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Dr. Abdul Kalam Azad Birth Anniversary: मिसाइल मैन की जयंती पर ही क्यों मनाते हैं ‘विश्व छात्र दिवस’? जानें उनके जीवन के दिलचस्प किस्से


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Dr. Abdul Kalam Azad Birth Anniversary: मिसाइल मैन की जयंती पर ही क्यों मनाते हैं ‘विश्व छात्र दिवस’? जानें उनके जीवन के दिलचस्प किस्से

Dr. Abdul Kalam Azad Birth Anniversary: मिसाइल मैन की जयंती पर ही क्यों मनाते हैं ‘विश्व छात्र दिवस’? जानें उनके जीवन के दिलचस्प किस्से

Dr. Abdul Kalam Azad Birth Anniversary:  ‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर भारत रत्न विजेता एवं पूर्व भारतीय राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आजाद की 15 अक्टूबर 2022 के दिन 91वीं जयंती मनाने की तैयारियां चल रही हैं. गौरतलब है कि डॉ. अब्दुल कलाम की यह जयंती पूरी दुनिया ‘विश्व छात्र दिवस’ के रूप में मनाती है. किसी भी भारतीय शख्सियत के लिए इससे अच्छा गौरवान्वित करने वाला सम्मान और क्या हो सकता है. हालांकि यह मुकाम हासिल करने के लिए डॉक्टर कलाम ने अथक मेहनत और संघर्ष करना पड़ा. आइये जानें विश्व छात्र दिवस के प्रणेता डॉ अब्दुल कलाम आजाद के छात्र जीवन के यादगार, प्रेरक एवं रोचक पल

क्यों मनाते हैं इस दिन ‘विश्व छात्र दिवस’?

भारत के लिए यह सुखद दिन है कि जब हम अपने ‘मिसाइल मैन’ एवं पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की वर्षगांठ मना रहे होते हैं, उस दिन विश्व के अधिकांश देशों में एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में ‘विश्व छात्र दिवस’ मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने डॉ अब्दुल कलाम आजाद को दुनिया भर के छात्रों को प्रेरित करने वाले छात्र के रूप में सम्मानित करते हुए 15 अक्टूबर 2010 से ‘विश्व छात्र दिवस’ मनाने की घोषणा की. गौरतलब है कि अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था. यह दिवस मनाने का मकसद शिक्षा और छात्रों के प्रति अब्दुल कलाम के कार्यों को स्वीकारने एवं सराहना की है

अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन!

अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को देश के हिंदू तीर्थ स्थल पंबन द्वीप (रामेश्वरम) में एक गरीब तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ था. पिता, जैनुलाब्दीन मराकायर एक फेरी (नौका) के मालिक थे, और रामेश्वरम और धनुषकोडी के बीच पर्यटकों को सैर करवाते थे, साथ ही स्थानीय मस्जिद में इमाम के रूप में भी कार्यरत थे. कलाम की माँ अशिअम्मा एक सामान्य हाउस वाइफ थीं. अब्दुल कलाम चार भाइयों एवं एक बहन में सबसे छोटे थे, इसलिए सभी उन्हें बहुत प्यार करते थे.

छात्र जीवन!

अब्दुल कलाम ने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली (मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध) से भौतिकी में स्नातक किया. 1955 में मद्रास प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी. एक बार विश्वविद्यालय के एक परियोजना पर वे काम कर रहे थे, तब उनके डीन उनसे नाराज होकर तीन दिन में काम पूरा करने की चेतावनी दी. अब्दुल कलाम ने तीन दिन में जब कार्य पूरा करके दे दिया तो डीन बहुत खुश हुए.

बॉस हो तो ऐसा!

उन दिनों अब्दुल कलाम डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation) के डायरेक्टर थे. यहां डॉ कलाम के अधीन 60-70 वैज्ञानिक काम करते थे. एक दिन एक जूनियर साइंटिस्ट ने कलाम से प्रार्थना की कि वह शाम को घर जल्दी जाना चाहता है, क्योंकि उसे अपने बच्चे को विज्ञान प्रदर्शनी लेकर जाना था. कलाम साहब ने अनुमति दे दी. लेकिन जूनियर साइंटिस्ट अपने प्रोजेक्ट में ऐसा उलझा रहा कि घर जाना भूल गया. जैसे ही उसका प्रोजेक्ट पूरा हुआ, वह घर की ओर भागा, लेकिन वह काफी लेट हो चुके थे. घर वालों ने बताया कि डॉक्टर कलाम स्वयं बच्चे को प्रदर्शनी दिखाने के लिए लेकर गए हैं.

मुफ्तबाजी पसंद नहीं थी

एक बार डॉ कलाम इरोड (तमिलनाडु) सौभाग्य इंटरप्राइजेज प्रा लि के एक इवेंट में गये हुए थे. इवेंट के आयोजक डॉ. कलाम को साक्षात देखकर खुशी से फूले नहीं समाए. इवेंट में डॉ कलाम को एक ग्राइंडर पसंद आ गया. उन्होंने उसे खरीदने की इच्छा जाहिर की. कंपनी वाले तुरंत ग्राइंडर को पैक करवाकर डॉ कलाम को गिफ्ट कर दिया, लेकिन डॉ कलाम मुफ्त में नहीं चाहते थे. उन्होंने ग्राइंडर की कीमत 4850 रुपये का चेक काटकर उन्हें दिया. बताया जाता है कि कंपनी के प्रोपाइटर ने उस चेक को फ्रेम करवाकर अपनी कंपनी में रख दिया.

चिंता पक्षियों की

यह घटना भी डीआरडीओ के समय की है. किसी बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए बाहरी दीवारों पर कांच के टुकड़े लगाने की अनुमति डॉ कलाम से मांगी गई. लेकिन उन्होंने इस बात की अनुमति देने से मना करते हुए बताया कि जब उस दीवार पर पक्षी बैठेंगी तो वे घायल हो सकती हैं.

राष्ट्रपति बनकर भी नहीं भूले गरीब मित्रों को

राष्ट्रपति बनने के बाद एक बार डॉ कलाम को एक इवेंट में शामिल होने के लिए केरला राजभवन त्रिवेंद्रम आमंत्रित किया गया. उन्हें दो पास मिले थे, जिस पर वे किसी को भी ले जा सकते थे. वह इस इवेंट में एक मोची को और एक छोटे रेस्टोरेंट के मालिक को साथ लेकर गये. दरअसल डॉ कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी संघर्ष का वक्त गुजारा था, ये दोनों व्यक्ति उनके उस समय के मित्र थे. यानी राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्हें अपने वे दोस्त याद थे.

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