साईं चांद मियां हैं…बोलकर उखाड़ीं मूर्तियां, कहां फेंकी पता नहीं:हिंदू संगठन बोला- 12 और राज्यों से हटाएंगे, फिर क्यों विवादों में साईं बाबा
साईं चांद मियां हैं…बोलकर उखाड़ीं मूर्तियां, कहां फेंकी पता नहीं:हिंदू संगठन बोला- 12 और राज्यों से हटाएंगे, फिर क्यों विवादों में साईं बाबा
वाराणसी : 29 सितंबर को रात 10 बजे की बात है। 6 लोग काशी के बड़ा गणेश मंदिर में घुसे। हाथों में लोहे की रॉड, हथौड़ी-छेनी और सफेद कपड़ा लिए थे। सभी ने पहले हिंदू देवी-देवताओं के सामने हाथ जोड़ा। फिर एक-एक करके मंदिर के कोने में लगी साईं बाबा की मूर्ति के पास पहुंचे।
कैमरा ऑन करके इनमें से एक शख्स कहता है, ‘बड़ा गणेश मंदिर में हमारे भगवानों के साथ ‘चांद-मियां’ (हिंदू संगठन साईं बाबा को इस नाम से संबोधित करते है) विराजे हुए हैं। आज यहां से इनकी विदाई होने वाली है।’
इसके बाद वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू की। लोहे के रॉड और हथौड़ियों से तोड़फोड़ तब तक चलती रही, जब तक मूर्ति उखड़ नहीं गई। आखिर में मूर्ति को सफेद कपड़े से ढक दिया गया। इस दौरान वीडियो बनाने वाला शख्स कहता है, ‘जब काशी के मंदिरों में चांद मियां की पूजा होगी, तो हमारे देवी-देवता कहां जाएंगे। इसलिए आज हमने बड़ा-गणेश मंदिर से चांद मियां उर्फ साईं को विदा कर दिया।‘
वाराणसी का बड़ा-गणेश मंदिर इकलौता मंदिर नहीं, जहां साईं मूर्ति हटाई गई। सनातन रक्षक दल ने शहर के 14 मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां गायब कीं। 15वें मंदिर में मूर्ति हटाने की तैयारी थी, लेकिन पुलिस ने संगठन के मुखिया अजय शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हालांकि, कोर्ट ने उसे 10 दिन बाद रिहा कर दिया है।
अब अखिल भारत हिंदू महासभा भी मंदिरों में साईं मूर्तियों का विरोध कर रही है। संगठन 12 राज्यों में इसे लेकर बड़ा आंदोलन कर सकता है।
आखिर क्यों हिंदू संगठन साईं बाबा के विरोध में उतर आए हैं? मंदिरों में साईं की मूर्ति हटाने का मकसद क्या है? शिरडी वाले साईं बाबा को लेकर विवाद कब और क्यों शुरू हुआ? इन सवालों के जवाब जानने दैनिक भास्कर वाराणसी पहुंचा। हमने हिंदूवादी संगठनों से लेकर शिरडी के साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट से भी बात की।
शुरुआत उस मंदिर से जहां सबसे पहले साईं मूर्ति हटाई गई… आसन पर विराजे सांईं को उखाड़ा, मूर्ति कहां गई कुछ पता नहीं
वाराणसी जंक्शन से 5 किलोमीटर दूर लोहटिया इलाका। यहीं पर प्रचीन बड़ा गणेश मंदिर है। 29 सितंबर को यहीं पर 5 फिट की साईं की मूर्ति उखाड़ दी गई। मंदिर के पुजारी इस घटना के बारे में ज्यादा बोलने से बचते हैं। उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि सनातन रक्षक दल वाले अजय शर्मा 6 लोगों के साथ रात में यहां आए और मूर्ति उखाड़ ले गए।
मूर्ति कहां गई, कुछ पता है? जवाब में पुजारी ने कहा- ‘नहीं, हमें कुछ नहीं पता कि मंदिर में स्थापित प्रतिमा कहां गई। वो लोग कह रहे थे कि मूर्ति गंगा में प्रवाहित कर देंगे। उसकी जगह पर देवी प्रतिमा स्थापित करेंगे। जहां साईं विराज रहे थे, अभी वो जगह खाली पड़ी है।’‘
वे आगे कहते हैं कि मूर्ति के बारे में आप सनातन रक्षक दल वालों से पूछिए कि वो उसे कहां लेकर गए। इतना कहकर पुजारी अंदर चले जाते हैं।
साईं कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, सनातनी उन्हें क्यों मानें
इसके बाद हम हिंदू संगठन के लोगों से मिलने पहुंचे। बड़ा गणेश मंदिर से साईं की मूर्ति उखाड़ने वाले अजय शर्मा घटना के बाद से जेल में बंद थे। हमें बताया गया कि विशालाक्षी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी से मिलिए। वो काशी के हिंदू संगठनों के मार्गदर्शक मंडल में हैं। राजनाथ तिवारी सनातन रक्षक दल के साईं मूर्तियों को हटाने का समर्थन करते हैं।
वो कहते हैं, ‘सनातन धर्म में जब 33 कोटि देवी-देवता हैं, तब किसी दूसरे पंथ को पूजने की क्या जरूरत। हम किसी की आस्था का विरोध नहीं कर रहे। सनातन मानने वालों को अगर पसंद है, तो घर पर साईं को पूजें, लेकिन हिंदू देवी-देवताओं के साथ मंदिरों में उनकी पूजा नहीं हो सकती।’
‘सात-आठ पहले स्वरूपानंद जी ने साईं की मूर्तियों का विरोध किया था। वो इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए। अब ये काम तो नहीं रुकेगा। हां, हमारी रणनीति में कुछ बदलाव हो सकते हैं।’
मंदिरों से हटाई गईं साईं मूर्ति कहां गईं? इस सवाल पर राजनाथ कहते हैं, ’मैंने खुद तो कुछ नहीं देखा पर पता चला है कि मंदिर में साईं मूर्ति हटाई गई, उसे सफेद कपड़े से ढककर पूरे सम्मान के साथ प्रवाहित कर दिया गया।’
14 मंदिरों की मूर्तियां गायब, 100 निशाने पर थे
सनातन रक्षक दल के मुताबिक, काशी के 14 मंदिरों से साईं की प्रतिमा हटा दी गई हैं। अभी कई और मंदिर बाकी हैं। वाराणसी में ही अभी ऐसे 60 मंदिर हैं, जहां साईं की मूर्ति लगी हैं। ये सभी मंदिर हमारी लिस्ट में हैं। कुल मिलाकर 100 मंदिरों की लिस्ट बनाई गई है, जहां से मूर्तियां हटाई जाएंगी। इनमें प्राचीन अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर मंदिर भी शामिल हैं।
अजय सनातन रक्षक दल के साथ-साथ अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा का प्रदेश अध्यक्ष भी है। गिरफ्तारी के वक्त उसने कहा था कि काशी के मंदिरों को साईं मुक्त बनाने का अभियान रुकने वाला नहीं है। हमारा संगठन पुलिस से डरने वाला नहीं है। हमने अब तक शहर के 11 प्रमुख मंदिरों से साईं मूर्तियां हटा दी हैं।
अक्टूबर-नवंबर में पुरुषोत्तम मंदिर, त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर और सूरजकुंड मंदिर जैसे देवालयों से साईं मूर्तियां हटाएंगे। इसके बाद अजय के खिलाफ वाराणसी के चौक थाने में FIR दर्ज हुई और उसे अरेस्ट कर लिया गया। रेशम कटरा के आनंदमई हनुमान मंदिर के पुजारी चैतन्य व्यास ने FIR करवाई थी। फिलहाल, अजय जमानत पर रिहा है।
वाराणसी के साईं मूर्ति विवाद का असर UP की राजधानी लखनऊ में भी देखने मिला। यहां अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भी मंदिरों से साईं प्रतिमा हटाने का ऐलान कर दिया। 2 अक्टूबर को हिंदू महासभा के नेता शिशिर चतुर्वेदी केसरबाग शिव मंदिर से साईं की मूर्ति हटाने पहुंचे। फिर 3 अक्टूबर को हजरतगंज के ओम नारायण मंदिर में मूर्ति हटाने के वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
उनकी गिरफ्तारी के बाद लखनऊ में कई हिंदू संगठन सड़क पर उतर आए। मामले को तूल पकड़ता देख दो दिन बाद ही शिशिर चतुर्वेदी को छोड़ दिया गया।
12 राज्यों के 60 हजार हिंदू कार्यकर्ता साईं मूर्तियों के खिलाफ करेंगे आंदोलन
1915 में शुरू हुआ अखिल भारतीय हिंदू महासभा भारत का सबसे पुराना हिंदू संगठन है। इसके बनने के 18 साल बाद RSS (1925) और करीब 57 साल बाद VHP (1964) का गठन हुआ। अभी 12 राज्यों (गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, यूपी और पश्चिम बंगाल) में पूरी तरह एक्टिव है। हर राज्य में हिंदू महासभा के करीब 5000 कार्यकर्ता हैं।
हिंदू महासभा के सीनियर लीडर और साईं मूर्ति विवाद में हाल ही में जेल से रिहा हुए शिशिर चतुर्वेदी से हमने फोन पर बात की। शिशिर कहते हैं, ‘हमारा संगठन जैसे अयोध्या, मथुरा और काशी के लिए लड़ाई लड़ा है। वैसे ही हमारे मंदिरों को गैर धार्मिक मूर्तियों से मुक्त करने के लिए हम बड़ा आंदोलन करने जा रहे हैं। ये आंदोलन UP के साथ-साथ पूरे देश में चलाया जाएगा।’
‘बस यही संदेश देना है कि साईं की पूजा करनी है तो अलग मंदिर बनाकर करें। हिंदू मंदिरों में देवी-देवताओं की तरह साईं की पूजा नहीं हो सकती।’
भगवान के साथ मंदिर में मांस खाने वाले की मूर्ति होना पाप
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के स्पोक्सपर्सन स्वामी महादेव कहते हैं, ‘सनातन रक्षक दल ने मंदिरों से साईं मूर्तियां हटाकर बिल्कुल सही काम किया है, क्योंकि वो सच्चाई को समझते हैं। इनके नाम के आगे साईंराम और साईंकृष्ण लगाना पाप है।’
‘साईं मुस्लिम संत थे, वो मांस खाते थे। ऐसे व्यक्ति की मूर्ति हमारे भगवानों के साथ नहीं होनी चाहिए। हम इसके खिलाफ लड़ेंगे, जरुरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।’
‘हमारे राम, हमारे कृष्ण, हमारे सनातन धर्म में साईं का कोई प्रमाण नहीं मिलता। श्रीमदभागवत महापुराण हिंदुओं का सबसे प्रमाणित ग्रंथ है। उसमें भगवान के 10 मुख्य अवतारों का वर्णन है। इनमें भविष्य में आने वाले कल्कि अवतार का भी वर्णन है।’
साईं मूर्तियों का विरोध कब और कैसे शुरु हुआ
बात अक्टूबर 2015 की है, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मंदिरों में साईं पूजा के खिलाफ अभियान शुरू किया था। इस अभियान में हिंदुओं से कहा गया कि वे साईं बाबा की पूजा न करें क्योंकि वो हिंदू नहीं मुसलमान थे।
स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा को चांद मियां कहते हुए उनके खिलाफ विवादित पोस्टर जारी किया। इस पोस्टर में भगवान हनुमान टूटे हुए पेड़ को लेकर साईं को भगाते हुए दिख रहे थे। लिखा था- हनुमान जी ने क्रोधित होकर साईं चांद मियां को खदेड़ा।
स्वरूपानंद ने साईं बाबा ट्रस्ट पर आरोप लगाते हुए कहा था कि ट्रस्ट हिंदू धर्म को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार है, क्योंकि वो साईं बाबा को भगवान हनुमान और दूसरे हिंदू देवताओं से ऊपर दिखा रहा है। साई बाबा का असली नाम चांद मियां था, जो अब नहीं रहे। हम उन्हें भगवान के रूप में नहीं मानते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने साईं पर कहा था- कोई गिद्ध शेर बनने का नाटक नहीं कर सकता
अप्रैल 2023 में बागेश्वर धाम के महंत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी साईं पूजा का विरोध किया था। शास्त्री ने कहा था, ‘साईं बाबा हिंदू देवता नहीं हैं। उन्हें संत या फकीर कहा जा सकता है, लेकिन भगवान का दर्जा नहीं दे सकते। कोई गिद्ध शेर बनने का नाटक नहीं कर सकता।‘
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा,
हमारे धर्म के शंकराचार्य जी ने साईं बाबा को देवता का स्थान नहीं दिया। शंकराचार्य हिंदू धर्म के प्रधानमंत्री हैं। इसलिए उनका पालन करना हर सनातनी का कर्तव्य है।
‘हमारे धर्म के कोई भी संत, चाहे वो गोस्वामी तुलसीदास हों या सूरदास जी। सभी संत और महान व्यक्ति थे, लेकिन भगवान नहीं।‘ साईं बाबा पर की गई टिप्पणी के लिए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ FIR दर्ज हुई थी।
अविमुक्तेश्वरानंद बोले- मंदिरों की शुद्धि में आपत्ति कैसी
ज्योतिष्पीठ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने साईं मूर्ति हटाने को सराहनीय कदम बताया है। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ‘काशी के सनातन मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटाया जाना शास्त्र सम्मत है। मंदिर तो सनातन धर्म के देवताओं का होता है। फिर भी हम ये कह रहे हैं कि साईं भक्त अलग मंदिर बना लें और वहीं पूजा करें। इसमें किसी का अपमान तो नहीं किया जा रहा है।‘
शिरडी साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट ने केंद्र और CM योगी तक पहुंचाया मामला
मंदिरों से साईं बाबा की मूर्ति उखाड़े जाने पर शिरडी साईं बाबा मंदिर ट्रस्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। ट्रस्ट ने साफ कहा है कि वो संबंधित लोगों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ेगा। ट्रस्ट के चीफ ऑपरेटिंग अफसर गोरक्ष गाडीलकर कहते हैं, ‘वाराणसी में जो घटनाएं हुईं, वो बेहद दुखद हैं। इस मामले को लेकर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी साईं भक्तों ने गहरी चिंता जताई है।‘
‘साईं बाबा के मंदिर में हर साल 2 करोड़ से ज्यादा भक्त आते हैं। दुनिया में बाबा 1000 से ज्यादा मंदिर हैं, जहां लोग रोज आरती करते हैं। UP में हुई इन घटनाओं से करोड़ों लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है।‘
अब बात साईं मूर्ति विवाद के बाद शुरू हुई सियासत की
साईं मूर्तियां हटाने का विवाद UP से महाराष्ट्र तक पहुंच चुका है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। इसे देखते हुए UP सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। साईं प्रतिमा विवाद शुरू हुआ तो 24 घंटे के अंदर 2 हिंदू संगठन के नेता अरेस्ट कर लिए गए। अब BJP-कांग्रेस वाराणसी की घटना को धर्म का अपमान बता रही है।
BJP: साईं बाबा सबके लिए श्रद्धेय, ये घटनाएं धर्म का अपमान
महाराष्ट्र के BJP चीफ चंद्रशेखर बावनकुले ने वाराणसी की घटना की कड़ी निंदा की है। बावनकुले ने कहा, ‘साईं बाबा सबके लिए श्रद्धेय हैं। किसी को भी उनके अपमान की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। UP में जो घटना हुईं, वो धार्मिक अपमान से कम नहीं है। हम इसका विरोध करते हैं।‘
कांग्रेस: साईं धर्म, जाति और पंथ से ऊपर
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट कहते हैं, ‘साईं बाबा धर्म, जाति और पंथ से ऊपर थे। वाराणसी में जो कुछ हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंदू संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ ने वाराणसी के मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाने के लिए एक अभियान शुरू किया है। कुछ धार्मिक नेताओं का दावा है कि वे देवता नहीं हैं और उनकी पूजा नहीं की जानी चाहिए। ये दुखद है।‘
‘साईं बाबा ने अपना ज्यादातर जीवन महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी कस्बे में बिताया। वहां उनका भव्य मंदिर है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। ये घटना उन साईं भक्तों की आस्था से खिलवाड़ है।‘
महाराष्ट्र चुनाव से पहले साजिश है साईं विवाद
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती इस विवाद को महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक साजिश मानते हैं। जितेंद्रानंद कहते हैं, ‘2013 से बड़ा गणेश मंदिर में साईं की मूर्ति की पूजा हो रही थी, तो अचानक ये आस्था, अनास्था में क्यों बदल गई। जब मूर्ति हटानी ही थी, तो स्थापित क्यों की गई।‘
‘कहीं साईं मूर्ति विवाद महाराष्ट्र चुनाव को देखते हुए एक बड़ी राजनीतिक साजिश का हिस्सा तो नहीं है। ताकि लोगों में एक गहरी खाई पड़ जाए और इस साजिश के जरिए हिंदू समाज बंट जाए।‘