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सऊदी अरब में हुई ऐतिहासिक खोज, मिलीं कई बेशकीमती चीजें, इस्लाम के लिए भी अहम


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सऊदी अरब में हुई ऐतिहासिक खोज, मिलीं कई बेशकीमती चीजें, इस्लाम के लिए भी अहम

सऊदी अरब जेद्दा के पुरातात्विक स्थलों पर खोज की एक योजना लेकर आया था जो कामयाब होती दिख रही है. इसके तहत जेद्दा के चार पुरातत्विक स्थलों से हजारों की संख्या में कलाकृतियों के टुकड़े मिले हैं जिनमें सातवीं और आठवीं शताब्दी की वस्तुएं भी शामिल है. 

रियाद (सऊदी अरब) :पुरातत्वविदों ने सऊदी अरब के दूसरे सबसे बड़े शहर जेद्दा के ऐतिहासिक केंद्र में करीब 25,000 अवशेषों को खोज निकाला है। जेद्दा हिस्टोरिक डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम (जेएचडीपी) ने बताया है कि अवशेषों में करीब 11,400 मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े, 11,400 जानवरों की हड्डियां और करीब 1,700 सीपियां, कांच और धातु से बनी चीजें और कलाकृतियां शामिल हैं। यह खोज 2020 में शहर के ऐतिहासिक स्थल अल-बालाद में हुई खुदाई का नतीजा है। जेएचडीपी ने खोजी गई चीजों को सऊदी अरब में पुरातत्व के क्षेत्र के लिए ‘बहुमूल्य खजाना’ करार दिया है, जिससे इस क्षेत्र में काम कर रहे एक्सपर्ट को खासतौर से फायदा मिलेगा।

इस खोज में सातवीं और आठवीं शताब्दी की कलाकृतियों के हजारों टुकड़े मिले हैं। ये कलाकृतियां अलग-अलग समय की बताई जा रही हैं। इसमें बर्तन, जानवरों की हड्डियां और कांच की कलाकृतियां भी शामिल हैं। साइट से मंगाबी पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थरों से बनी कब्रें भी मिली हैं। इन पर लोगों के नाम, कुरान की आयतें लिखी हैं।

अल-बालाद ऐतिहासिक रूप से जेद्दा के केंद्र के रूप में कार्य करता था, ये शहर 7वीं शताब्दी में लाल सागर के पूर्वी तट पर स्थित था। इस संरक्षित किया गया है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है। 7वीं शताब्दी ईस्वी से इसे हिंद महासागर के व्यापार मार्गों के लिए एक प्रमुख बंदरगाह के रूप में स्थापित किया गया था, जो मक्का तक माल पहुंचाता था। यूनेस्को के विवरण में लिखा है कि यह समुद्र के रास्ते आने वाले मुस्लिम तीर्थयात्रियों के लिए मक्का का प्रवेश द्वार था। इन दोहरी भूमिकाओं ने शहर को एक संपन्न बहुसांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया, जिसकी एक विशिष्ट वास्तुशिल्प परंपरा थी।

अवशेषों से पता चलता है शहर का ऐतिहासिक महत्व

फील्डवर्क ने शहर के पुराने हिस्से में अवशेषों के सबसे नए सेट का खुलासा किया है, जो चार अलग-अलग स्थलों पर केंद्रित था। ये चार केंद्र थे- ओथमान बिन अफ्फान मस्जिद, अल-शोना का पुरातात्विक स्थल, पूर्वी खाई और उत्तरी दीवार का एक खंड। खोजे गए अवशेषों में सबसे पुराना 7वीं और 8वीं शताब्दी का है। ओथमान बिन अफ्फान मस्जिद में पाई गई कलाकृतियों में चीनी मिट्टी के बर्तन और उच्च गुणवत्ता वाले चीनी मिट्टी के टुकड़े शामिल थे। इनमें चीनी प्रांत जियांग्शी में बनी कुछ कलाकृतियां भी शामिल थीं, जो 16वीं-19वीं शताब्दी की हैं।

पुरातत्वविदों ने मेहराब के किनारों पर पाए गए आबनूस के खंभों पर भी विश्लेषण किया, जिससे यह पता चला कि ये 7वीं और 8वीं शताब्दी के हैं। घनी और काली लकड़ी आबनूस श्रीलंका में पाई गई, ये ऐतिहासिक जेद्दा के दूरगामी व्यापार संबंधों को उजागर करती है। अल-शोना के पुरातात्विक स्थल पर शोधकर्ताओं को 13वीं सदी के यूरोप, जापान और चीन के चीनी मिट्टी के बर्तन और अन्य चीनी मिट्टी से बने कई मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े मिले। पुरातत्वविदों ने विभिन्न स्थानों में संगमरमर और ग्रेनाइट जैसी सामग्रियों से बने कई मकबरे पाए। कब्रों के पत्थर 8वीं और 9वीं शताब्दी के हैं, जिन पर कुरान की आयतें लिखी हैं।

सऊदी अरब के जेद्दा में इस्लामी खलीफा युग से संबंधित बड़ी खोज की गई है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से शुरू किए गए ऐतिहासिक जेद्दा पुनरुद्धार कार्यक्रम के तहत यह खोज हुई है जिसमें विभिन्न कलाकृतियों के लगभग 25,000 टुकड़े मिले हैं.

सऊदी अरब की सरकारी प्रेस एजेंसी, सऊदी प्रेस एजेंसी ने बताया कि जेद्दा ऐतिहासिक जिला कार्यक्रम ने सऊदी अरब के विरासत आयोग के साथ मिलकर इस्लामी हिजरी कैलेंडर की पहली दो शताब्दियों सातवीं से आठवीं शताब्दी के समय की इस खोज की घोषणा की है.

जेद्दा पुनरुद्धार कार्यक्रम जनवरी 2020 में शुरू किया गया था जिसका लक्ष्य जेद्दा के चार अहम क्षेत्रों का भौगोलिक सर्वेक्षण कर उनके ऐतिहासिक महत्व को सामने लाना है. ये चार साइट्स हैं- ओतमान बिन अफ्फान मस्जिद, अल शोना, जेद्दा के उत्तरी दीवार का एक हिस्सा और अल किदवा.

नई खोज इन सभी साइटों पर हुई है जिसमें सातवीं और आठवीं शताब्दी की कलाकृतियों के हजारों टुकड़े मिले हैं. ये कलाकृतियां अलग- अलग समय की बताई जा रही है.

ओतमान बिन अफ्फान मस्जिद के एक हिस्से में आबनूस की लकड़ी से बने खंभे मिले हैं जिनका संबंध सिलोन (अब श्रीलंका) से है. इस खोज से पता चला है कि उस दौर में जेद्दा शहर का व्यापार काफी फैला हुआ था.

खोज में क्या-क्या मिला?

खोजकर्ताओं को जेद्दा शहर की ओतमान बिन अफ्फान मस्जिद में मिट्टी के बर्तनों के 11,405 टुकड़े मिले हैं जिनका वजन 293 किलो है. जानवरों की 11,360 हड्डियां मिली है जिनका वजन 107 किलो बताया जा रहा है, 1,730 जानवरों के शरीर के बाहरी खोल मिला है जिनका वजन 32 किलो है, 87 किलो वजन की इमारत बनाने वाली 685 सामग्री मिली है, कांच की 187 कलाकृतियां मिली हैं जिनका वजन 5 किलो है, धातु से बनी 71 कलाकृतियां मिली हैं जिनका वजन 7 किलो है.

खोजकर्ताओं को उसी मस्जिद के स्थान से चीनी मिट्टी के प्यालों का विशाल कलेक्शन और उच्च क्वालिटी पोर्सिलेन से बने महंगे बर्तन भी मिले हैं. इनमें से कुछ बर्तन 16वीं और 19वीं सदी के हैं जिन्हें चीन के प्रांत जियांजी से लाया गया था. ज्यादा पुराने बर्तनों के टुकड़े इस्लामिक युग अब्बासी युग के हैं.

अल शोना के पुरातत्विक साइट से 19वीं सदी के बर्तन के बहुत से टुकड़े मिले हैं जिसमें यूरोप, जापान और चीन से मंगाए गए 19वीं और 20वीं सदी के पोर्सिलेन और चीनी मिट्टी के बर्तन शामिल हैं.

अल किदवा (मक्का गेट) के पास भी खुदाई की गई है जहां 18वीं सदी में पूर्वी भाग में खुदी खाइयां हैं. जेद्दा के विभिन्न पुरातात्विक स्थलों से मंगाबी पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थरों से बने मकबरों के स्तंभ भी मिले हैं. इनपर लोगों के नाम, कुरान की आयतें लिखी हैं जिन्हें लेकर अनुमान है कि वो दूसरी और तीसरी शताब्दी की हैं.

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