जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : शादी की 50वीं सालगिरह यानी गोल्डन एनिवर्सरी, 50 साल की मेहनत और समर्पण से बनी एक सफल प्रेम कहानी को कहा जाता है। 50वीं शादी की सालगिरह के मील के पत्थर तक पहुँचना एक दुर्लभ और उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो एक भव्य उत्सव की हकदार है। स्वर्णिम वर्षगांठ एक जोड़े के बीच पाँच दशकों के प्यार, प्रतिबद्धता और साझा अनुभवों का प्रतीक है। 50 साल का प्यार, 50 साल की शादी, और 50 साल की अनमोल यादें। सच में जीवन की उल्लेखनीय उपलब्धि है।
प्रोफेसर जयलाल सिंह ने बताया की 1974 में, मैं बी.ए. प्रथम वर्ष का छात्र था। मई 1974 में बी.ए. प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के बाद घर आने को उतावला हो रहा था। घर आने के बाद मुझे पता चला कि घरवालों ने 29 मई की शादी तय कर रखी है। उन दिनों राय, सलाह तथा परामर्श जैसे लफ़्ज़ों का सामाजिक शब्दकोश में स्थान ही नहीं था। वैवाहिक रस्मों रिवाजो की अनभिज्ञता, अधुरा यौवन, सामाजिक, आर्थिक व शारीरिक अपूर्णतायें तथा भविष्य से अन्जान आदि जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में विकलांगता विद्यमान थी। आखिर 29 मई 1974 को इस वैवाहिक बंधन में बांध दिया गया। खुशी की बात यह है कि मेरी शैक्षणिक गतिविधियां सकारात्मक व सतत् चलती रही। नतीज़ा यह रहा कि एम.ए. में प्रथम श्रेणी से सफलता प्राप्त की तथा उसी की बदौलत ही मैं कालेज व्याख्याता बन गया। आज पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए शादी की 50वीं सालगिरह मना रहा हूं। वैवाहिक जीवन की 50वीं सालगिरह मनाते हुए बहुत खुश हूं। वैवाहिक जीवन के इस लम्बे सफ़र की खुशनसीबी पर फक्र है। सफर के इस रहगुजर पर गुजारे लम्हों को जब संकलित करते हैं तो एक खूबसूरत किताब बन जाती है और उसके हर पन्ने पर लिखी तहरीर में महुब्बत व जज्बातों का ही खुलासा होता है, कालिख पोतने का मसला नहीं है। पन्ने पलट के देखते हैं तो एक लाज़वाब और बेहद हसीं जीवन का ही जिक्र होता है। यादों का यह झुरमुट जब दिल की दहलीज पर दस्तक देने लगता है तो बेबाक लेखनी अपनी कवायद शुरू कर देती हैं। बेटे-बहुओं, बेटियां-दामादों, पोते-पोतियों, नातिन-नातियों के साथ रस्में रिवाजों को निभाते हुए आज यह मुकाम हासिल किया है। यकिनन माताजी-पिताजी की दुआएं, भाई-बहनों का प्यार, मित्रों की शुभकामनाएं सगे संबंधियों- रिश्तेदारों का स्नेह, पड़ोसियों का सहयोग तथा सहकर्मियों व विधार्थियों का प्यार भी लम्बे सफ़र के साजो-सामान में शामिल हैं। ~~ प्रो. जयलाल सिंह झुंझुनूं