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पिता ने बचपन में छोड़ा,CBSE 12वीं में आए 99.20 %:ज्यूडिशियल सर्विस में जाने का सपना, मां बोली- तलाक के बाद अकेले की परवरिश


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पिता ने बचपन में छोड़ा,CBSE 12वीं में आए 99.20 %:ज्यूडिशियल सर्विस में जाने का सपना, मां बोली- तलाक के बाद अकेले की परवरिश

पिता ने बचपन में छोड़ा,CBSE 12वीं में आए 99.20 %:ज्यूडिशियल सर्विस में जाने का सपना, मां बोली- तलाक के बाद अकेले की परवरिश

बीकानेर : CBSE 12वीं आर्ट्स में बीकानेर की रहने वाली भव्या खंडेलवाल को 99.20 परसेंट अंक मिले है। एक विषय में 100 में से 100 और बाकी में 99 मार्क्स हैं। भव्या ने अपनी मेहनत और बेहतर रिजल्ट से साबित कर दिया कि बेटी भी बेटों से कम नहीं है। साथ ही अपनी मां के 12 साल पहले लिए फैसले को भी सही साबित कर दिया।

भव्या के पैदा होने के बाद उनके माता-पिता के बीच अनबन शुरू हो गई थी। उनके पिता को बेटा चाहिए था। इस कारण भव्या की मां ने अपने पति से तलाक लिया और बेटी खुद परवरिश की। भव्या ज्यूडिशियल सर्विस में जाना चाहती है।

अपनी मां वंदना के साथ भव्या शर्मा।
अपनी मां वंदना के साथ भव्या शर्मा।

पॉलिटिकल साइंस में 100 में से 100

भव्या ने बीकानेर के आरएन आरएसवी स्कूल में पढ़ते हुए इंग्लिश कोर में 99, पॉलिटिकल साइंस में 100, जीयोग्राफी में 99, इकोनोमिक्स में 99, इनफोर्मेटिक प्रेक्टिस में 99 अंक लिए हैं। इससे पहले दसवीं में भी उसने 97.4 परसेंट अंक प्राप्त किए थे। भव्या का कहना है कि दसवीं में ही तय कर लिया था कि बारहवीं में इससे ज्यादा मार्क्स लाने हैं।

भव्या को 99.20 परसेंट अंक आने की खुशी है लेकिन चार सब्जेक्ट्स में 100 में से 99 अंक आने का दुख भी है। भव्या का कहना है मेरे टीचर्स ने मुझ पर इतनी मेहनत की है, इसके बाद भी एक-एक नंबर कम आया, इसका दुख है।

ज्यूडिशयल सर्विस में जाना चाहती भव्या

भव्या ने कहा- मैं ज्यूडिशियल सर्विस में जाना चाहती हूं। वह फिलहाल क्लेट की तैयारी कर रही है। रिजल्ट का इंतजार किए बिना ही वह जयपुर शिफ्ट हो गई, जहां पेईंग गेस्ट (पीजी) में रहते हुए क्लेट की तैयारी कर रही है। भव्या कहती है- ज्यूडिशयल सर्विस और कॉरपोरेट जगत उसका लक्ष्य है। इसके लिए बहुत पहले से तैयारी शुरू कर दी। पॉलिटिकल साइंस और जीयोग्राफी जैसे विषय हमेशा पसंद रहा हैं।

स्कूल में स्कॉलरशिप भी जीत चुकी है भव्या।
स्कूल में स्कॉलरशिप भी जीत चुकी है भव्या।

रटने से नहीं समझने से अच्छे मार्क्स आते

दसवीं में रहते हुए मैंने एनसीईआरटी की बुक्स को बार-बार पढ़ा है। कुछ रिफरेंस बुक्स भी पढ़ी। हर चीज को समझना जरूरी है। अगर आपके पास समय है तो एनसीईआरटी के अलावा कुछ बुक्स को भी पढ़ना चाहिए।

चीजों को रटने से नहीं बल्कि समझने से अच्छे मार्क्स आते हैं। सब्जेक्ट्स भी ऐसे लेने चाहिए, जिसमें आपकी रुचि हो। भव्या कहती है कि मेरी पॉलिटिकल साइंस में रुचि थी, इसलिए मैं इस विषय में सौ में से सौ अंक ला सकी।

चार साल की उम्र में पिता से दूर हुई

हमारे मीडिया कर्मी से बातचीत में बीकानेर के राजकीय महारानी सीनियर सैकंडरी स्कूल में लेक्चरर वंदना खंडेलवाल ने बताया कि बेटी भव्या महज चार साल की थी, तब मेरा पति से तलाक हो गया था। भव्या के पिता बेटी नहीं चाहते थे। उस समय भव्या की महज चार साल की थी।

उसके बाद से अकेले भव्या की परवरिश की थी। भव्या हर क्लास में फर्स्ट डिवीजन नहीं बल्कि फर्स्ट रैंक आती। इस बीच उसे भवई नृत्य सिखाया। कभी ट्यूशन पढ़ाने के लिए ले जाती तो कभी डांस सिखाने के लिए।

खेलकूद हो या फिर कोई अन्य कार्यक्रम, भव्या हमेशा आगे रही।
खेलकूद हो या फिर कोई अन्य कार्यक्रम, भव्या हमेशा आगे रही।

कील से बने स्टेंड पर भी डांस करती भव्या

बारहवीं क्लास में जबर्दस्त मार्क्स लाने वाली भव्या कील से बने स्टेंड पर खड़े होकर भी डांस कर लेती है। लेक्चरर वंदना अपनी बेटी के लिए ही दिन-रात मेहनत कर रही है। सरकारी नौकरी में भी कुछ साल पहले ही चयनित हुई। वंदना कहती है कि मैं आज अपने फैसले के सही साबित होने से खुश हूं।

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