जयपुर : प्रदेश में भू-जल प्रबंध प्राधिकरण बनाने के सरकार के प्रयासों को झटका लग गया है। भू-जल प्रबंध प्राधिकरण बिल को गुरुवार को विधानसभा में पारित करवाना था, लेकिन बिल पर बहस जैसे ही आगे बढ़ी, बीजेपी विधायकों ने इसके प्रावधानों पर सवाल उठा दिए। बहस पूरी होने से पहले ही सरकार ने यू-टर्न लेते हुए इसे विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी को भेजने का फैसला कर लिया।
जलदाय मंत्री ने बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद स्पीकर ने इसे विचार के लिए कमेटी को भेज दिया है।
दरअसल, बीजेपी के ही विधायकों ने ही इसके प्रावधानों पर सवाल उठाए थे। वहीं, डोटासरा ने कहा- सौ जूते और सौ प्याज एक साथ खाने की जरूरत कहां थी, जब तैयारी नहीं थी तो बिल लेकर आने की जरूरत कहां थी।
अब इस बिल पर विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी विचार करेगी। सिलेक्ट कमेटी इसके विवादित प्रावधानों को बदलकर अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट देगी। सिलेक्ट कमेटी इस पर जितना चाहे उतना समय लगा सकती है। बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजने से अब भूजल प्रबंध प्राधिकरण को ठंडे बस्ते में डालने से जोड़कर देखा जा रहा है। अब तक विधानसभा की सिलेक्ट कमेटी में भेजे गए ज्यादातर बिल वापस आना मुश्किल ही होता है। पहले भी जमीनी पानी के रेगुलेशन के लिए प्राधिकरण बनाने के प्रयास हुए थे, लेकिन यह धरातल पर नहीं आ पाया था।
ट्यूबवेल खोदने पर भी रोक, कई पेनल्टी और चार्ज भी थे
भूजल प्रबंध प्राधिकरण बनाकर जमीन से पानी के दोहन पर रोक लगाने के कई प्रावधान किए जा रहे थे। भूजल प्रबंधन प्राधिकरण से एनओसी लिए बिना ट्यूबवेल खोदने पर रोक लगाने का प्रावधान था। निजी इंडस्ट्रीज और घरेलू ट्यूबवेल खुदाई पर भी रोक का प्रावधान था। जमीन से पानी निकालने पर कई तरह की राशनिंग करते हुए बहुत सी पाबंदियों के प्रावधान थे। उद्योगों के लिए जमीन से पानी निकालने पर टैक्स लेने और उनमें टेली मीट्रिक डिजिटल वाटर मीटर लगाए जाने का प्रावधान था।
ट्यूबवेल खोदने से पहले प्राधिकरण से एनओसी लेने का प्रावधान
भूजल प्रबंध प्राधिकरण बनने के बाद जमीन से पानी निकालने के लिए एनओसी लेने का प्रावधान था। बिना प्राधिकरण की एनओसी के ट्यूबवेल खोदने पर जुर्माने का प्रावधान किया था। पहले डार्क जोन में ट्यूबवेल पर रोक थी, पीएचईडी के अलावा कोई ट्यूबवेल नहीं खोद सकता था। गहलोत सरकार ने किसानों और निजी प्रयोग के लिए ट्यूबवेल पर लगी रोक और एनओसी के प्रावधान को खत्म कर दिया था।
भूजल प्रबंध प्राधिकरण में केवल अफसरों को ही अध्यक्ष और मेंबर बनाने का प्रावधान
भूजल प्रबंध प्राधिकरण में अध्यक्ष और 14 मेंबर का प्रावधान किया गया। अध्यक्ष से लेकर मेंबर तक सभी अफसरों को ही रखने का प्रावधान किया गया था। प्राधिकरण में एक भी जनप्रतिनिधि को नहीं रखा गया। प्राधिकरण के अध्यक्ष और मेंबर बनाने की शर्तें ही ऐसी रखी कि इसमें अफसर ही रह सकते थे। मंत्री-विधायक इसके मेंबर नहीं रह सकते। इस प्रावधान के कारण प्राधिकरण का विरोध हो रहा था।
बीजेपी विधायक बोले- अफसरों को मेंबर बनाना गलत, किसान हित में नहीं कई प्रावधान
इस बिल पर जब बहस हो रही थी तो बीजेपी विधायकों ने ही इसके प्रावधानों पर सवाल उठाए थे। ट्यूबवेल खोदने पर रोक लगाने से लेकर प्राधिकरण से एनओसी के प्रावधान का बीजेपी विधायक कंवरलाल, केसाराम चौधरी ने विरोध किया। आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग ने खुलकर प्रावधानों का विरोध किया। कंवरलाल और केसाराम ने कहा- प्राधिकरण में जनप्रतिनिधियों को रखा जाना चाहिए, इसमें केवल अफसर ही हैं।
सुभाष गर्ग बोले- महाराष्ट्र सहित जिन राज्यों में प्राधिकरण वहां मंत्री-विधायक इसके मेंबर, यहां क्यों नहीं
आरएलडी विधायक सुभाष गर्ग ने कहा- यह बिल पास हुआ तो राजस्थान का दुभार्ग्य होगा, यह बिल विधानसभा का भी अपमान है। इस प्राधिकरण में एक भी जनप्रतिनिधि क्यों नहीं है? महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में यह प्राधिकरण है, वहां मंत्री और विधायक इसके मेंबर हैं। इसमें केवल अफसरों को ही अध्यक्ष से लेकर मेंबर बनाया है, यह उचित नहीं है। किसानों, उद्योगों और आम आदमी के लिए पाबंदियां भी गलत हैं। जलदाय मंत्री, यूडीएच मंत्री, जल संसाधन मंत्री और विधायक इसके मेंबर क्यों नहीं हो सकते।
जलदाय मंत्री बोले- हम इस बिल को सुधार के साथ लाएंगे, प्राधिकरण में जनप्रतिनिधियों को शामिल करेंगे
जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने विधानसभा में इस बिल को वापस लेकर सिलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव रखते हुए कहा- इसे हम सुधार करके लाएंगे। प्राधिकरण में जनप्रतिनिधियों को शामिल करेंगे। जो सुझाव हैं, उनको इसमें शामिल करेंगे। किसानों और आम आदमी को ट्यूबवेल खोदने पर रोक नहीं लगेगी, इसके प्रावधान उन पर लागू नहीं करेंगे।
डोटासरा बोले- सौ प्याज और सौ जूते साथ क्यों खाए, बिना तैयारी बिल क्यों लाए?
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भूजल संरक्षण प्राधिकरण बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजने के बाद सरकार पर तंज कसा। डोटासरा ने कहा- सौ जूते और सौ प्याज एक साथ खाने की जरूरत कहां थी। जब तैयारी नहीं थी तो बिल लेकर आने की जरूरत कहां थी, पूरी तैयारी से लाते। इस सरकार में किसी को कुछ पता नहीं है। इस बिल से यह साबित हो गया कि सरकार की क्या तैयारी है?