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गौशाला बनाम डेयरी को सार्थक करती तस्वीर: राजेंद्र प्रसाद शर्मा झेरलीवाला


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गौशाला बनाम डेयरी को सार्थक करती तस्वीर: राजेंद्र प्रसाद शर्मा झेरलीवाला

गौशाला बनाम डेयरी को सार्थक करती तस्वीर: राजेंद्र प्रसाद शर्मा झेरलीवाला

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका 

झुंझुनूं : जिले में अनगिनत गौशालाएं हैं लेकिन गौवंश बाजार में लठ्ठ खाता घूम रहा है।‌ इन गौशालाओं को जिले के उदारमना दानदाताओं का आर्थिक सहयोग इस बात को लेकर मिलता है कि कोई भी असहाय गौवंश घूमता हुआ नजर न आए । लेकिन जिले मे गौशालाओं की आड़ में जो डेयरी का संचालन हो रहा है उस बात पर मुहर लगाती जिले की एक तस्वीर है जिससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि गौसेवा की आड़ में निजी स्वार्थों की पूर्ति हो रही है। पिछले कुछ दिनों से जिले की एक गौशाला में एक विशेष प्रजाति के गौवंश को लाने के समाचार सुर्खियां बटोर रहे हैं। इस विशेष नस्ल के गौवंश के दानदाताओं की लिस्ट भी देखने को मिली और यह भी सुनने को मिला कि उन विशेष नस्ल के गौवंश के दूध पर अधिकार उन दानदाताओं के परिवार का होगा तो निश्चित रूप से मेरी मुहीम पर मोहर लगती है कि गौशालाओं के संचालन की आड़ में डेयरी का संचालन हो रहा है।

गौशालाए किसी की निजी संपत्ति नहीं होती यह सार्वजनिक होती है और हर व्यक्ति जो सनातन धर्म का रक्षक है अपनी हैसियत के अनुसार गौशाला में गौवंश की सेवा में अर्पण करता है। लेकिन उस सामान्य व्यक्ति ने कभी भी हक नहीं जताया होगा कि अमुक गाय का दूध केवल उसी के परिवार के लिए है । यदि यह शर्त है तो यह दान नहीं बल्कि व्यापार हो गया कि पहले निवेश करो और फिर उसका फायदा लो। यदि गौवंश की सेवा के लिए वे भामाशाह जिन्होंने इस विशेष नस्ल की गौवंश को लेकर निवेश किया है तो उसको सार्वजनिक गोशाला के बजाय अपने घर में उसका पालन करें और उसका दूध पीएं । सार्वजनिक स्थलों पर हर व्यक्ति का अधिकार होता है। यदि एक व्यक्ति विशेष का एकाधिकार है तो बाहर लगे बोर्ड पर गोशाला के बजाय डेयरी लिखवा दिया जाए जिससे गौवंश के साथ धोखा न हो।

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