राजस्थान में ‘मौत’ बनकर दौड़ रहे हैं डंपर:किसी का सुहाग उजाड़ा, कहीं मां ने उठाए बेटी के शव के टुकड़े; 5 शहरों से रिपोर्ट
राजस्थान में 'मौत' बनकर दौड़ रहे हैं डंपर:किसी का सुहाग उजाड़ा, कहीं मां ने उठाए बेटी के शव के टुकड़े; 5 शहरों से रिपोर्ट

सड़को पर दौड़ती ‘मौत’ : दौसा जिले के लालसोट में 6 अक्टूबर को एक बेकाबू डंपर ने पांच लोगों को कुचल दिया। हादसे के बाद भीड़ ने ओवरलोड डंपरों पर रोक की मांग के लिए जाम लगा दिया। पुलिस ने समझाइश की और कार्रवाई का भरोसा दिया, लेकिन क्या 5 मौतों, लोगों के गुस्से और पुलिस के भरोसे के बाद सड़कों पर मौत बनकर दौड़ रहे ओवरलोड डंपर रुकेंगे?
जवाब है…नहीं।
हमें ये जवाब उन इलाकों की पड़ताल करने के बाद मिला, जहां सबसे ज्यादा डंपर दौड़ते हैं। पिछले 6 दिन में हमारे रिपोर्टर नीमकाथाना, कोटपूतली, उदयपुरवाटी, खेतड़ी और पाटन पहुंचे।
हमारी टीम उन लोगों से भी मिली, जिन्होंने डंपर से हुए हादसों में अपनों को खो दिया। उनसे भी मिले जो डंपरों के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं। सामने आया कि हर हादसे और हर प्रदर्शन के बाद प्रशासन और पुलिस केवल झूठे आश्वासन देती है।
पहले इन हादसों पर गौर कीजिए-




ये हादसे अलग-अलग हैं, लेकिन कारण सिर्फ एक, इन शहरों में 24 घंटे तेज रफ्तार से दौड़ते ओवरलोड डंपर। इन हादसों के बावजूद इन डंपरों पर कहीं कोई रोक-टोक नहीं है। प्रशासन और पुलिस ने लोगों के आक्रोश के बाद एक दो दिन सख्ती दिखाई, लेकिन फिर ये ओवरलोड डंपर सड़कों पर मौत बनकर दौड़ने लगे।

नीमकाथाना: शहर के बीचों-बीच से 24 घंटे दौड़ते हैं डंपर
हम सबसे पहले नीमकाथाना पहुंचे। यहां का गांवड़ी मोड़ घनी आबादी वाला एरिया है। इस एरिया में सरकारी दफ्तर, स्कूल और कॉलेज हैं। सवेरे नौ बजे से दस बजे के बीच एक घंटे में ही हमारे सामने यहां से करीब 30 डंपर गुजरे। सभी ओवरलोड। कार्रवाई से बचने के लिए ज्यादातर ने पत्थरों और कंकरीट को हरे पर्दे से ढक रखा था।
यहीं हमारी मुलाकात ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मालाराम वर्मा से हुई। उन्होंने बताया, डंपर के कारण जीना मुश्किल हो गया है। इनके आने जाने का कोई समय तय नहीं है। पूरी रात चलते हैं। दिन में भी ये कभी भी आ जाते हैं। घरों से बाहर निकलने में ही डर लगता है। मालाराम वर्मा बताते हैं कि आज तक इस जगह पर हमने कभी पुलिस को इन ओवरलोड वाहनों को रोकते हुए नहीं देखा।
इसके बाद हम भूदोली रोड पहुंचे। सड़क की चौड़ाई करीब 20 फीट है। दिन के समय ही यहां से ओवरलोड डंपर गुजरते दिखाई दिए। यहां रहने वाले पीके शर्मा ने बताया- लंबे समय से हम इन डंपर से परेशान हैं। कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
शाम करीब सात बजे रिपोर्टर नीमकाथाना शहर के शाहपुरा रोड पहुंचे। यहां से एक के बाद एक डंपर गुजरते दिखे। वह भी पूरी स्पीड के साथ। शाम के समय इस रोड पर भारी यातायात रहता है, लेकिन डंपर ड्राइवरों को इसकी कोई परवाह नजर नहीं आई।

परिवार आज तक हादसे को नहीं भूला
इसी साल 8 अप्रैल को नीमकाथाना के समीप बालेश्वर मोड़ पर एक डंपर ने बाइक को टक्कर मार दी थी। हादसे में कॉलेज छात्रा काजल (22) पुत्री अर्जुनलाल की मौत हो गई थी। रिपोर्टर एक बार वापस इस जगह पहुंचे। हादसे के समय पुलिस और प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि अब ओवरलोड डंपर पर रोक लगाएंगे, लेकिन यहां डंपर आज भी बेरोक टोक दौड़ते दिखे।
नीमकाथाना कस्बे से 22 किलोमीटर की दूरी पर काजल का गांव है दरीबा। हम काजल के घर पहुंचे। जहां हमें उसके पिता अर्जुनलाल मिले। उन्होंने बताया- उस दिन काजल और उसका भाई बाइक पर सवेरे छह बजे घर से निकले थे। कुछ ही दूरी पर हादसा हो गया। जिसमें काजल की मौत हो गई। तब मौके पर आए अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि अब ओवरलोड डंपर पर रोक लगाएंगे। आपको मुआवजा देंगे, लेकिन न तो ओवरलोड डंपर रुके और न ही हमें मुआवजा मिला।
गांव के पूर्व सरपंच मदन लाल रैगर बताते हैं- यहां से दिन भर में सौ से ज्यादा ओवरलोड डंपर गुजरते हैं। कई हादसे हो चुके हैं। जब कभी कोई हादसा होता है तो कुछ दिन दिखाने के लिए कार्रवाई होती है, लेकिन उसके बाद फिर ओवरलोड डंपर दौड़ने लगते हैं।

खेतड़ी : थाने और अस्पताल के सामने से दौड़ रहे डंपर
नीमकाथाना जैसे ही हालात खेतड़ी में हैं। यहां जिला अस्पताल, थाने के सामने, एसडीएम कार्यालय और बस स्टैंड से ओवरलोड डंपर गुजरते दिखे, लेकिन इन पर रोक टोक कहीं दिखाई नहीं दी। खेतड़ी के रुद्रनारायण शर्मा बताते हैं कि ओवरलोड डंपर का कोई टाइम तय नहीं है। ये 24 घंटे सड़कों पर दौड़ते हैं। कब कहां हादसा हो जाए कुछ नहीं कह सकते।
यहां से हम करमाड़ी गांव पहुंचे। दोपहर के दो बजे यहां हालात ऐसे थे कि गांव के बाजार के बीच से एक साथ पांच-छह ओवरलोड डंपर गुजरते दिखाई दिए। पूरा इलाका घनी आबादी वाला एरिया है। इसके बावजूद यहां डंपर पर कोई रोक टोक नहीं है। हमारी बात पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष निरंजनलाल सैनी से हुई। सैनी बताते हैं- डंपर के कारण जीना मुश्किल हो गया है। हर समय हादसे का डर रहता है।
पत्नी को खोया खुद ने बिस्तर पकड़ा
हमारी मीडिया टीम खेतड़ी के गुजरवास में लीलाराम के घर भी पहुंची। 11 नवंबर 2023 को अपनी पत्नी को बाइक पर लेकर जा रहे थे। इसी दौरान डंपर ने बाइक को टक्कर मार दी। जिससे उनकी पत्नी छोटीदेवी की मौत हो गई। लीलाराम आज भी उस हादसे को याद कर सिहर उठ जाते हैं। वे कहते हैं- उस एक्सीडेंट में वो तो चली गई और मैं जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गया। अब बिस्तर पकड़ लिया है।

कोटपूतली : ओवरलोड डंपरों से गिरते हैं पत्थर
ओवरलोड डंपर का सबसे ज्यादा असर हमें कोटपूतली में देखने को मिला। राजस्थान से हरियाणा और दिल्ली जाने के लिए कोटपूतली से ही गुजरना होता है। ऐसे में नीमकाथाना एरिया के भी सभी डंपर यहीं से होकर जाते हैं। इन ओवरलोड डंपर के कारण कोटपूतली का डाबला रोड एक तरह से बर्बाद हो चुका है।
हमारे रिपोर्टर सवेरे 11 बजे डाबला रोड पहुंचे। एक घंटे के दौरान ही यहां से करीब 20 डंपर गुजरे। सड़क से दस-दस फीट ऊंचे इन डंपर में भरे भारी पत्थर बाहर झांक रहे थे।
डाबला रोड पर रहने वाले सरुंड के धर्मपाल सैनी बताते हैं कि ओवरलोड डंपरों को रोकने वाला कोई नहीं है। इनमें भरे पत्थर अक्सर सड़क पर गिरते रहते हैं। प्रशासन कहता है कि भारी वाहनों की एंट्री रात आठ बजे से सवेरे आठ बजे तक ही है, लेकिन ये सब सिर्फ कहने की बात हैं। इनका कोई समय नहीं है। पूरे दिन यहां से ओवरलोड डंपर गुजरते हैं। वे भी तेज स्पीड के साथ। स्कूल के बच्चे तक इनकी चपेट में आ जाते हैं।
शहर के पास डंपरों का जमावड़ा
कोटपूतली से सरुंड की ओर जाने पर कई जगहों पर हमें एक साथ कई डंपर खड़े भी मिले। आसपास के लोगों ने बताया कि ये डंपर माइंस से यहां आकर खड़े हो जाते हैं और इसके बाद एक-एक कर यहां से निकलते हैं। कोटपूतली के ही सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम बताते हैं कि हम कई बार आंदोलन कर चुके हैं। ओवरलोड डंपर से रोजाना हादसे हो रहे हैं, लेकिन इन पर कोई रोक नहीं है।

उदयपुरवाटी : थाने के सामने से दौड़ रहे डंपर
नीमकाथाना जिले के उदयपुरवाटी में भी सड़कों पर आबादी के बीच से ओवरलोड डंपर गुजरते नजर आए। हमारी मीडिया टीम सीकर-नीमकाथाना हाईवे पर पुलिस थाने के पास पहुंची। यहां से दिन के समय ही एक के बाद एक ओवरलोड डंपर गुजरते नजर आए। पूरे दिन में यहां से पांच सौ से ज्यादा डंपर गुजरते हैं। इनमें ज्यादातर ओवरलोड ही होते हैं।
शहर के नजदीक बागोरा, छापोली, सोकलाटा, तिवाड़ी की ढाणी, कोटड़ी और लुहारवास सहित कई गांवा में पत्थरों की खानें हैं, जिनसे पत्थर निकलता है। यहां से ये सीकर, लक्षमणगढ़, फतेहपुर, सालासर, नवलगढ़, झुंझुनूं, चिड़ावा, गुढ़ागौड़जी सहित कई गांवों में जाते हैं।
इस दौरान ये छापोली सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, बागोरा सीनियर सेकेंडरी स्कूल और उदयपुरवाटी सीएचसी सहित बड़े आबादी इलाके गुजरते हैं। आसपास के लोग बताते हैं कि इन डंपर के कारण कई बार हादसे हो चुके हैं।
पाटन : कस्बे में रहना मुश्किल हुआ
नीमकाथाना और कोटपूतली के बीच बसे पाटन कस्बे में डंपर के कारण बुरा हाल है। यहां कस्बे के बीच से भारी भरकम डंपर गुजरते हैं। सड़क की चौड़ाई कम होने से यहां एक डंपर गुजरने का मतलब है कि बाकी सारी गाड़ियां जाम में फंस जाती हैं और दिन में ऐसा कई बार होता है।
शाम करीब सात बजे कस्बे के मुख्य चौराहे पर जब हमारे रिपोर्टर पहुंचे तो वहां से डंपर गुजरते दिखाई दिए। यहां के लोगों ने बताया कि अब इसके लिए किसी से शिकायत करना बेमानी है। पाटन कभी शांत इलाका था, लेकिन आज यहां रहना मुश्किल हो गया है।

पाटन कस्बे के पास स्यालोदड़ा गांव में हालात और भी बुरे हैं। गांव से 24 घंटे भारी डंपर गुजरते हैं। दुकानदार राधेश्याम सैनी और रुड़मल सैनी बताते हैं कि डंपरों के कारण दुकान पर बैठा तक नहीं जाता है। दिनभर धूल उड़ती है। इसी गांव के ग्यारसी लाल बायला और अजय कुमार वर्मा बताते हैं कि हम लोगों ने ओवरलोड डंपरों को लेकर कई बार शिकायत की है, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है।
अब जानिए, कैसे झूठे आश्वासन देता है प्रशासन
मामला 7 जुलाई 2021 का है। नीमकाथाना के गणेश्वर चीपलाटा लिंक रोड़ पर कालीकाला में एक डंपर ने 7 साल की मासूम गोलू पुत्री शैतान गुर्जर को कुचल दिया। हादसा इतना खतरनाक था कि मासूम के शरीर के टुकड़े सड़क पर बिखर गए। मासूम की मां और नानी एक-एक टुकड़े को सड़क से उठाती रही। जिसे देख हर कोई सिहर उठा।
आक्रोशित ग्रामीणों ने तीन घंटे तक सड़क जाम की और ओवरलोड वाहनों को बंद करने की मांग की। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि इन वाहनों पर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन फिर कुछ नहीं हुआ।

तीन दिन तक ग्रामीणों ने रोके डंपर
नीमकाथाना जिले के दरीबा गांव में ओवरलोड डंपर के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। दस दिन तक ग्रामीण धरने पर बैठे रहे और खुद के स्तर पर ओवरलोड वाहनों को बिल्कुल बंद कर दिया। इसके बाद ग्रामीण और प्रशासन के बीच करीब तीन बार वार्ता हुई। ओवरलोड वाहनों को पूरी तरह से बंद करवाने पर सहमति बनी। तीन दिन बाद ग्रामीणों ने जाम खोल दिया, लेकिन अब यहां वापस ओवरलोड डंपर चलने लगे हैं।

कोटपूतली में लोगों ने पिछले साल लगातार दो महीने तक धरना देकर ओवरलोड डंपर बंद करने की मांग की। अनशन भी शुरू किया।
पांच दिन बाद 17 सितंबर 2023 को कोटपूतली एसडीएम और तहसीलदार मौके पर पहुंचे और लिखित समझौता किया। जिसमें कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।

खेतड़ी के पास ही पपूरना गांव के लोगों ने ओवरलोड डंपर बंद करने की मांग को लेकर दो महीने पहले प्रदर्शन किया था। ग्रामीणों ने इसके लिए विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। प्रशासन ने कार्रवाई का भरोसा दिया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
पपूरना के चेतन शर्मा ने बताया कि हमें आश्वासन दिया था कि अब इन पर कार्रवाई करेंगे, लेकिन आज भी ओवरलोड डंपर बेखौफ चल रहे हैं।

एक तरफ सड़क पर रफ्तार भरते ओवरलोड डंपरों से लोग परेशान हैं। तो वहीं पुलिस का दावा है कि उनकी ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। हमारे रिपोर्टर ने नीमकाथाना डीएसपी अनुज डाल से आबादी के बीच दौड़ रहे डंपरों को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि क्षेत्र में ओवरलोड डंपरों को लेकर पुलिस प्रशासन गंभीर है। उच्च अधिकारियों की ओर से जब भी नाकाबंदी के आदेश आते हैं। नाकाबंदी भी की जाती है। डंपर संचालकों के खिलाफ केस भी किए जाते हैं। रूटीन मोड पर भी थाना प्रभारियों की ओर से कार्रवाई की जाती है।

दिन रात सड़कों पर दौड़ रहे ये ओवरलोड डंपरों पर प्रशासन और पुलिस की कोई रोक नहीं है। माइंस से निकलने के बाद ये डंपर 12 पुलिस थानों, छह चौकियों और एक एसपी ऑफिस के सामने से गुजरते हैं।
इनमें मेहड़ा, पाटन, खेतडी, नीमकाथाना सदर, उदयपुरवाटी, थोई, अजीतगढ़, खेतड़ी नगर, सरुंड, प्रागपुरा, पनियाला, भाबरु थाना।टोडा चौकी, गुहाला चौकी, चला चौकी, बागावास चौकी, चतुर्भुज चौकी और गोवर्धनपुरा चौकी समेत नीमकाथाना का एसपी कार्यालय शामिल हैं। इस दौरान ये डंपर ओवरलोड भी होते हैं और ओवर स्पीड भी। इसके बावजूद इन्हें कोई नहीं रोकता।