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टीबा बसई में दिन प्रतिदिन गिर रहा है जलस्तर


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टीबा बसई में दिन प्रतिदिन गिर रहा है जलस्तर

जिन कुओं में कभी 200 फिट पर चलते थे 20 नोजल आज 1200 फिट पर चल रहे हैं महज 4 - 5 नोजल

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अनिल शर्मा 

शिमला : ग्राम टीबा व बसई में आज से 15 साल पहले जिन ट्यूबवेल में 200 फुट की गहराई पर 20 नोजल चला करते थे। आज उस ग्राम की स्थिति पूर्णतया बदल चुकी है। यहां पर पहले जब ट्यूबवेल खुदवाया जाता था तो उसमे 100 फीट पर पानी लग जाया करता था। लेकिन दिन प्रतिदिन स्थिति खराब होती गई। और आज 900 फिट से पहले चव्वा भी नहीं आता। इस वर्ष 6 माह में करीब 15 ट्यूबवेल बंद हो चुके हैं। कुछ बंद होने के कगार पर हैं। जिनमे अब तक उनके 18 नोजल पानी था उनमें अब मात्र तीन चार नोजल पानी ही रह गया है। आज केवल पीने के पानी का काम ही चलता है। खेती वीरान होती जा रही है।

किसान सुरेश यादव ने बताया कि उसके एक ट्यूब वेल में 900 फीट पर पानी था वह चला गया। अब उसने दूसरा बोर 1150 फीट करवाया है। जिसमे भी मात्र 8 नोजल ही चलते हैं।किसानों का कहना है कि निजामपुर खेतड़ी रोड से दनचौली हरियाणा सीमा तक करीब 15 टयूबवेल तो फैल हो चुके है। तथा किसान हरिसिंह,बंसीधर, कृष्ण, छाजू राम, गुमाना राम, रामकरण, हरनाथ, सत्यनारायण, श्रीराम, रामस्वरूप, जयसिंह, मालाराम, इंदर हवलदार आदि के बोरबेल भी फेल होने की कगार पर हैं। जिनमे पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है। अनेक किसान लाखों रुपए लगाकर बर्बाद हो चुके हैं। उनके खेतों में पहले 20 मन बीघा के गेहूं होते थे लेकिन अब मात्र 4 से 5 मन ही गेहूं हो रहे हैं। किसान सत्यपाल अवाना ने बताया कि उनके यहां पहले एक बोर था जो 180 फीट ही गहरा था जिसमें पर्याप्त मात्रा में पानी था तथा उससे सिंचाई भी काफी होती थी। लेकिन अब वह है फेल हो गया है। उसने अब दुबारा 1200 फुट का दूसरा बोर करवाया है जिसमें भी मात्र 4 नोजल ही चलते हैं। यहां पर 2018 से पहले 220 पर फीट पर खूब पानी था लेकिन अब 1000 फीट पर भी नहीं है। इन्होंने कुछ दिन पूर्व दूसरा बोर करवाया जिसमें 700 फीट पर पर्याप्त मात्रा में पानी हुआ था लेकिन अब कुछ दिन पूर्व ही पानी की कमी होने के कारण उन्होंने दोबारा से 1200 फुट बोर करवाया जिसमें मात्र चार या पांच नोजल ही चलते हैं। जो 1 घंटे से ज्यादा नहीं चल पा रहे हैं। अन्य किसानों का कहना है कि 17 से 18 बोर इन दो-तीन वर्षों के अंदर-अंदर फेल हो चुके हैं जिनका पानी का स्तर जा चुका है।

यहां के किसान पूरी तरह से इसी पानी पर निर्भर थे यहां गेहूं पर्याप्त मात्रा में होता था लेकिन अबकी बार एक बीघा में मात्र चार या पांच मन से अधिक गेहूं नहीं हो रहा और वह गेहूं की जो क्वांटिटी है वह भी सही रूप से नहीं आ रही है ,यहां का किसान पूरी तरह से इसी पानी पर निर्भर था यही हाल रहा तो यहां का किसान किन हालात से गुजरेगा जिसका अंदाजा भी लगाया नहीं जा सकता है। एक और किसान बलवीर गुर्जर ने बताया कि उनके पहले बोर 700 फीट गहरा था जिसमें पर्याप्त पानी था वह फेल हो गया अब उन्होंने 1100 फिट का दूसरा बोर करवाया है जिसमें भी मात्र 8 नोजल ही पानी निकल रहा है यहां का जलस्तर दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है इसको लेकर किसान चिंतित हैं क्योंकि एक बोर पर 8 से 10 लाख रुपए की लागत आती है जो गरीब किसान के लिए देना सम्भव नहीं है इसका एकमात्र ही समाधान है अगर भारत सरकार से निवेदन कर राज्य सरकार मोडी इलाखर बांध में पानी डाल दे तो इस क्षेत्र के सभी बोर वापस चल सकेंगे तथा सभी में पर्याप्त मात्रा में पानी आने से किसानो के सामने जो रोजी-रोटी का संकट हो गया है वह भी समाप्त हो जाएगा ।

मोडी इलाख़र बांध में पानी डालने से शिमला, दुधवा, गोरीर, मेंहाडा, मोडी, टिब्बा, बसई, किशनपुरा, दलोता, मुकंदपुरा, ठाठवाडी, रामबास, सीहोड तक के लोगों को लाभ मिल सकता है तथा इस क्षेत्र के किसान पुनः आबाद हो सकते हैं। सरकार को यमुना का पानी इलाखर बांध में डालना चाहिए। यदि हरियाणा से यमुना का पानी सीधा इलाखर बांध में डाला जाए तो सरकार को खर्चा भी कम आएगा। तथा पानी पहुंचने में भी सुगमता रहेगी।

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