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लैंड रेवेन्यू एक्ट में संशोधन SC/ST के खिलाफ नहीं:HC ने जनहित याचिका को खारिज़ करते हुए कहा-एक्ट की धारा संविधान के प्रावधानों के खिलाफ नहीं


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लैंड रेवेन्यू एक्ट में संशोधन SC/ST के खिलाफ नहीं:HC ने जनहित याचिका को खारिज़ करते हुए कहा-एक्ट की धारा संविधान के प्रावधानों के खिलाफ नहीं

लैंड रेवेन्यू एक्ट में संशोधन SC/ST के खिलाफ नहीं:HC ने जनहित याचिका को खारिज़ करते हुए कहा-एक्ट की धारा संविधान के प्रावधानों के खिलाफ नहीं

जयपुर : राजस्थान हाई कोर्ट ने लैंड रेवेन्यू एक्ट 1956 की धारा 90ए(8) को एससी-एसटी के हितों के खिलाफ नहीं माना हैं। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश नवीन कुमार मीणा की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिए।

जनहित याचिका में कहा गया था कि लैंड रेवेन्यू एक्ट की धारा 90ए(8) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि शहरी क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि का गैर कृषि के तौर पर उपयोग करने पर राज्य सरकार भूमि को अपने अधीन ले सकती है। वहीं संबंधित जमीन के राज्य सरकार में निहित होने के बाद वह उसे किसी भी को आवंटित कर सकती है। यह धारा काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 के विपरीत है।

क्योंकि काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 कहती है कि एससी-एसटी के व्यक्ति की कृषि भूमि को एससी-एसटी के व्यक्ति को ही बेचा जा सकता हैं। अगर किसी अन्य व्यक्ति को बेचा जाता है तो यह भूमि पुन एससी-एसटी के व्यक्ति को ही मिलेगी।

सरकार ने कहा-संशोधन धोखाधड़ी को रोकने के लिए किया
राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि एक्ट में संशोधन के पीछे सरकार की मंशा है कि कृषि भूमि का गैर कृषि कार्य में उपयोग से रोका जाए। दरअसल, शहरी क्षेत्र में अमूमन यह शिकायतें मिलती है कि कृषि भूमि का बिना रूपानंतरण किए गैर कृषि कार्य में उपयोग लिया जाता हैं। भूमाफियाओं द्वारा उस पर प्लॉट काट दिए जाते हैं। वहीं इन प्लॉटों के बेचान के बाद आमजन को पट्टा नहीं मिल पाता हैं।

इसलिए एक्ट की धारा 90ए(8) के तहत यह प्रावधान किया गया है कि नगरीय क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि का गैर कृषि के तौर पर उपयोग करने पर राज्य सरकार भूमि को अपने अधीन ले सकती है। वहीं संबंधित जमीन के राज्य सरकार में निहित होने के बाद वह उसे किसी भी को आवंटित कर सकती है।

उन्होने बताया कि काश्तकारी अधिनियम की धारा 42 के तहत संरक्षण का लाभ उस स्थिति में ही मिलता है, जब कृषि भूमि को बेचा गया हो। जबकि धारा 90ए(8) वहां लागू होती है, जहां शहरी क्षेत्र में स्थित कृषि भूमि को बिना परिवर्तित कराए गैर कृषि कार्य के उपयोग में लाया जाए। इसके अलावा इसमें नियमानुसार प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का मौका देकर कार्रवाई करने का प्रावधान है। ऐसे में यह धारा 42 के खिलाफ नहीं है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।

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