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आर्शीवाद के बहाने बटोरेंगे वोट:शादि समारोह नेताओं के लिए संजीवनी साबित होंगे, आचार संहिता नहीं आएगी आड़े


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आर्शीवाद के बहाने बटोरेंगे वोट:शादि समारोह नेताओं के लिए संजीवनी साबित होंगे, आचार संहिता नहीं आएगी आड़े

आर्शीवाद के बहाने बटोरेंगे वोट:शादि समारोह नेताओं के लिए संजीवनी साबित होंगे, आचार संहिता नहीं आएगी आड़े

झुंझुनूं : आम दिनों में शादी समारोह में नेताओं को बुलाने की काफी मिन्नतें करनी पड़ती हैं, लेकिन अबकी बार एक बुलावे में नेता दौड़े चले आएंगे। ना बुलाओ तो भी किसी ना किसी बहाने पहुंच ही रहे हैं। चुनावी मौसम होने से शादी समारोह में नेताओं की खूब धूम रहने वाली है। शादी समारोह चुनावी दंगल में उतर रहे नेताओं के लिए संजीवनी साबित होंगे।

आर्शीवाद के बहाने नेताजी खूब वोट बटोरेंगे। दरअसल 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी का अबूझ सावा है तो 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव। ऐसे में विवाह समारोह में शामिल होकर अपने मतदाताओं को रिझाने से नेता नहीं चूकेंगे।

असल में मतदान समाप्ति से 48 घंटे पूर्व प्रचार बंद हो जाएंगे। ना प्रत्याशी कोई सभा कर सकेगा ना ही क्षेत्र में घूमकर वोट मांग सकेगा। ऐसे में इस बार देवउठनी एकादशी पर होने वाले विवाह सभी प्रत्याशियों के जनसम्पर्क का बड़ा जरिया बनेंगे। शादी-विवाह में जाने से आदर्श आचार संहिता भी आड़े नहीं आने वाली है। औसतन एक शादी में जाने पर दो-चार सौ लोगों से जन संपर्क तो हो ही जाएगा, दो दिन बाद होने वाले चुनाव में कोई भी प्रत्याशी किसी भी शादी को नहीं छोड़ने वाला है।

शादी से पहले सगाई- लगन हो या बाद का आशीर्वाद समारोह/भोजन, मतदाताओं को रिझाने के चलते लगभग सभी प्रत्याशियों का इन दिनों रूटीन व्यस्त रहेगा। पहले प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख 23 नवंबर तय की गई थी लेकिन अबूझ सावा होने की वजह से चुनाव की तिथि 23 के बदले 25 नवंबर की गई है।

शादियों में प्रत्याशी मांगते दिखेंगे वोट

प्रचार बंद होने पर प्रत्याशियों के लिए शादी-विवाह सहित अन्य आयोजनों में भागीदारी बढ़ जाएगी। नाते-रिश्तेदार की शादी हो या जानकार की, हर विवाह में उपस्थिति देकर वोट बैंक मजबूत करने की बेला आने वाली है।

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