वर्ष रतन नगर चुरु ने कहा कि मैंने पहली बार रोजा रखा है। जब मैं घर में सभी को रोजा रखते हुए देखती तो मेरी इच्छा कि मैंने रोजा रखा मुझे अच्छा लगा लेकिन दिन भर भूख और प्यार से काफी तकलीफ महसूस हुई लेकिन मैं रोजा रख कर खुश हूं। 2.समर नागोरी पुत्री तारीक नागोरी उमर 8 वर्ष वार्ड नंबर 14 चूरू ने कहा छोटे बच्चों के लिए रोज़ा रखना मुश्किल होता है लेकिन अल्लाह की रज्जा के लिए हम भी बड़ों के साथ रोजा रखना चाहते हैं घर के बड़ों ने मना किया लेकिन हमने जीद की ओर अल्लाह ने हमें सब्र दिया है। 3. सैयद सलीम कादरी पुत्र सैयद अबरार अहमद उम्र 10 वर्ष वार्ड संख्या 28 चूरू ने कहा रोजा हम हमारी इच्छा से रखते हैं अल्लाह हमें हिम्मत और ताकत देता है हम रोजा रखकर खुश हैं। 4. मोहम्मद अशरफ खान पुत्र आबिद खान मंसूर उम्र 11 वर्ष वन विहार कॉलोनी चूरू ने बताया कि घर पर सभी को रोजा रखते हुए देखते हैं ओर हमारे साथ वाले बच्चे भी रोजा रखते हैं और जब हम शाम को रोजा इफ्तार में एक साथ बैठकर रोजा खोलते हैं तो हमें खुशी महसूस होती है। और अल्लाह हमें रोजा रखने की ताकत प्रदान करता है। बच्चों को रोज़ा के महत्व के बारे में शिक्षित करें: और इसके धार्मिक और नैतिक मूल्यों के बारे में जानकारी देवें और बच्चे स्वस्थ हो तभी रोजा रखने कि सालाह देवे।



