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जानें झुंझुनूं में कब और क्यों आ रही है काजल हिन्दुस्तानी, लोग बोलते हैं गुजरात की शेरनी


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जानें झुंझुनूं में कब और क्यों आ रही है काजल हिन्दुस्तानी, लोग बोलते हैं गुजरात की शेरनी

झुंझुनूं के केशव आदर्श विद्या मंदिर में इक्कीस दिसंबर को दोपहर साढ़े बारह बजे से मातृ शक्ति सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।

झुंझुनूं : अहिल्या बाई होलकर के त्रिशताब्दी समारोह के तहत राजस्थान के झुंझुनूं के केशव आदर्श विद्या मंदिर में इक्कीस दिसंबर 2024 को दोपहर साढ़े बारह बजे से मातृ शक्ति सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। संघचालक मानसिंह ने बताया कि सम्मेलन की मुख्य वक्ता काजल हिंदुस्तानी होंगी। गुजरात के जामनगर की रहने वालीं काजल हिंदुस्तानी का असली नाम काजल सिंहला है।वे उद्यमी, रिसर्च एनालिस्ट, सोशल एक्टिविस्ट और नेशनलिस्ट हैं ।वे कहती हैं कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है। ट्विटर पर उनके लगभग एक लाख फॉलोअर्स हैं। कई लोग उनको गुजरात की शेरनी के नाम से भी पुकारते हैं।

जिला कार्यवाह योगेंद्र सिंह ने बताया कि इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रमों में होलकर के जीवन चरित्र के बारे में बताया जाएगा। आयोजन समिति के मनीष अग्रवाल ने बताया कि खास बात यह है कि पूरे कार्यक्रम का संचालन महिलाओं की ओर से किया जाएगा। इसका रिहर्सल भी शुरू हो गया है। भारत विकास परिषद की मीना आर्य ने बताया कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर को लोक माता की उपाधि प्राप्त थी । अहिल्याबाई को पुण्य श्लोक भी कहा गया है क्योंकि उनका संपूर्ण जीवन पवित्र चरित्र युक्त तथा लोकोपकारी कार्यों से युक्त, धार्मिक कार्यों से परिपूर्ण था ।

जानें कौन थी अहिल्या बाई होलकर

सीमा जांगिड़ ने बताया कि अहिल्याबाई होल्कर का जन्म वर्ष 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव जामखेड़, अहमदनगर में हुआ था। वह एक सामान्य से किसान मान्कोजीशिन्दे की एकलौती संतान थीं। वह भगवान शिव की भक्त थीं । इतिहासकार ई.मार्सडेन के अनुसार साधारण शिक्षित अहिल्याबाई 10 वर्ष की अल्पायु में ही मालवा में होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव के साथ परिणय सूत्र में बंध गई थीं। सीमा जांगिड़ ने बताया कि पति व ससुर के निधन के बाद अहिल्याबाई होल्कर शासन की बागडोर संभालनी पड़ी। नर्मदा तट पर स्थित महेश्वर के किले में उन्होंने अंतिम सांस ली। होल्कर ने देश के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बंधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-सुधरवाए, भूखों के लिए अन्नसत्र(अन्यक्षेत्र) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ शुरू करवाई।

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