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हिंदी में कमजोर थी इसलिए पहले RAS नहीं बन पाईं:इंजीनियरिंग के बाद कॉलेज में सबसे ज्यादा पैकेज मिला, नौकरी छोड़कर 5 साल तैयारी की; 13वीं रैंक आई


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हिंदी में कमजोर थी इसलिए पहले RAS नहीं बन पाईं:इंजीनियरिंग के बाद कॉलेज में सबसे ज्यादा पैकेज मिला, नौकरी छोड़कर 5 साल तैयारी की; 13वीं रैंक आई

हिंदी में कमजोर थी इसलिए पहले RAS नहीं बन पाईं:इंजीनियरिंग के बाद कॉलेज में सबसे ज्यादा पैकेज मिला, नौकरी छोड़कर 5 साल तैयारी की; 13वीं रैंक आई

जयपुर : आरएएस परीक्षा 2021 का रिजल्ट घोषित हो गया। इसमें जयपुर की दीपशिखा कालवी ने पूरे प्रदेश में 13वीं रैंक हासिल की है। दीपशिखा नागौर जिले के कालवी गांव की रहने वाली हैं। पूर्व मंत्री स्व. कल्याण सिंह कालवी की पोती हैं। सीनियर सेकेंडरी और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियर करने के बाद दीपशिखा ने एक साल टीसीएस में काम किया, लेकिन वहां से जॉब छोड़कर वापस अपने घर लौट आईं। 5 साल कड़ी मेहनत करने के बाद दूसरे अटेम्ट में इस मुकाम को हासिल किया।

दीपशिखा अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। साल 2003 पिता के शांत होने के बाद उनकी मां ने पढ़ाई का जिम्मा उठाया। इसके बाद दीपशिखा का विवाह जयपुर के राजवेंद्र सिंह के साथ हुआ। हिंदी में कमजोर होने के कारण पहले चांस में वह मैन परीक्षा में 7 नंबर से रह गई थीं। उन्होंने अपनी इस कमजोरी को पति के मार्गदर्शन में दूर किया।

हमारी मीडिया टीम से बातचीत में शिखा ने बताया कि उनको और उनके परिवार को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वे 13वीं रैंक हासिल करेंगी। हालांकि इतना विश्वास था कि इस चांस में वे इस पेपर को जरूर पास कर लेंगी। आगे पढ़िए दीपशिखा की कहानी उन्हीं की जुबानी…

दीपशिखा कालवी के आरएएस पेपर क्लीयर करने के बाद मिठाई खिलाकर बधाई देती उनकी परिवार की सदस्य।
दीपशिखा कालवी के आरएएस पेपर क्लीयर करने के बाद मिठाई खिलाकर बधाई देती उनकी परिवार की सदस्य।

गांधी धाम से नौकरी छोड़कर जयपुर पहुंची
मैंने बीकानेर के सोफिया स्कूल से 12वीं पास की है। इसके बाद 2016 में ही बीकानेर सरकारी कॉलेज से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की। मैरा कैंपस प्लेसमेंट में HP, TCS समेत एक अन्य कंपनी में हो गया था। उस समय मैं अपने बैच में सबसे ज्यादा पैकेज लेने वाली स्टूडेंट थी। तीनों कंपनियों में सलेक्ट होने के बाद गांधी धाम में आईटी कंपनी टीसीएस ज्वाइन की। यहां मैंने करीब एक साल (2017) काम किया। फिर मां से दूर होने के चलते नौकरी छोड़ दी। जयपुर आकर कोचिंग जॉइन करके आरएएस की तैयारी की। साल 2018 में निकली भर्ती में पहली बार आरएएस की परीक्षा दी।

फेल होने के बाद मंगेतर ने दिया साथ

2018 की भर्ती में प्री-पेपर पास करने के बाद मैंस में 7 नंबर से रह गई। मेरी हिंदी इतनी कमजोर थी कि लिखने में परेशानी होती थी। इस कारण टाइमिंग नहीं बैठ सकी। एग्जाम में लिख कम सकी। इस कारण मेंस एग्जाम पास नहीं हो सका। इसके बाद 2021 की भर्ती आई। तब मैंने पूरा फोकस हिंदी पर रखा। प्री-क्लीयर करने के बाद जब मेंस एग्जाम पास आए। तब मंगेतर ने मेरी बहुत मदद की। वे मुझे हर रोज कुछ न कुछ नया आर्टिकल लिखने के लिए बोलते थे। इससे मेरी हिंदी ठीक हुई। लिखने की टाइमिंग में भी सुधार आया।

मेंस पेपर के बाद इंटर्नशिप प्रोग्राम से जुड़ी, इसका फायदा इंटरव्यू में मिला
मेंस का एग्जाम देने के तुरंत बाद मैंने एक एनजीओ के जरिए इंटर्नशिप प्रोग्राम के जरिए पंचायती राज संस्थान में काम किया। स्वच्छ भारत मिशन के सब्जेक्ट पर रिमोट लोकेशन में काम किया। वहां की वर्किंग को देखा। इस दौरान सरकारी काम-काज को बारीकी से देखा। इससे प्रोजेक्ट को तैयार करने और उसके इम्प्लीमेन्ट करने के तरीके सीखे। इसका फायदा मुझे आरएएस इंटरव्यू में मिला। इंटरव्यू के दौरान अधिकांश सवाल इन्हीं के बारे में पूछे गए, जिनका मुझे आसानी से जवाब दिया।

दीपशिखा का विवाह जयपुर के राजवेंद्र सिंह के साथ हुआ।
दीपशिखा का विवाह जयपुर के राजवेंद्र सिंह के साथ हुआ।

मैं चाहता हूं ये आईएएस की तैयारी करें

शिखा के पति राजवेन्द्र साल 2018 आरएएस भर्ती में 99वीं रैंक हासिल करके तहसीलदार बने थे। हाल ही में उनकी पोस्टिंग जयपुर जेडीए में हुई है। उन्होंने बताया कि उन्हें खुशी है कि उनकी पत्नी उनसे ऊंची पोस्ट पर गई है। उन्होंने कहा कि मेरी इच्छा है कि शिखा आईएएस की तैयारी करे।

इंटरव्यू में पूछे ये सवाल

  • हमारी मीडिया टीम से बातचीत में दीपशिखा ने अपने आरएएस इंटरव्यू में पूछे गए सवाल और उन पर दिए जवाबों के अनुभव भी शेयर किए। दीपशिखा ने बताया- जिस समय उनका इंटरव्यू था उस समय में महिला आरक्षण बिल आया ही था। उससे संबंधित कुछ सवाल पूछे, जिनका उन्होंने जवाब दिया। शिखा ने बताया कि बिल के बारे में मुझे अखबार और दूसरे सोर्स से थोड़ी-थोड़ी जानकारी मिली थी।
  • इसी तरह पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी राजस्थान की भौगोलिक स्थिति और कल्चर पर भी सवाल पूछा कि इसमें क्या अंतर है। इस सवाल पर दीपशिखा ने जवाब देते हुए कहा कि एक तरफ पश्चिमी राजस्थान का अधिकांश हिस्सा डेजर्ट है तो दूसरी तरफ पूर्वी राजस्थान के हिस्से में पहाड़ के साथ ग्रीनरी है। इसके साथ ही यहां और वहां के कल्चर में भी बहुत अंतर है।
  • इसी तरह राजस्थान में अलग-अलग समय पर लगने वाले मेलों के संबंध में भी सवाल पूछा गया, जिसका उन्होंने जवाब दिया। साथ ही ई-गर्वनेंस के बारे में पूछा कि इसके बारे में आप कितना जानती है। अगर इसमें कोई सुधार करना हो तो आप क्या करेंगी।

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