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मुर्गे का आशीर्वाद दिलाने बच्चों को लाई महिलाएं:आषाढ़ के हर सोमवार को लगता है अनोखा मेला; जात लगाई, मुंडन कराया


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मुर्गे का आशीर्वाद दिलाने बच्चों को लाई महिलाएं:आषाढ़ के हर सोमवार को लगता है अनोखा मेला; जात लगाई, मुंडन कराया

मुर्गे का आशीर्वाद दिलाने बच्चों को लाई महिलाएं:आषाढ़ के हर सोमवार को लगता है अनोखा मेला; जात लगाई, मुंडन कराया

भरतपुर : भरतपुर में सोमवार को कुआं वाले बाबा की जात लगाई गई। सुबह 5 बजे से ही महिलाएं भरतपुर शहर में एसपी ऑफिस के पास स्थित कुआं वाले बाबा स्थल पर बच्चों को लेकर पहुंचीं और जात लगाकर नजर उतरवाई। कुआं वाले बाबा पर मुर्गेवाले पुजारी ने बच्चे के सिर पर मुर्गा घुमाया। मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे को लगी बुरी नजर हटती है।

कुएं वाले बाबा की शिला को प्रणाम कर मुर्गे का आशीर्वाद लेने की तैयारी करता परिवार।
कुएं वाले बाबा की शिला को प्रणाम कर मुर्गे का आशीर्वाद लेने की तैयारी करता परिवार।

अपने परिवार के साथ जात लगाने आई बुजुर्ग महिला शकुंतला ने बताया- कई दशकों से यह मेला हर साल आषाढ़ महीने के सोमवार को लगता है। सभी जाति समाज के लोग यहां आते हैं। यहां एक शिला को कुएं वाले बाबा मानकर पूजा की जाती है। एक रात पहले घर में पकवान बनाकर रखे जाते हैं। सुबह पकवान में से भोग की सामग्री लेकर बच्चों के साथ यहां आते हैं। बच्चे का जड़ूला (मुंडन) किया जाता है। इसके बाद मुर्गे से आशीर्वाद लिया जाता है।

कुआं वाले बाबा को भोग लगाने के लिए लाई सामग्री से बच्ची की नजर उतारते एक महिला।
कुआं वाले बाबा को भोग लगाने के लिए लाई सामग्री से बच्ची की नजर उतारते एक महिला।

हमारी मान्यता है कि इस टोटके से बच्चे को बुरी नजर नहीं लगती और कभी ऊपरी साया नहीं पड़ता। कई पीढ़ियों से इस मेले के प्रति आस्था है।

मुर्गा घुमाने वाले पुजारी किशन ने बताया- यहां परंपरागत ढंग से जात लगती रही है। हमारी पुरखे भी साल में एक दिन यह काम करते हैं। मुर्गा देवत्व का प्रतीक है। मुर्गा बच्चे पर घुमाने से बलाएं उतर जाती हैं। बच्चों का मुंडन कराने लोग यहां आते हैं। कुछ दशक पहले तक विशाल मेला लगता था। बड़ी तादाद में लोग आते थे।

मां की गोद में बच्चा, नजर उतारती दादी।
मां की गोद में बच्चा, नजर उतारती दादी।

सोमवार को सुबह 5 से सुबह 11 बजे तक एसपी ऑफिस के पास मुंडन कराने और कुआं बाबा की पूजा कर आशीर्वाद लेने वाली महिलाओं-बच्चों की भीड़ रही। महिलाओं ने पहले बच्चों को सड़क पर ही मुंडन कराया। इसके बाद शिला के रूप में कुआं बाबा की पूजा की।

चमड़े का चषक लिए एक व्यक्ति से सभी पर पानी छिड़का इसके बाद मुर्गे वाले पुजारियों ने बच्चों पर मुर्गा घुमाकर आशीर्वाद दिया। यहां हरिजन बस्ती से मुर्गा पालने वाले लोग आते हैं। श्रद्धालु अपनी आस्था के मुताबिक इन्हें चढ़ावा देते हैं। हालांकि कई लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं लेकिन परंपराओं का निर्वहन करने वालों के लिए यह आस्था का विषय है।

पुजारी किशन ने बताया- पूरे आषाढ़ में यह मेला हर सोमवार को भरता है। मेले में आने वाले लोग बाबा को पुआ-पकौड़ी, पूड़ी, सब्जी का भोग लगाते हैं।

कुआं वाले बाबा स्थल पर मशीन से बच्चे का मुंडन।
कुआं वाले बाबा स्थल पर मशीन से बच्चे का मुंडन।

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