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150 फीट तक बहते चले गए:साड़ी व रस्सी के सहारे बचाया, 15-20 मिनट बाद दो बच्चों के बहने का पता लगा, पिता बोले-बच्चों से कहा था घर चले जाओ


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150 फीट तक बहते चले गए:साड़ी व रस्सी के सहारे बचाया, 15-20 मिनट बाद दो बच्चों के बहने का पता लगा, पिता बोले-बच्चों से कहा था घर चले जाओ

150 फीट तक बहते चले गए:साड़ी व रस्सी के सहारे बचाया, 15-20 मिनट बाद दो बच्चों के बहने का पता लगा, पिता बोले-बच्चों से कहा था घर चले जाओ

कोटा : तीये के दिन मुक्तिधाम से क्रिया कर्म करके राख को विसर्जित करने नहर में आए 8 लोग पानी में डूब गए। इनमें से कुछ लोग करीब 150 फीट की दूरी तक चले गए। जिन्हें राहगीरों ने साड़ी व रस्सी के सहारे बाहर निकाला। लेकिन 2 युवक पानी के बहाव में बह गए। शनिवार शाम 6 बजे तक SDRF व निगम की गोताखोर टीम दोनों युवकों को तलाश करती रही। आज सुबह दोनों के शव नहर मे मिले।

राहगीरों ने साड़ी व रस्सी के सहारे बाहर निकाला।
राहगीरों ने साड़ी व रस्सी के सहारे बाहर निकाला।

दो बच्चों को कहा, घर चले जाओ, मम्मी से कहना नहाकर आ रहे है

हादसे में शंभु कुमार का बेटा कुणाल (20) व भतीजा विवेक (15) नहर में बह गए। शंभु कुमार ने बताया कि मेरी मां का देहांत हुआ था। तीये के दिन मुक्तिधाम से क्रिया कर्म के बाद नहाने नहर में आए। भाई रामभरोस, तीन साले मनोज, राजेश व मुकेश भी साथ में थे। भतीजा विवेक व मेरे दो बेटे कुणाल व प्रभात साथ थे। नहर में पानी छोड़ा हुआ था। फ्लो ज्यादा होने से सीढ़ियों तक पानी था। हम सब सीढ़ियों पर बैठकर नहा रहे थे। मैंने बच्चों से कहा था घर चले जाओ,मम्मी से बोल देना हम घाट पर नहाकर आ रहे है।

दो बच्चों को कहा, घर चले जाओ,मम्मी से कहना नहाकर आ रहे है-शंभु कुमार।
दो बच्चों को कहा, घर चले जाओ,मम्मी से कहना नहाकर आ रहे है-शंभु कुमार।

अचानक छोटे बेटे प्रभात (17) का पैर फिसल गया। प्रभात को बचाने के चक्कर मे राजेश,रामभरोस, मनोज, मुकेश के साथ में भी नहर में कूद गया। कुणाल व विवेक कब नहर में कूदे इस बारें में किसी को पता नहीं लगा। हम करीब 150 फीट तक बहते चले गए। राहगीरों ने हमारी मदद की। मुझे तो किसी ने साड़ी के सहारे बाहर निकाला। जबकि दूसरों को रस्सी के सहारे नहर किनारे तक लाए,फिर पैर से पकड़कर बाहर निकाला।

नहर की सीढ़ियों पर रखे कपड़े व सामान।
नहर की सीढ़ियों पर रखे कपड़े व सामान।

नहर से बाहर निकलने के बाद कुणाल व विवेक दिखाई नहीं दिए। घर पर फोन लगाकर पूछा तो उनके बारें में जानकारी नहीं लगी। करीब 15 मिनट बाद दोनों के बहने का पता लगा। विवेक पहले ऊपर ही था। कुणाल व विवेक नहर में कब कूदे पता ही नहीं लगा।

एक महिला ने साड़ी खोलकर नहर में फेंकी जिसे पकड़कर शंभु किनारे तक आया-मनोज।

मनोज ने बताया कि कुणाल व विवेक की दादी की मौत हो गई थी। तीये की रस्म के बाद नहर में नहाने आए थे। उसी दौरान भांजा प्रभात नहर में डूबने लगा। उसे बचाने के लिए राजेश, शंभु व रामभरोस नहर में कूद गए। में व मुकेश ज्यादा आगे नहीं गए थे। इसलिए बाहर निकल आए। रामभरोस को तैरना आता था। राजेश व शंभु पानी के बहाव में आगे चले गए। राजेश, शंभु व रामभरोस को नहर में बहते देख लोगो ने मदद की। एक महिला ने साड़ी खोलकर नहर में फेंकी जिसे पकड़कर शंभु किनारे तक आया। एक ऑटो चालक ने रस्सी फेंकी। जिसे पकड़कर राजेश नहर किनारे तक आया। राहगीरों की मदद से रामभरोस भी किनारे तक पहुंचा। तीनों को सकुशल बाहर निकाला।

8 घंटे तक सर्च, नहीं लगा पता।
8 घंटे तक सर्च, नहीं लगा पता।

शंभू कुमार प्राइवेट काम करते है। पत्नी मेडिकल कॉलेज कोटा में नर्सिंग स्टाफ है। शंभू कुमार के भाई रामभरोस टेलर का काम करते है। और बजरंग नगर आदित्य आवास में रहते है। साले मनोज कुमार (52) केशवपुरा इलाके में रहते है। लाइट का काम करते है। मनोज के दो मौसेरे भाई राजेश (50) व मुकेश (35) नहर पर साथ थे।

कुणाल नर्सिंग की पढ़ाई कर रहा है।जबकि उसका छोटा भाई प्रभात 10 वीं पास कर चुका। कुणाल अपनी मम्मी के काम में हाथ बंटाता है। चचेरा भाई विवेक 10 वीं में पढ़ता है। विवेक से बड़ी दो बहिन है।

8 घंटे तक सर्च, नहीं लगा पता

घटना शनिवार सुबह 10 बजे के आसपास की है। दायी मुख्य नहर में हादसे के बाद निगम की रेस्कयू टीम मौके पर पहुंची। निगम गोताखोर विष्णु श्रृंगी ने बताया नहर में पानी छोड़ रखा था। सबसे पहले पानी का फ्लो कम करवाया। 15 सदस्यीय टीम के लोगों ने स्कूबा डाइविंग कर डूबे युवको की तलाश की। बाद में एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंचीं। दोनों टीमों ने 3 बोट से उम्मेदगंज तालाब तक सर्च किया। शाम 6 बजे तक दोनों युवकों का पता नहीं लगा। अंधेरा होने पर रेस्कयू रोकना पड़ा।

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