मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल सम्बल योजना के तहत दुर्लभ बीमारियों से मिलेगी राहत
मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल सम्बल योजना के तहत दुर्लभ बीमारियों से मिलेगी राहत
जनमानस शेखावाटी सवंददाता : मोहम्मद आरिफ चंदेल
झुंझुनूं : राज्य में दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा ‘‘ मुख्यमंत्री आयुष्मान बाल सम्बल योजना‘‘ का शुभारम्भ किया जा चुका है। योजनान्तर्गत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रलय, भारत सरकार की दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध 56 दुर्लभ बीमारी (टाइरोसीनीमिया, यूरिया चक्र विकार, लारोन सिंड्रोम, मैनोसिडोसिस, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी, पॉम्पे रोग, टर्नर सिंड्रोम, विल्सन रोग इत्यादि) से पीड़ित 0-18 वर्ष तक की आयु के बच्चों को प्रमाणीकरण के आधार पर 50 लाख रूपए तक का निः6ाुल्क ईलाज एवं 5 हजार रूपए प्रतिमाह आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है। योजनान्तर्गत आवेदक द्वारा बालक/बालिका के दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने की स्थिति में जनाधार नम्बर से ई-मितर्् अथवा स्वयं की एस.एस.ओ. आईडी से बायोमैट्रिक, ओटीपी के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जावेगा। आवेदनकर्ता एवं बालक/बालिका की सामान्य/पारिवारिक जानकारी आधार एवं जनाधार पोर्टल से प्राप्त की जावेगी एवं जो वांछित सूचना/दस्तावेज पोर्टल से प्रमाणित/उपलब्ध नहीं होंगे, को पोर्टल पर अपलोड करवाना होगा। योजनान्तर्गत आवेदन करने हेतु आवेदक राजस्थान का मूल निवासी हो अथवा तीन वर्ष से अधिक समय से राज्य में निवासरत हो, का प्रमाण-पतर््। दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बालक/बालिका के माता-पिता/पालनकर्ता के लिए आय सीमा लागू नहीं होगी। पालनकर्ता द्वारा स्वयं एवं बालक/बालिका के जीवित होने का वार्षिक सत्यापन प्रतिवर्ष माह नवम्बर-दिसम्बर में ई-मितर्् अथवा ब्लॉक/जिला कार्यालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से करवाना अनिवार्य होगा।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक डॉ. पवन पूनियां ने बताया कि योजनान्तर्गत ऎसे पालनकर्ता/बालक/बालिका जिनके अंगुलियों के बायोमैट्रिक नहीं आने/होने अथवा आधार में दर्ज मोबाईल नंबर बंद/उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी/अधिकृत अधिकारी/विभागीय जिलाधिकारी के स्वयं के मोबाईल नंबर पर ओटीपी प्राप्त कर वार्षिक सत्यापन किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त यदि पालनकर्ता द्वारा माह नवम्बर-दिसम्बर में पीडीएस/रा6ान बायोमेट्रिक/ओटीपी प्रमाणीकरण करवा लिया गया है एवं एपीआई से इसकी सूचना पोर्टल पर प्राप्त हो जाती है तथा पीडित बालक/बालिका द्वारा विगत 3 माह में एक बार प्राधिकृत चिकित्सा संस्थान(एम्स जोधपुर अथवा जे.के. लोन हॉस्पिटल जयपुर) में ओपीडी/आईपीडी की सेवा ली गयी हो एवं संबंधित चिकित्सक के द्वारा पोर्टल पर प्रिस्कि्रप्6ान/डिस्चार्ज रिपोर्ट अद्यतन किए जाने की स्थिति में पृथक से बायोमेट्रिक/ओटोपी प्रमाणीकरण की आव6यकता नहीं होगी।