किरोड़ी के असंतोष को कांग्रेस क्यों दे रही है हवा? उपचुनाव में मीणा बाहुल्य सीटों से है कोई कनेक्शन
राजस्थान की सियासत यूं तो ठंडे दौर से गुजर रही है, लेकिन एक किरदार इन दिनों चर्चाओं में है जो भाजपा और कांग्रेस दोनों का सेंटर प्वाइंट बना हुआ है। बीते कुछ दिनों से कांग्रेस की तरफ से भाजपा नेता डॉ. मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को लेकर बयानबाजी हो रही है।
जयपुर : बीजेपी नेता और कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को अपना साढू़ बताने वाला बयान देकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर लीं। लेकिन सोशल मीडिया के इतर सियासी गलियारों में इस बयान के कई मायने खोजे जा रहे हैं। इसी बीच शुक्रवार को कांग्रेस के कई विधायक और सांसद किरोड़ी लाल मीणा से मिलने उनके आवास पर भी पहुंच गए। हालांकि कांग्रेस नेताओं के साथ किरोड़ी की यह बैठक दौसा के डिंपल मीणा हत्याकांड पर हो रही जांच को लेकर थी।
इस बैठक के बाद किरोड़ी लाल मीणा का बयान भी आया, जिसमें उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच इस प्रकरण में संघर्ष समिति के साथ यादगार में आईजी राहुल प्रकाश के नेतृत्व में एक-एक बिंदु पर वार्ता की परन्तु संघर्ष समिति को पुलिस की जांच में संदेह लगा। आज जब जनप्रतिनिधि इस प्रकरण में मेरे निवास पर आए तो इस मामले की गंभीरता को लेकर मैंने मुख्यमंत्री से बात कर जल्द ही परिजनों, संघर्ष समिति और सांसदों और विधायकों की मुख्यमंत्री के साथ वार्ता का समय मांगा है, जिसमें उक्त हत्याकांड के संबंध में पूरी स्थिति से मुख्यमंत्री जी को अवगत करवाया जाएगा और उच्चस्तरीय जांच की मांग की जाएगी।
पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस की सियासत जिस तरह से किरोड़ी के इर्द-गिर्द घूम रही है, उसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह कि क्या डोटासरा के बयानों से लेकर कांग्रेस नेताओं के किरोड़ी के घर आने के राजनीतिक मायने हैं और उनका उपचुनावों से कोई संबंध है? क्या कांग्रेस किरोड़ी लाल मीणा के असंतोष को हवाला देकर उपचुनाव वाली मीणा बाहुल्य सीटों पर कोई मैसेज देना चाहती है। जिस तरह से डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले दिनों बयान दिया था कि उनकी हालत सरकार में शिखंडी की तरह हो चुकी है। इससे पहले भी किरोड़ी लाल मीणा कई बार अपना असंतोष खुलकर जाहिर कर चुके हैं। राजस्थान में जिन सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें 4 सीटें दौसा, देवली उनियारा, सलूंबर और चौरासी मीणा बाहुल्य हैं।
भाजपा की स्थिति खुद इनके नेताओं को भी समझ नहीं आ रही। बीजेपी को समझ नहीं आ रहा है कि किरोड़ी का मामला कैसे हैंडल किया जाए। इसलिए इस मामले में लगभग चुप्पी साधी हुई है। हालांकि किरोड़ी को लेकर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी से लेकर मौजूदा अध्यक्ष मदन राठौड़ तक बयान दे चुके हैं, लेकिन उन बयानों का भी कोई नतीजा नहीं निकला। बहरहाल कांग्रेस किरोड़ी को लेकर जो भी दांव चल रही है, उसका परिणाम क्या होगा, इसमें सियासत की दिलचस्पी जरूर है।
किरोड़ी को लेकर चर्चाओं रहे ये बयान
डोटासरा बोले- किरोड़ी भी चाहते हैं पर्ची बदले: कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने हाल ही कांग्रेस के धरने में मजाकिया लहजे में कह दिया कि भाजपा को राजस्थान की ‘पर्ची’ बदलनी पड़ेगी। किरोड़ी की मन की बात भी यही है कि पर्ची बदलनी चाहिए।
किरोड़ी बोले- मंत्री बनकर मैं शिखंडी हो गया: कुछ दिनों पहले सवाई माधोपुर में एक धार्मिक कार्यक्रम के मंच से किरोड़ी ने कहा कि मंत्री बनकर वह शिखंडी बन गए। काम करने की जो ताकत थी, वह भी गायब हो गई।
अपनी ही सरकार में करनी पड़ रहीं शिकायतें : डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को पिछली सरकारों में हुई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए खुद की सरकार में ही शिकायतें करनी पड़ रही हैं। पहले वह पेपर लीक मामलों में दस्तावेजी सबूत लेकर एसओजी के दफ्तर पहुंच गए। हाल ही में बीते करीब दस वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में 3500 करोड़ रुपये घोटालों की जांच अब शुरू कराने की मांग को लेकर गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम के आवास पर पहुंच गए।
इस्तीफे पर महीनों बाद भी असमंजस : डॉ. मीणा ने 4 जुलाई को सरकार में मंत्री पद से इस्तीफे का एलान कर दिया था। तब से अब तक उनके त्यागपत्र को लेकर असमंजस बना हुआ है। अब भी ना उनका इस्तीफा स्वीकार हुआ है, न ही नामंजूर किया गया है।