राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना दूसरे दिन भी रहा जारी
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना दूसरे दिन भी रहा जारी

अजमेर : केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान में प्रदर्शन का दूसरा दिन रहा, जिसमें विश्वविद्यालय के लगभग सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों ने भाग लिया और विश्वविद्यालय के कुलपति एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि थी, इसीलिए इस शांतिपूर्ण धरने की शुरुआत 2 मिनट के मौन से हुई। धरने पर उपस्थित सभी सदस्यों ने महात्मा गांधी के सिद्धांतों एवं अहिंसात्मक मार्ग का अनुकरण करने का संकल्प लिया। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक पदों पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त शिक्षाविद एवं उत्कृष्ट अनुसंधान के द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले सभी योग्य जन विश्वविद्यालय के कुलपति के गलत निर्णयों एवं दमनकारी नीतियों के कारण अवसाद एवं तनाव में है। इस प्रकार के तनाव पूर्ण माहौल में विश्वविद्यालय न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि अनुसंधान में भी पिछड़ता जा रहा है। पिछले 1 वर्ष से बार-बार कुलपति के संज्ञान में यह मामला लाया गया कि शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक पदों पर कार्यरत लोगों को अनर्गल कार्यो में न लगाया जाए, तथा समयानुसार पदोन्नति देकर उनका मनोबल बढ़ाया जाए। बावजूद इसके कुलपति एवं प्रशासन द्वारा विभिन्न माध्यमों से शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का शोषण और दमन किया गया।
इसी क्रम में वर्तमान में सिंहा को यूनिवर्सिटी से निकलने का आदेश कुलपति ने दिया। इस कार्य के स्पष्टीकरण के लिए कुलपति ने कार्यकारी परिषद् को भी प्रेरित किया। यहां यह बताना उचित होगा कि भारत सरकार की विभिन्न कमेटियों ने इसी कार्यकारी परिषद को वैधानिक नहीं माना है तथा उनके द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को अमान्य करार देने का यूनिवर्सिटी को आदेश दे रखा है। उच्च स्तरीय कमेटियों द्वारा इस तरह के आदेशों पर भी प्रशासन मौन ही नहीं अपितु उनके निर्णयों की मान्यता को भी सिद्ध करने पर तुला हुआ है।
आज दूसरे दिन के प्रदर्शन में विभिन्न प्रोफेसर्स ने कुलपति की दमनकारी नीतियों का पुरजोर विरोध किया तथा विकास सिन्हा के समर्थन में जमीन पर बैठकर ही भोजन किया। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि जब तक कुलपति की दमनकारी नीतियों का निस्तारण नहीं हो जाता, तब तक इस प्रदर्शन को जारी रखा जाएगा।
सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक अधिकारियों ने विश्वविद्यालय के मुख्य गेट नंबर 1 पर सर्व समिति से धरना जारी रख रखा है। इस प्रदर्शन का अन्य कई विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक संगठनों ने भी समर्थन किया है तथा भविष्य में यह बड़ा स्वरूप ले सकता है। सिंहा, जो 7 माह की गर्भवती है; वह भी अपने पति के साथ हुए अन्याय के विरुद्ध प्रदर्शन में उपस्थिति रही।