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ठाकुर का कुआं कविता को लेकर हरीश चौधरी पर तंज:विधायक सियोल ने कहा-ना चूल्हा मिट्टी का रहा ना हल बैल का, भाटी बोले-महाराजा गंगासिंह ने महल गिरवी रखकर नहर बनाई


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ठाकुर का कुआं कविता को लेकर हरीश चौधरी पर तंज:विधायक सियोल ने कहा-ना चूल्हा मिट्टी का रहा ना हल बैल का, भाटी बोले-महाराजा गंगासिंह ने महल गिरवी रखकर नहर बनाई

ठाकुर का कुआं कविता को लेकर हरीश चौधरी पर तंज:विधायक सियोल ने कहा-ना चूल्हा मिट्टी का रहा ना हल बैल का, भाटी बोले-महाराजा गंगासिंह ने महल गिरवी रखकर नहर बनाई

जयपुर : विधानसभा में ठाकुर का कुआं कविता पर सियासी वार पलटवार का दौरा जारी हैं। यह कविता कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने चार दिन पहले सदन में बोलते हुए कहा था कि इस बजट में हमारा क्या है, हमारा कुछ नहीं है, सब कुछ ठाकुर का है।

आज सदन में जल संसधान और वन एवं पर्यावरण विभाग की अनुदान मांगों पर बोलते हुए बीजेपी विधायक भैंराराम सियोल ने कविता के माध्यम से ही हरीश चौधरी पर पलटवार करते हुए कहा कि ना चूल्हा मिट्टी का रहा ना हल बैल का। फिर क्यों तमाशा होता है लोकतंत्र के मंदिर में।

वहीं विधायक अंशुमन भाटी ने अनुदान मांगों पर बोलते हुए कहा कि महाराजा गंगासिंह ने खुद के महल गिरवी रखकर 36 कौम के लिए गंगनहर बनवाई थी। लेकिन आज कुछ लोग ठाकुरों के बजट की बात करते हैं।

महाराजा गंगा सिंह ने संपत्ति गिरवी रखकर नहर बनवाई
बीजेपी विधायक अंशुमन भाटी ने कहा कि महाराजा गंगासिंह ने कह दिया था कि मैं नहर के लिए अंग्रेजों से एक पैसा भी नहीं लूंगा। उन्होंने अपने खुद के निजी खर्चे पर, खुद के महल और निजी संपत्ति को गिरवी रखकर 5 करोड़ से नहर बनाई। आज उस नहर का लाभ हम सब ले रहे हैं।

भाटी ने कहा, जिंदगी के आखिरी समय में गंगासिंह कैंसर से पीड़ित थे। 2 फरवरी 1943 में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। मृत्यु से एक घंटे पहले गंगा सिंह होश में आते हैं और यही बात कहते हैं कि भाखड़ा बांध की फाइल लेकर आओ। जो अपनी मृत्यु के आखिरी क्षण में भी अपनी जनता के लिए लड़े, चिंता करे। गंगनहर बनने के बाद आईजीएनपी उनकी प्रेरणा से बनी।

वे गंगनहर क्या खुद के लिए लेकर आए थे। महाराजा गंगासिंह गंगनहर सबके लिए लेकर आए थे। 36 कौम के लिए लेकर आए थे। लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है, कई लोग इस सदन में बैठकर यह बात कहते हैं कि यह ठाकुरों का बजट था।

भैराराम सियोल ने कहा-पुरानी कविताएं छोड़ो
बीजेपी विधायक भैराराम सियोल ने कविता के माध्यम से हरीश चौधरी पर तंज कसा। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा कि वर्तमान की बात करो, पुरानी बात छोड़ो। अब ना चूल्हा मिट्टी का रहा ना हल बैल का। फिर क्यों तमाशा होता है लोकतंत्र के मंदिर में।

उन्होने कहा ठाकुर हो या किसान। लोकतंत्र के मंदिर में 36 कौम के सभी लोग हमारे हैं। महाराणा प्रताप और सूरजमल के वंशजों को लड़ाना बंद करो। मुगलों और अंग्रेजों की चाल अब चलना बंद करो। मरुधरा धरती सुख रही है कोई बात करो तो कैनाल पर बात करो। पुरानी कविताएं छोड़ो वर्तमान पर बात करो।

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