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बावलेश्वर् महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन


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बावलेश्वर् महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन

बावलेश्वर् महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका

झुंझुनूं : सोमवार को कथावाचक ज्ञान मूर्ति दिवाकर शास्त्री ने माता सती, ध्रुव व विदुर चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाया। कथावाचिका ने कहा कि अगर ध्रुव पांच साल की उम्र में भगवान को पा सकता है, तो फिर हम कैसे पिछड़ सकते हैं। अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति की जाए, तो भगवान खुद अपने भक्तों से मिलने पहुंच जाते है। वहीं विदुर प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम की व्याकुलता के बारे में उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण विदुरजी कुटिया में भोजन करने गए और वहां केले के छिलकों का भोग लेख स्वीकारा। इससे पहले वे दुर्योधन के महल में छप्पन भोग का त्याग कर आए थे। भगवान तो प्रेम के भूखे होते हैं और विदुर-विदुरानी ने भगवान को प्रेम से भोजन करवाया तो उन्होंने केले के छिलके भी प्रेम से खा लिए। कथा के दौरान कथावाचक ज्ञान मूर्ति दिवाकर शास्त्री ने श्रद्धालुओं के समक्ष सृष्टि वर्णन के प्रसंग को भी विस्तार से सुनाया। गिरधर गोपाल एवं पौत्र सुमित, रोहित, मोहित कृपा शंकर, विजय कुमार, गणेश शंकर, गौरी शंकर, रमाकांत, कपिल राकेश, निलेश, आदित्य, समर ( मुदगल ) समस्त बावलिया परिवार मौजूद रहा तथा काफी संख्या में भक्तों ने उपस्थित होकर कथा का आनंद लिया।

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