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बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में स्ट्रिंगस फॉर वॉइसलेस कार्यक्रम का आयोजन


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बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में स्ट्रिंगस फॉर वॉइसलेस कार्यक्रम का आयोजन

स्वर शक्ति की सृजनात्मक मूक पशुओं की औषधि : प्रो. अंबरीश शरण विद्यार्थी, कुलपति

बीकानेर : कला साहित्य एवं संस्कृति विभाग राजस्थान सरकार एवं आइडिया लैब बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय स्ट्रिंगस फॉर वॉइसलेस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि आचार्य राजेंद्र जोशी का सितार वादन स्ट्रिंगस फॉर वॉइसलेस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। आचार्य राजेंद्र जोशी द्वारा सितार वादन स्ट्रिंगस फॉर वॉइसलेस कि प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर सितार और तबले पर पंडित नवरतन द्वारा मनोहक प्रस्तुतियाँ प्रदान की गई। साथ ही कृष्ण कुमार जोशी ने हारमोनियम पर एवं तेजस ने तबले पर भी प्रस्तुतियां प्रदान की। आइडिया लैब के इस नवाचार के अंतर्गत संगीत और मूक पशुओं के आपसी संबंध कि भूमिका पर प्रकाश डाला गया कि मधुर संगीत किस प्रकार पशुओं कि संवेदनाओ कों प्रभावित करता हैं। आइडिया लैब के अंदर बच्चों को किस प्रकार नए आइडिया को इस तकनीक के साथ प्रयोग किया जा सकता है के बारे में भी बताया गया। इस कार्यक्रम में इंजीनियरिंग छात्रों की रचनात्मक, उद्यमशीलता, कौशल को विकसित करने एवं उनकी कल्पना और आइडियाज को मूर्त रूप देने के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया।

कार्यक्रम कों सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो. अंबरीश शरण विद्यार्थी ने स्ट्रिंगस फॉर वॉइसलेस कि अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मधुर संगीत का असर न सिर्फ इंसान बल्कि पशुओं पर भी पड़ता है। जिस तरह मनुष्य संगीत सुनने के बाद अच्छा महसूस करते है। उसी तरह पशुओं में भी मधुर संगीत सुनने के बाद अलग ही खुशी महसूस करते है। इसका धार्मिक ग्रंथों में भी उदाहरण मिल जाता है। भगवान कृष्ण जी की द्वारा बजने वाली धुन सुन गायें चली आती थी। यह कहावत अब वैज्ञानिक दृष्टि से भी सत्य साबित हो रही है। मधुर ध्वनि का प्रभाव पशुओं के मन मस्तिष्क में अच्छा पड़ता है। वह काम इनवाइट रहते हैं और उसके कारण उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।

आचार्य राजेंद्र जोशी ने कहा कि संगीत मूक पशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर शक्तिशाली प्रभाव डाल सकता है। यह उनकी भावनाओं, मनोदशा और विचारों को भी प्रभावित करता है।संगीत मूक पशुओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर शक्तिशाली प्रभाव डाल सकता है। यह उनकी भावनाओं, मनोदशा और विचारों को भी प्रभावित करता है। चिकित्सा में संगीतमय स्वर और धुनें जानवरों में शांतिदायक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न करने में सहायक सिद्ध हुई हैं। संगीत चिकित्सा मूक पशुओं कों लाभान्वित कर रही हैं।संगीत सुनने के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों कों शोध के माध्यम से सिद्ध किया गया है।

आयोजन समिति के अध्यक्ष और कुलपति के ओएसडी डॉ.धर्मेंद्र यादव ने कहा किसंगीत और कुदरत के बीच गहरे एवं अभिन्न रिश्ते का मधुर एहसास हर एक संवेदनशील व्यक्ति महसूस करता है। संगीत को सृष्टि का सृजन कर्ता कहा जाता है। वह जड़ चेतन सभी में व्याप्त है। इस पृथ्वी को संतुलित करने के लिए जीव मात्र की रक्षा के लिए हमें बेजुबान जीव जंतुओं की सेवा सदैव करनी चाहिए। विभिन्न विश्वविद्यालयों में हुए शोध में पशुओं पर संगीत के प्रतिकूल प्रभावों की पुष्टि की गई हैं।

इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. धर्मेन्द्र यादव, डॉ. ममता शर्मा पारीक, नबल सिंह, साकेत जांगिड, नीरज चौधरी, डॉ. अभिषेक पुरोहित एवं अन्य आमंत्रित अतिथि, विद्यार्थी उपस्थित थे।

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