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जयपुर आई सबसे बड़ी कुरान, चार लोग खोल पाते हैं पेज


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जयपुर आई सबसे बड़ी कुरान, चार लोग खोल पाते हैं पेज

जयपुर आई 2.5 क्विंटल की कुरान:पेज पलटने के लिए 2 लोग चाहिए, दावा- हाथ से लिखी दुनिया की सबसे भारी कुरान

जयपुर : जयपुर में दुनिया की सबसे बड़ी कुरान चर्चा का विषय बनी हुई है। इसकी लंबाई 10 और चौड़ाई 7 फीट है। इसके एक पेज को खोलने के लिए 4 लोगों को लगना पड़ता है। 64 पेज की इस कुरान में 32 वर्ग हैं। इसे बनाने में एक परिवार के 12 लोगों को 2 साल लगे। इसके हर वर्ग का डिजाइन अलग-अलग है। वजन ढाई से तीन क्विंटल है। कुरान बनाने वाले मौलाना जमील कादरी चिश्ती टोंकी का दावा है कि ये दुनिया की सबसे बड़ी कुरान है। मंगलवार को रमजान के पहले रोजे पर टोंक से इस कुरान को रविंद्र मंच पर लाया गया।कुरान मजीद को हैंडमेड पेपर से बनाया गया है।

18 सीट को जोड़कर एक पेज बनाया है। वहीं इस कुरान मजीद में हर लाइन को अलिफ से शुरू किया है, हर पेज में 41 लाइन हैं। ये कुरान राजस्थान मौलाना अब्दुल कलाम आजाद अरबिक पर्शियन रिसर्च इंस्टीट्यूट, टोंक की ओर से शहरवासियों के लिए प्रदर्शित की गई है। इसे रवींद्र मंच की हीरक जयंती के अवसर पर आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय ‘रंग उत्सव’ में देखा जा सकता है।

ख्वाजा बाघ सेवा डिस्ट्रिक्ट, चित्तौड़गढ़ के हाजी मोहम्मद शेर खान ने मौलाना जमील अहमद टोंक की देखरेख में इसे तैयार करवाया है। मौलाना ने बताया कि हाथ से लिखी इस कुरान के लिए स्पेशल हाथ से बना कागज प्रयोग किया है।

सांगानेर में तैयार इस कागज की उम्र करीब 400 वर्ष है, अगर इसे डिस्प्ले में रखा जाए तो इसका 1 हजार साल तक कुछ नहीं बिगड़ेगा। वर्ष 2012 में बनाना शुरू किया था, जो 22 जनवरी 2014 को तैयार हुई थी। भाई ने इस कुरान को हाथ से लिखा, बेगम और बेटों ने कागज को काटा और जोड़ा, बेटियों ने इसमें रंग भरे हैं। सभी पृष्ठों पर अलग-अलग फूलों की नक्काशी की गई है। इसमें इस्तेमाल की गई स्याही जर्मनी से लाई गई थी। कवर पर शीर्षक ‘कुरान ए करीम’ चांदी से अंकित किया है।

मौलाना जमील कादरी चिश्ती टोंकी ने बताया कि इस कुरान की हर लाइन अरबी के अलिफ अक्षर (लफ्ज़) से शुरू होती है, इसलिए इसे अल्फ़ी कुरआने करीम भी कहते हैं। इसमें हर पेज में 41 लाइनें हैं। जिल्द पर चांदी के कोने और गोल्डन प्लेट लगी हुई है। खोलने और बन्द करने के लिए पीतल के कब्जों का इस्तेमाल किया गया है। इस कुरान के एक पेज को पलटने में या खोलने में 2 आदमी लगते हैं और जिल्द खोलने के लिए 6 लोगों की जरूरत होती है।

पढ़िए कैसे बनी अनोखी कुरान और क्या है इसकी खासियत…

अक्टूबर 2014 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी कुरान देखी थी। पास खड़े हैं कुरान बनाने वाले मौलाना जमील कादरी चिश्ती टोंकी।
अक्टूबर 2014 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी कुरान देखी थी। पास खड़े हैं कुरान बनाने वाले मौलाना जमील कादरी चिश्ती टोंकी।

हाथ से लिखी कुरान, कागज भी हैंडमेड

मौलाना जमील कादरी चिश्ती टोंकी का दावा है कि यह हाथ से लिखी हुई दुनिया की सबसे बड़ी और भारी कुरान है। इसका डिजाइन भी कम्प्यूटर से नहीं, बल्कि हाथ से बनाया गया है। कागज भी हैंडमेड हैं, जो सांगानेर के सलीम कागजी की कंपनी में बने हैं। इसे लिखने वाले टोंक के ही गुलाम अहमद हैं।

22 जनवरी 2014 से राजस्थान मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबिक प्रशीयन रिसर्च इंस्टीट्यूट, टोंक (APRI) में हाजी मोहमद शेर खां साहब की इजाजत से नुमाइश में रखा हुआ है। इस कुरान को अब तक दुनिया भर के अलग अलग देशों से आए लाखों रिसर्च स्कॉलर देख चुके हैं। इतना ही नहीं 10 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी इसे देख चुके हैं।

मौलाना जमील टोंकी ही ने उप राष्ट्रपति को इसकी कैलीग्राफी, नक्काशी, जिल्दसाजी और साइज के लिहाज से नायाब कुरआने करीम की जियारत करवाई थी।

मौलाना जमील की बेटियों ने भी किया सहयोग

इस अल्फी कुरान को भी मौलाना जमील की बेटियों ने अपने भाइयों, चाचा और अब्बा के साथ मिलकर लिखा और सजाया है। हाफिज कारी खत्तात (कैलिग्राफिस्ट) गुलाम अहमद ने किताबत, नक्शो निगारी और जिल्द वगैरह मौलाना जमील अहमद के सुपरविजन में तैयार किया है।

इसमें खत्तात खुर्शीद आलम, जफर रजा खान, नाजिम अशरफी, अखतर जहां, नजमुस्सहर, गिजाला परवीन, फाएजा परवीन, हाफिज कारी हाजी उमर दराज ने डिजाइनिंग की है।

मौलाना जमील टोंकी ने बताया कि कुछ साल पहले अफ़ग़ानिस्तान में 7 फुट लम्बा कुरआने करीम तैयार हुआ था। इसी से उन्हें प्रेरणा मिली। दावा है कि तीन लाख से ज्यादा लोग इसको देख चुके हैं।

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