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जाति व धर्म की और बढ़ा चुनावी प्रचार


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जाति व धर्म की और बढ़ा चुनावी प्रचार

जाति व धर्म की और बढ़ा चुनावी प्रचार

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं विधानसभा में आगामी 13 नवम्बर को मतदान होगा । यहां उपचुनाव होने का कारण विधायक बृजेन्द्र ओला का सांसद बनना है । कांग्रेस से वही चिर परिचित चेहरा ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी अमित ओला को उम्मीदवार बनाया है वहीं भाजपा ने पिछली बार के बागी उम्मीदवार राजेंद्र भांभू पर दांव खेला है । इसके साथ ही पूर्व विधायक व मंत्री जो लाल डायरी को लेकर पूरे देश में चर्चित रहे राजेन्द्र गुढा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मुकाबले को त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में अपनी पूरी ताकत झौंक दी है । इस उपचुनाव में झुंझुनूं के विकास व जनहित के मुद्दों से किसी भी उम्मीदवार को सरोकार नहीं है । यह उपचुनाव केवल जाति व धर्म के चक्रव्यूह में फंस कर रह गया है ।‌ धर्म की बात करें तो मुस्लिम समुदाय झुंझुनूं में हार जीत को लेकर अहम भूमिका निभाता रहा है । स्वर्गीय शीशराम ओला जिनका जिले के कद्दावर नेताओ मे शुमार रहा है इसी वोट बैंक को लेकर एक छत्र राज करते रहे तत्पश्चात उनकी विरासत को आगे बढ़ाया बृजेन्द्र ओला ने । ओला परिवार की बात करें तो उन्होंने जिले में साफ सुथरी राजनीति की तभी उनका वर्चस्व इस जिले पर रहा था । लेकिन इस बार मुस्लिम समुदाय मुखर होकर ओला परिवार का विरोध कर रहा है । यहां तक इस विरोध को उग्र करने के लिए मुस्लिम धर्म गुरू मैदान में आ गये है और उन्होंने फतवा जारी करते हुए मतदान राजेन्द्र गुढा के पक्ष में करने की अपील की है । लगता है मुस्लिम समाज भी दो धड़ों में बंटा हुआ है । अब सवाल उठता है कि मुस्लिम समाज अपने धर्म गुरू के फतवे को कितना तब्बजो देते हैं क्योंकि अमित ओला के राजनीतिक भविष्य इसी समुदाय के वोटो पर टिका हुआ है ।

भाजपा की बात करें तो उन्होंने जाट बाहुल्य क्षेत्र मानकर राजेन्द्र भांभू जो पिछली बार बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर करीब 42 हजार वोट प्राप्त किये थे उन पर दांव खेला है । भाजपा का मानना है कि 42 हजार वोट भांभू के होने के साथ ही भाजपा के परम्परागत वोट भी भांभू को मिलेंगे । इसी बात को लेकर सट्टा बाजार ने भांभू के भाव 15 से 20 पैसे कर रखे हैं जो कि निश्चित जीत लगती है । विदित हो सूरजगढ़ से दिगम्बर सिंह 5 पैसे के भाव में चुनाव हार गये थे और उस समय भी पूरा मंत्रिमंडल सूरजगढ़ में था जैसा कि इन उपचुनावो में हो रहा है भाजपा ने पूरा मंत्रिमंडल के साथ ही विधायकों को भी चुनावी समर में झौंक दिया है । लेकिन जाट समुदाय के वोट दो जाट उम्मीदवार होने से बंट जाते हैं । इसके साथ ही भीतरघात को देखते हुए भांभू की राह आसान नजर नहीं आ रही है । निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र गुढा जो लाल डायरी से लेकर पाकिस्तान जिंदाबाद तक के बयानो से सुर्खियों में रहने के साथ ही पिछले तीन महीने से धरातल पर सक्रिय हैं । धरना, प्रदर्शन से लेकर पुलिस से उलझते हुए देखे गये है और जातिगत टिप्पणी को लेकर अन्य जातियों की सहानुभूति बटोरने की का कोशिश भी करते नजर आये है । राजपूत वोटो के साथ ही दलित वर्ग के वोटो की आस लगायें बैठे हैं व मुस्लिम समुदाय के वोटो में भी सेंधमारी करने की कोशिश कर रहे हैं । उनके इस समीकरण से दोनों राजनीतिक दलों को नुक्सान नजर आ रहा है यही कारण है कि राजनीतिक विश्लेषक इस चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबला मान रहे हैं ।

उक्त तथ्यों को देखें तो किसी भी उम्मीदवार के पास झुंझुनूं के विकास का रोड मैप नहीं है सभी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के साथ ही जाति व धर्म पर आधारित राजनीति करते नजर आ रहे हैं ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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