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जिले के कोचिंग संस्थानों के मकड़जाल में फंसते बच्चे


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

जिले के कोचिंग संस्थानों के मकड़जाल में फंसते बच्चे

जिले के कोचिंग संस्थानों के मकड़जाल में फंसते बच्चे

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

झुंझुनूं : शिक्षा माफिया ने शिक्षा का व्यवसायीकरण करके शिक्षा को आम आदमी की पकड़ से दूर कर दिया । राजनितिक दल सबका साथ, सबका विकास जैसे नारों से जनता को बरगला कर सता हासिल कर लेते हैं लेकिन इस शिक्षा माफिया पर लगाम लगाना उनके बूते के बाहर है ।‌ अनगिनत प्राईवेट कालेजो व यूनिवर्सिटीयो ने उच्च शिक्षा इतनी महंगी कर रखी है कि आम आदमी वहां अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना तो दूर सपने में भी नहीं सोच सकता है । सरकारी संस्थाओं में दाखिले के लिए कोचिंग सेंटरो का संचालन हो रहा है । गृह जिले झुंझुनूं की बात करें तो बहुत से कोचिंग संस्थान राजस्थान सरकार द्वारा बनाए गये कानून को धता दिखाकर संचालन कर रहे हैं ।

कोचिंग सेंटर के संचालन के लिए 3000 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल न्यूनतम किया गया है । वह भवन जिसमें संस्थान संचालित है वाणिज्य या संस्थान गया शैक्षणिक भू उपयोग में परिवर्तन होना चाहिए । राज्य सरकार के निर्देशानुसार कोचिंग संस्थानों पर भवन विनियमों में संस्थानिक मापदंड लागू होते हैं। इसके अनुसार जहां कोचिंग सेंटर संचालित हो रहा है, वहां की सड़क की चौड़ाई 40 फीट होनी चाहिए, स्वयं के कोचिंग सेंटरों पर दुपहिया और कार पार्किंग भी होनी चाहिए। छात्र-छात्राओं के अनुपात में अलग-अलग शौचालयों का होना आवश्यक है । इसके साथ ही अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था भी अनिवार्य है । कोचिंग सेंटर की खुद की बेब साईट होनी चाहिए जिसमे पढाने वाले पाठ्यक्रम की जानकारी के साथ फीस का भी विवरण होना चाहिए । झुठे लोक लुभावने विज्ञापन देकर बच्चों को नहीं फंसाया जाना चाहिए जैसे संस्थान ने लहराया परचम व मैरिट सूची में स्थान मिला ।

उपरोक्त सरकारी गाईडलाइन व कानून को धता दिखाते हुए जिले में कोचिंग सेंटरों का मकड़जाल फैला हुआ है जो एक या दो कमरों में संचालित है । बहुत से संस्थान तो टावर रुपी बिल्डिंग में संचालित हो रही है जहां मूलभूत उन सुविधाओं का अभाव है जिसके लिए सरकार ने कानून बना रखा है । जिला मुख्यालय पर जो संस्थान सरकारी मानदंडों को पूरा नहीं कर रहे हैं उन पर लगाम लगाने की जरूरत है । विदित हो सूरत में एक कोचिंग संस्थान में आग लगने से बहुत से बच्चों ने अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी थी । इसी को लेकर जिला प्रशासन इस बात को सुनिश्चित करें कि किसी अनहोनी दुर्घटना होकर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ तो नहीं हो रहा है । इसके साथ ही जो संस्थान संचालित है क्या वे रजिस्टर्ड है ? क्या सरकारी मानदंडों को पूरा कर रही है ? क्या यह संस्थान आवासीय कालोनी में तो संचालित नहीं जिसको लेकर वहां रहने वाले लोगों की प्राइवेसी तो डिस्टर्ब नहीं हो रही ?

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