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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के बीच कड़वाहट का दौर


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़देशराजस्थान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के बीच कड़वाहट का दौर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के बीच कड़वाहट का दौर

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा के रिश्ते कड़वाहट के दौर से गुजर रहे हैं । संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सरकार को मिजोरम के मुद्दे पर घेरने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रतन शारदा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र आर्गनाइज मे एक लेख में लिखा कि भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने जनता की आवाज सुनने की जगह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैन फॉलोइंग की चमक का आंनद ले रहे थे । भाजपा नेता चुनावी सहयोग के लिए स्वयंसेवको तक नहीं पहुंचे । भाजपा ने उन कार्यकर्ताओं को तब्बजो नहीं दी जो जमीन पर काम कर रहे थे । उन कार्यकर्ताओं पर भरोसा जताया जो सेल्फी के सहारे प्रचार कर रहे थे । यह चुनाव परिणाम भाजपा के लिए रियल्टी चैक है । इसके साथ ही संघ के इंद्रेश कुमार ने भाजपा को अंहकारी करार दिया । उन्होंने भगवान राम का जिक्र करते हुए कहा कि प्रभु श्री राम सभी के साथ न्याय करते हैं । उनका न्याय बहुत ही विचित्र है जो 2024 के चुनावों में दिखाई दिया । उन्होंने कहा कि जिन्होंने राम की भक्ति की उनमें अंहकार आ गया तो उनको प्रभु श्री राम ने सबसे बड़ी पार्टी तो बनाया लेकिन वो शक्ति और पूरा हक नहीं दिया जो मिलना चाहिए था । यह सब अंहकार का ही परिणाम है ।

निश्चित रूप से दोनो बयान व संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान तल्ख संगत है । जब पार्टी से बड़ा व्यक्ति हो जाता है और नेता केवल व्यक्ति की ही वंदना शुरु कर देते हैं तो पार्टी जनता में अपना जनाधार खो देती है । इसके साथ ही भाजपा के उम्मीदवारों ने जनता से स्थानीय मुद्दे उठाकर स्थानीय जनता से जुड़ाव न करने के बजाय केवल मोदी की बैसाखियों के सहारे मोदी जाप करते करते संसद में पहुंचने को निश्चित थे कि उनको सांसद बनने से कोई नहीं रोक सकता ‌ । यह प्रधानमंत्री मोदी के अंहकार की पराकाष्ठा ही कहेगे कि भाजपा सरकार को मोदी सरकार में बदल दिया और भाजपा की गारंटी न होकर मोदी की गारंटी हो गई । भाजपा गौण हो गई और चुनाव व्यक्ति पर केन्द्रित कर दिया । गृह जिले झुंझुनूं की बात करें तो हार का कारण भी भाजपा में मची गुटबाजी रही । भाजपा के उम्मीदवार स्थानीय मुद्दों को तब्बजो नहीं दी और मोदी के नाम के जाप करने के साथ ही राष्ट्रीय मुद्दों पर ही अपना ध्यान केन्द्रित रखा । झुंझुनूं लोकसभा के लिए वह रोड मैप नहीं दे पाए जिससे क्षेत्र का विकास हो व मतदाताओं में विश्वास हो कि सांसद बनने के बाद क्षेत्र में विकास करेंगे ।

चुनावी समर में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का यह बयान कि अब भाजपा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जरूरत नहीं है । यह बयान अंहकार की चरम सीमा ही कह सकते हैं । विदित हो भाजपा सदैव ही सिध्दांतों की पार्टी होने के साथ कैडर पर आधारित राजनीतिक दल रहा है व संगठन को विशेष महत्व देने के साथ ही जमीनी जुड़ाव भी रखा है । इसका मूल कारण है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा को संगठन मंत्री देता है और उसी संगठन व अनुशासित कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम था कि पिछले दो आम चुनावों में जबरजस्त जीत हासिल की थी ।

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