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इस्लाम समानता और भाईचारे का संदेश स्वामी विवेकानंद


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इस्लाम समानता और भाईचारे का संदेश स्वामी विवेकानंद

( इस्लाम में कोई संगीत नहीं, कोई पेटिंग नहीं, कोई पुजारी नहीं, कोई बिशप नहीं )

डॉ. जुल्फिकार युवा लेखक व चिन्तक

झुंझुनूं : स्वामी विवेकानंद उन बडे़ भारतीय आध्यात्मिक गुरुओं में से एक है जो समाज सेवा, ईश्वर की एकता, वैश्विक भाईचारे और धार्मिक समानता के समर्थक रहें। इस्लाम के प्रति स्वामी विवेकानंद की श्रद्धा केवल देशभक्ति के आदर्शवाद का स्रोत नहीं थी। इस्लाम के लिए उनकी गहरी प्रशंसा पैगम्बर मुहम्मद साहब को शामिल करने के लिए भारत में इसके प्रभाव से बहुत आगे निकल गई, जिनकी महानता को उन्होंने ” ईश्वर से आया ” माना।

(1) हजरत मुहम्मद साहब समानता के दूत : मुहम्मद साहब इन्सानी बराबरी, इन्सानी भाईचारे और तमाम मुसलमानों के भाईचारे के पैगम्बर थे | जैसे ही कोई व्यक्ति इस्लाम स्वीकार करता है पूरा इस्लाम बिना किसी भेदभाव के उसका खुली बाहों से स्वागत करता है, जबकि कोई दूसरा धर्म ऐसा नहीं करता | हमारा अनुभव है कि यदि किसी धर्म के अनुयायियों ने इस इन्सानी बराबरी को दिन – प्रतिदिन के जीवन में व्यावहारिक स्तर पर बरता है तो वे ” इस्लाम और सिर्फ इस्लाम ” के अनुयायी हैं।

मुहम्मद साहब ने अपने जीवन – आचरण से यह बात सिद्ध कर दी कि मुसलमानों में भरपूर बराबरी और भाईचारा है | यहाँ वर्ण, नस्ल, रंग या लिंग ( के भेद ) का कोई प्रश्न ही नहीं | इसलिए हमारा पक्का विश्वास है कि व्यवहारिक इस्लाम की मदद के लिए बिना वेदान्ती सिद्धांत – चाहे वे कितने ही अच्छा और अद्भुत हो विशाल मानव – जाति के मूल्यहीन हैं।

(2) इस्लाम में बेशुमार खूबियां है : इस्लाम जिसमें ” कोई संगीत नहीं, कोई पेटिंग नहीं, कोई पुजारी नहीं, कोई बिशप नहीं। ” पैगम्बर और उनकी शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा मुहम्मद साहब समानता के दूत थे। तुम पूछते हो कि उनके धर्म में क्या अच्छा हो सकता है? ” अगर इस्लाम में अच्छाई ना होती तो वह एक दिन कायम ना रहता मुसलमान कैसे जी सकता था? इस मजहब में बेशुमार खुबियां है।”

(3) कुरान शरीफ वह पवित्र ग्रन्थ : स्वामी विवेकानंद ने कहा कि ” कुरान शरीफ वह पवित्र ग्रन्थ है जो 1400 वर्ष पुराना है। लेकिन फिर भी आज तक किसी ने उस पर कोई कलम नहीं चलाई। ” कुरान में कई जगहों पर आपको जीवन के बहुत ही कामुक विचार मिलते हैं। दुनिया को जो उपदेश देने के लिए मुसलमान आता है, वह उनके विश्वास से जुड़े सभी लोगों का व्यवहारिक भाईचारा है | स्वामी विवेकानंद ने कहा कि ” मैं मुसलमान नहीं हूं लेकिन फिर भी मुझे इस धर्म का अध्ययन करने का अवसर मिला है। ” मैं अतीत के सब धर्मों को स्वीकार करता हूं तथा उनकी पूजा भी करता हूं। में ईश्वर की पूजा सभी धर्मों के अनुसार करता हूं | चाहे वह किसी भी रुप में उसकी पूजा करते हो।

(4) कुरान – गीता साथ पढ़ते है : विश्व मुस्लिम देशों में बांग्लादेश ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां 15 रामकृष्ण मठ व मिशन संस्थायें कार्यरत है। इन रामकृष्ण मठ व मिशन संस्थाओं में संचालित विधालयों की प्रार्थना सभाओं में बच्चे ” कुरान की आयतों के साथ – साथ गीता के शलोक भी पढ़ते हैं। ” यह चौकाने वाली जानकारी बांग्लादेश, श्रीलंका व सिंगापुर रामकृष्ण मठों पर शोधकार्य करने वाले डाॅ. जुल्फिकार ने दी। जिनको रामकृष्ण मठों ने पत्र लिखकर यह बताया कि वे पहले इंडियन मुस्लिम प्रोफेसर हैं जो न केवल युवा हैं बल्कि इन रामकृष्ण मठों में आकर उन्होंने अपना समय संतों के बीच बिताया।

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