1 जुलाई से नया कानून:पांच साल में FSL पर 39000 केस पेंडिंग नए कानून से 78000 केसों का बोझ बढ़ेगा
500 और नए एक्सपर्ट के लिए भेजी तत्काल डिमांड पर सरकार का जवाब- भर्तियां पूरी होने में 5 साल लग जाएंगे

जयपुर : देशभर में 1 जुलाई से लागू होने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कानून ने एफएसएल की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। संसाधनों की कमी से जूझ रही एफएसएल, जहां सालभर में 2 हजार वारदातों में भी बमुश्किल मौके पर पहुंच रही है, उसे अब 80 हजार क्राइम सीन तक पहुंचना होगा।
हर माह 170 केस की तुलना में 6500 क्राइम सीन विजिट करने होंगे। सवाल यह कि पांच साल में 39,000 केसों की गुत्थी सुलझाने का इंतजार कर रही एफएसएल अतिरिक्त 78 हजार मामलों का बोझ कैसे झेल पाएगी? स्टेट एफएसएल में 85 एक्सपर्ट, साइंटिस्ट नहीं हैं। कानून प्रभावी होते ही 500 नए एक्सपर्ट की और जरूरत पड़ेगी। गृह विभाग के एसीएस आनंद कुमार बताते हैं कि एफएसएल की डिमांड को वित्त विभाग में भेजा है।
हमारे मीडिया कर्मी ने बीएनएसएस लागू होने के मद्देनजर जब एफएसएल केसों की पड़ताल की तो सामने आया कि हत्या, रेप जैसे गंभीर मामलों में भी पुलिस पर निर्भर करता था कि वे अपने इन्वेस्टिगेशन में एफएसएल का किस प्रकार उपयोग लेते हैं, लेकिन 1 जुलाई से लागू होने वाले नए कानून के बाद अब पुलिस एक्शन में एफएसएल यूनिट अनिवार्य रूप से साथ होगी।
राजस्थान एफएसएल के डायरेक्टर डॉ. अजय शर्मा कहते हैं कि नए कानून के बाद सालभर में 80 हजार क्राइम सीन विजिट करने होंगे। पिछले एक साल की वारदातों को लेकर यह औसत सामने आया है। इसके लिए 500 विभिन्न पदों के लिए सरकार से मांग की है। गृह मंत्रालय से मांगी 60 यूनिट में से 37 की मंजूरी मिली है। इनके ऑपरेशन के लिए भी एक्सपर्ट की जरूरत पड़ेगी।
भारी दबाव के बावजूद चर्चित मामलों में सराहनीय इंवेस्टिगेशन
पिछले एक साल में एफएसएल ने गोगामेडी हत्याकांड, भीलवाड़ा भट्टी कांड, जयपुर के मालवीयनगर में पिता की फांसी लगाकर आत्महत्या को हत्या साबित करना और अजमेर में पत्नी द्वारा पति की हत्या का खुलासा किया। ये मामले देशभर में चर्चित हुए।
राज्यों में एनएफएसयू के कैंपस खुलेंगे, स्टाफ भी आएगा… हाईटेक टेक्नोलॉजी से समय पर रिपोर्ट भी मिल जाएगी

एक्सपर्ट व्यू- डॉ. एस. ओ. जुनारे, निदेशक, नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी गुजरात
Q. नए कानून लागू होने के साथ एफएसएल जांच की दिशा में क्या बदलाव देखते हैं?
– नए कानून में इन्वेस्टिगेश, प्रॉसीक्यूशन और न्यायिक प्रक्रिया में फॉरेंसिक साइंस को कानून के आधार पर महत्व दिया है। पीड़ित को न्याय दिलाने में जितनी भूमिका प्रशासन की होती है उतनी ही एफएसएल की।
Q. नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी की क्या भूमिका रहेगी, स्टेट यूनिट की जरूरतें हैं?
-राजस्थान सहित अन्य राज्यों में एनएफएसयू के कैंपस खुलेंगे। इससे एफएसएल इन्वेस्टिगेशन और रिसर्च का स्तर बढ़ेगा।
Q. एफएसएल में साइंटिस्ट सहित अन्य स्टाफ की कमी के चलते पेंडेंसी काफी है?
-नए कानून के लागू होने के साथ ही स्टाफ भी आएगा। क्राइम सीन पर जाना और जांच में एफएसएल का दायरा बढ़ेगा। हाईटेक टेक्नोलॉजी से समय पर रिपोर्ट भी मिलेगी।
37 यूनिट्स की मंजूरी तो मिल गई है, लेकिन अभी एक्सपर्ट का चयन नहीं किया गया है
2024 के शुरुआती दौर तक एफएसएल पेंडेंसी 39000 को पार कर चुकी है। जनवरी 2023 तक 27266 मामलों में रिपोर्ट का इंतजार था। पिछले साल 44500 से ज्यादा मामलों का परीक्षण किया। हालांकि प्रदेशभर से 2023 में ही 56 हजार केस एफएसएल में परीक्षण के लिए आए। 37 नई एफएसएल यूनिट तो सेंक्शन हो गई, एक्सपर्ट नहीं मिले।