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झुंझुनूं (उदयपुरवाटी) : 7 साल की बेटी ने शहीद को दी मुखाग्नि:आखिरी बार पिता के गालों को चूमा; 11 महीने पहले चाचा की भी हुई शहादत


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झुंझुनूं (उदयपुरवाटी) : 7 साल की बेटी ने शहीद को दी मुखाग्नि:आखिरी बार पिता के गालों को चूमा; 11 महीने पहले चाचा की भी हुई शहादत

7 साल की बेटी ने शहीद को दी मुखाग्नि:आखिरी बार पिता के गालों को चूमा; 11 महीने पहले चाचा की भी हुई शहादत

झुंझुनूं (उदयपुरवाटी) : झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी के शहीद सैनिक जय सिंह का अंतिम संस्कार शुक्रवार को किया गया। दोपहर 2.30 बजे पार्थिव देह को जवान की 7 साल की बेटी डॉली ने मुखाग्नि दी और पिता के माथे को चूमा तो वहां मौजूद लोगों के आंसू छलक पड़े। सिर्फ 11 महीनों में अपने दो फौजी बेटों को खो चुके किसान ताराचंद पर तो जैसे दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा।

अंतिम संस्कार से पहले शहीद जय सिंह की 7 साल की बेटी को सैन्य अधिकारी ने तिरंगा सौंपा। बेटी के साथ पति के अंतिम दर्शन करने आई वीरांगना सोनू का भी रो-रोकर बुरा हाल था। उन्होंने कहा कि वे अपनी बेटी डब्बू (डॉली) को भी अफसर बनाएगीं। शहीद जय सिंह को आखिरी सलामी देने राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी पहुंचे।

इससे पहले सुबह गुढ़ागौड़जी (झुंझुनूं) से दूड़ियां गांव तक तिरंगा यात्रा निकाली गई। यात्रा सुबह 9.30 बजे गुढ़ागौड़जी से शहीद के पैतृक गांव दूड़ियां के लिए रवाना हुई थी। जय सिंह को फिजिकल ट्रेनिंग के दौरान बेंगलुरु में हार्ट अटैक आ गया था। उनकी अंतिम यात्रा में जिलेभर से बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और युवा शामिल हुए। जय सिंह अमर रहें.., भारत माता की जय… के नारों से इलाका गूंज रहा था।

शहीद जय सिंह को सेना की ओर से सलामी दी गई। इसके बाद बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी।
शहीद जय सिंह को सेना की ओर से सलामी दी गई। इसके बाद बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी।

शहीद की पार्थिव देह उनके घर पहुंची तो चीख-पुकार मच गई। घर-गांव में मातम छा गया। एक परिवार ने अपने बेटे तो दूसरे परिवार ने अपने दामाद देश के लिए न्योछावर कर दिए। दोनों शहीदों की पत्नियां सगी बहनें हैं।

बेटे की पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए पिता पहुंचे तो उनकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। पत्नी सोनू बेसुध भी हो गईं। वहां मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें तब और भर आईं, जब शहीद की मासूम बेटी को पिता के अंतिम दर्शन के लिए लाया गया और उसने पिता के गालों को आखिरी बार छूती बेटी को देखकर हर कोई सिहर गया। गांव के ही श्मशान घाट पर शहीद का अंतिम संस्कार किया गया।

इससे पहले गुरुवार शाम 6 बजे पार्थिव देह जयपुर लाई गई। इसके बाद सड़क मार्ग से रात 10.30 बजे गुढ़ागौड़जी (झुंझुनूं) थाने पहुंची। शहीद को सम्मान देने के लिए जाट रेजिमेंट की टुकड़ी देर रात ही गुढ़ागौड़जी पहुंच चुकी थी।

शहीद जय सिंह की अंतिम दर्शन करती बेटी डॉली (7)। वीरांगना का कहना है कि वह अपनी बेटी को भी आर्मी में अफसर बनाएंगी।
शहीद जय सिंह की अंतिम दर्शन करती बेटी डॉली (7)। वीरांगना का कहना है कि वह अपनी बेटी को भी आर्मी में अफसर बनाएंगी।

शहीद जयसिंह 106 पैरा (टीए) एयरबोर्न बेंगलुरु सेंटर में तैनात थे। गुरुवार को जय सिंह का फिजिकल टेस्ट चल रहा था। इस दौरान वे अचेत होकर गिर पड़े। उन्हें बेंगलुरु के आर्मी हॉस्पिटल ले जाया गया,जहां उनका निधन हो गया। डॉक्टर ने बताया कि जवान का निधन हार्ट अटैक से हुआ।

जवान के अंतिम दर्शन के लिए आम लोगों के साथ जनप्रतिनिधि भी पहुंचे। राजस्थान सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भी जवान को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
जवान के अंतिम दर्शन के लिए आम लोगों के साथ जनप्रतिनिधि भी पहुंचे। राजस्थान सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भी जवान को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

शहीद जय सिंह अमर रहे के नारे
सुबह 9.30 बजे रवाना हुई तिरंगा यात्रा उदयपुरवाटी उपखंड के गुढ़ागौड़जी थाने से रवाना हुई। सैन्य वाहन को फूलों से सजाया गया। शहीद की पार्थिव देह उनके गांव दूड़ियां ले जाते समय रास्ते में जगह-जगह उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

गुढ़ागौड़जी से दूड़ियां गांव की दूरी 5 किलोमीटर है। ऐसे में आस-पास के गांवों के लोग सड़क के दोनों तरफ तिरंगे और फूल लेकर खड़े थे। सैन्य वाहन के गुजरते ही शहीद के नारे लगे और लोग तिरंगा यात्रा के साथ चल पड़े। जयपुर से आई जाट रेजिमेंट की टुकड़ी गार्ड ऑफ ऑनर देगी।

तिरंगा यात्रा के लिए सजाया गया वाहन। शहीद जयसिंह की पार्थिव देह को इस वाहन से तिरंगा यात्रा के साथ पैतृक गांव ले जाया जा रहा है।
तिरंगा यात्रा के लिए सजाया गया वाहन। शहीद जयसिंह की पार्थिव देह को इस वाहन से तिरंगा यात्रा के साथ पैतृक गांव ले जाया जा रहा है।

2013 में दोनों भाइयों की शादी हुई, दोनों शहीद
शहीद जयसिंह और उनके छोटे भाई पिंटू कुमार की शादी 2013 में किठाना निवासी सगी बहनों सोनू और वर्षा से हुई थी। जय सिंह के छोटे भाई पिंटू कुमार अप्रैल 2021 में आगरा में सैन्य अभ्यास के दौरान चोट लगने से घायल हो गए थे। वे नवंबर 2021 में शहीद हो गए। परिवार इस दुख से उबरा भी नहीं था कि बड़े बेटे की देह तिरंगे में लिपटकर आ गई।

एक साल में दोनों भाई देश के लिए शहीद हो गए। दोनों भाइयों की शादी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पैतृक गांव किठाना में हुई थी।
एक साल में दोनों भाई देश के लिए शहीद हो गए। दोनों भाइयों की शादी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पैतृक गांव किठाना में हुई थी।
तिरंगा यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। यह यात्रा करीब 5 किमी तक निकाली गई।
तिरंगा यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। यह यात्रा करीब 5 किमी तक निकाली गई।

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