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दिवेर विजय स्मृति भाषण प्रतियोगिता में फिर गूंजी महाराणा प्रताप की स्वाधीनता की हुंकार


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दिवेर विजय स्मृति भाषण प्रतियोगिता में फिर गूंजी महाराणा प्रताप की स्वाधीनता की हुंकार

दिवेर विजय स्मृति भाषण प्रतियोगिता में फिर गूंजी महाराणा प्रताप की स्वाधीनता की हुंकार

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय स्थित राजकीय लोहिया महाविद्यालय में बुधवार को दिवेर विजय स्मृति भाषण प्रतियोगिता “महाराणा प्रताप-व्यक्तित्व एवं कृतित्व“ विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो डॉ मंजू शर्मा ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता विद्यार्थियों के समग्र और कलात्मक उन्नयन के लिए आवश्यक है। महाविद्यालय शैक्षणिक वातावरण के साथ विद्यार्थियों की समग्र प्रतिभा को उद्घाटित करने का मंच है। महाविद्यालय में विद्यार्थी न केवल शैक्षणिक स्तर पर उच्चता को प्राप्त करे अपितु समग्र रूप से अपने व्यक्तित्व को उदात्त बनाए। ऐसे कार्यक्रम इसी लक्ष्य की साधना का साधन है।

उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में प्रतियोगिता में अंकिता ढाका, शबा तंवर, कुलदीप गुर्जर, वृद्धि शर्मा, कृष्णा कोका, मेघना पारीक, शगुन शेखावत, कुलदीप सिंह, अंजिका, संजना कानखेड़िया, ज्योति कल्ला, अंकित सिंह, चन्दा कुमारी, रानू सिनोलिया, हिमांशु भारद्वाज, मुकेश बाकोलिया, तनिष्का, ईशा जोशी, प्रीति कृष्णा, कविता मेघवाल, राधिका सुरोलिया सहित कुल 21 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में रानू सिनोलिया ने प्रथम, कृष्णा कोका व मेघना पारीक ने संयुक्त रूप से दूसरा स्थान व चन्दा कुमारी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

विजेता रही रानू सिनोलिया ने अपने विचारों में कहा कि भारतीय इतिहास और संस्कृति में दिवेर विजय की स्मृति बहुत विशिष्ट रही है और उतना ही विशिष्ट महाराणा प्रताप का व्यक्तित्व व कृतित्व रहा है। रानू ने बताया कि किस प्रकार महाराणा प्रताप ने अपनी स्वाधीनता को अक्षुण्ण रखने के लिए ताउम्र संघर्ष किया। उन्होंने दिवेर युद्ध के परिप्रेक्ष्य में महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण गुण धैर्य, साहस, जूझने की प्रवृत्ति और सबसे बढ़कर स्वाधीनता की चाह को विभिन्न उदाहरण के माध्यम से उभारा।

भाषण प्रतियोगिता में सभी प्रतिभागियों ने दिवेर विजय को केन्द्र में रखकर महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व के सबसे महत्वपूर्ण पहलू उनकी स्वाधीनता के प्रति चाह, जीत की ललक और आजीवन संघर्ष को रेखांकित किया। प्रताप की स्वाधीनता की हुंकार सभी प्रतिभागियों के भाषण में सुनाई दी।

प्रो डॉ हेमंत मंगल, प्रो डॉ मूलचंद, प्रो डॉ धीरज बाकोलिया ने निर्णायक की भूमिका निभाई।
कार्यक्रम में प्रो डॉ सरोज हारित ने भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभागियों द्वारा बरती जाने वाली विशेष सावधानियों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि विजयी वो होता है जो विषय, भाव, भाषा और प्रस्तुति से न केवल निर्णायकों को प्रभावित करता है, अपितु श्रोताओं के मर्म को भी छूता है।

कार्यक्रम में प्रो संतोष बलाई, प्रो ट्विंकल शर्मा , प्रो वीना ढेनवाल, विनीता पारीक, रिजुल पूनियाँ, अजय तंवर, सुचित्रा मांझू, हरीश शर्मा, विनीत ढाका, मधुसूदन प्रधान, प्रशान्त शर्मा उपस्थित रहे। डॉ सुमेर सिंह, डॉ संजू झाझडिया व पूजा प्रजापत ने आयोजकीय भूमिका निभाई। संचालन प्रो जावेद खान ने किया।

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