झुंझुनूं : झुंझुनूं नगर परिषद यूं तो लंबे समय से ही चर्चा में रही है। कुछ समय पहले झुंझुनूं नगर परिषद तत्कालीन आयुक्त अनिता खीचड़ को फील्ड पोस्टिंग देने और झुंझुनूं में उनका सातवां कार्यकाल को लेकर लगातार सुर्खियों में बनी थी। वहीं तबादलों की लिस्ट आने के बाद जिस तरह से घटनाक्रम घटित हुआ अब लोगों में चर्चा चली हुई है कि इस बार तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त अनिता खीचड़ को झुंझुनूं से किरकिरी करवा कर केकड़ी गई है।
दरअसल आपकी जानकारी के लिए बता दें की तबादला सूची आने के बाद में झुंझुनूं नगर परिषद सभापति नगमा बानो के परिवार की एक बिल्डिंग पर कार्रवाई करने के लिए अपनी टीम को लेकर पहुंच गई थी और घंटो तक वहां पर विरोध झेलने के बाद उन्हें बैरग वापस लौटना पड़ा।
नगर परिषद की एक महिला कर्मचारी को भी उनके कोप का शिकार होना पड़ा उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने सभापति द्वारा दिए गए आयुक्त के रिलीव लेटर को डिस्पैच कर दिया था और आयुक्त ने आवेश में आकर उनको निलंबित कर दिया था। जिसके बाद झुंझुनूं नगर परिषद के कर्मचारी आक्रोशित हो गए और उन्होंने कार्य बहिष्कार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
कल झुंझुनूं नगर परिषद के नवागत आयुक्त मुकेश कुमार ने कार्यभार भी संभाल लिया और उसके बाद सस्पेंड की गई महिला कर्मचारी को उन्होंने बहाल भी कर दिया। इसके बाद से सोशल मीडिया पर और लोगों पर लगातार यह चर्चा चल रही है कि झुंझुनूं से इस बार सभापति के बिल्डिंग पर कार्रवाई और महिला कार्मिक को सस्पेंड करने के मामले में मुंह की ही खानी पड़ी है और किरकरी होने के बाद उन्हें केकड़ी भी जाना पड़ा। वही आपको बता दे कि उनका तबादला सूची में नाम आने पर लोगों द्वारा यह भी सोशल मीडिया पर कयास लगाए जा रहे थे कि कुछ ही दिनों बाद वापस वह झुंझुनूं लौट आएंगी क्योंकि ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है।
झुंझुनूं में जिस प्रकार से उनको लेकर विरोध था और कांग्रेस सरकार में भाजपाइयों ने उनको भ्रष्टाचार की देवी का तमगा भी दे दिया था और अपनी सरकार आने पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई तक करने की बात कह डाली थी लेकिन सरकार आने के बाद यह भाजपाई भी शांत हो गए थे जिसके चलते लोग अपने को ठगा सा महसूस करने लगे। लगातार जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा था।
वहीं सूत्रों की माने तो तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त अनीता झुंझुनूं से जाना नहीं चाहती थी जिसके चलते ही उनको सभापति द्वारा रिलीव करना नागवार गुजरा क्योंकि उन्हें पता था कि जल्दी ही आचार संहिता लगने वाली है और इस दौरान वह यहाँ से रिलीव नहीं होती है तो उसके बाद उन्हें बाहर नहीं जाना पड़ेगा लेकिन नगर परिषद सभापति ने फुर्ती दिखाते हुए उनको रिलीव कर दिया। हालांकि इसके चलते उनके परिवार पर बिल्डिंग पर कार्रवाई करने के मामला हो चाहे महिला कार्मिक को सस्पेंड करने का मामला हो उनके कोप का सामना भी करना पड़ा लेकिन अंतत: उनका मुंह की ही खानी पड़ी और संभावित ऐसा पहला अवसर होगा कि काफी किरकरी होने के बाद उन्हें झुंझुनूं से रुखसत भी होना पड़ा। वही अब उन्हें एक बार फिर कभी झुंझुनूं लगाया जाता है तो यह राजनीतिक लोगों की ही हार होगी क्योंकि यहां की जनता में उनको लेकर अच्छा खासा आक्रोश पनप चुका है और जाते-जाते जिस प्रकार से उन्होंने कर्मचारियों के साथ कथित व्यवहार किया सारे कर्मचारी भी उनके विरोध में आकर खड़े हो गए।