गिरदावरी नहीं मिलने से किसान उठा रहे नुकसान:असिंचित खेतों के काश्तकार चुका रहे सिंचित दरों से राजस्व, डाटा लॉक
गिरदावरी नहीं मिलने से किसान उठा रहे नुकसान:असिंचित खेतों के काश्तकार चुका रहे सिंचित दरों से राजस्व, डाटा लॉक

झुंझुनूं : राजस्व विभाग की पहल पर खेतों की गिरदावरी रिपोर्ट को ऑनलाइन करना सरकार का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा था, लेकिन इसी नवाचार ने राजस्व विभाग व किसानों को संकट में डाल दिया है। पिछले तीन साल की गिरदावरी रिपोर्ट राजस्व विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। ऐसे में गिरदावरी रिपोर्ट से होने वाले सभी कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
इससे किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। बताया जाता है कि सरकार ने ऑनलाइन गिरदावरी रखने का जिम्मा राजस्व अधिकारी एप के माध्यम से निजी कम्पनी को दिया था। कम्पनी का बकाया भुगतान नहीं होने से पिछले तीन वर्षों की गिरदावरी का डाटा कम्पनी ने लॉक कर दिया है।
इसका राजस्व विभाग के पास कोई बेकअप प्लान नहीं होने से सभी गिरदावरी डाटा राजस्व विभाग के हाथ से निकल गए हैं। इसका खामियाजा सीधा काश्तकार को भुगतना पड़ रहा है। गिरदावरी रिपोर्ट नहीं मिलने से असिंचित खेतों के काश्तकार सिंचित दरों से राजस्व चुका रहे है। असिंचित किस्म का पंजीयन शुल्क सिंचित किस्म की जमीन की बजाय काफी कम होता है। लेकिन गिरदावरी रिपोर्ट नहीं होने से पंजीयन के समय सभी काश्तकारों से सिंचित किस्म का ही पंजीयन शुल्क वसूला जा रहा है।
ये काम ठप हुए
किसान को बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड लेना हो, फसल का बीमा करवाना हो या जमीन की खरीद- बेचान करना हो। इन सभी कार्यों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज गिरदावरी है। गिरदावरी डाटा लॉक होने के कारण किसान के पास यह दस्तावेज नहीं है। पटवारी से लेकर तहसीलदार तक इस मामले में किसान की मदद करने में असमर्थ है।
झुंझुनूं तहसीलदार ने बताया कि इस सम्बंध में जिला कलक्टर को पत्र लिखा जा चुका है। उच्च स्तरीय मामला है।