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खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के बड़े चेहरे सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया का पैराशूट लॉन्चिंग की संभावना से बदल सकते हैं चुनावी समीकरण


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खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के बड़े चेहरे सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया का पैराशूट लॉन्चिंग की संभावना से बदल सकते हैं चुनावी समीकरण

पहली सूची जारी होने के बाद दूसरी सूची का इंतजार, भाजपा टिकटार्थियों की बढ़ी धड़कने सियासी गलियारों में रोचक चर्चाएं

खेतड़ी : राजस्थान में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। सियासी ताजपोसी को लेकर राजनीतिक पार्टियां अपने अपने दल की सरकार बनाने के लिए हर तरीके से दाव पेंच लगाने के लिए आतुर है। भारतीय जनता पार्टी ने तुरुप का पत्ता खेलते हुए 41 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है?। जिसमें 7 सांसदों को मैदान में उतारा है। शेखावाटी की यदि बात करें तो झुंझुनू सांसद नरेंद्र खीचड़ को मंडावा विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा दिया है। सियासी गलियारे में चर्चा है कि सांसदों के साथ मंत्रियों को भी मैदान में उतरा जा सकता है।

खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की टिकट को लेकर जहां खींचतान जारी है। वही टिकट वितरण को लेकर खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार के नाम को लेकर सियासी बाजार गर्म है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यहां भाजपा संगठन चुनाव न लड़कर स्वयं उम्मीदवार ही चुनाव लड़ते रहे है। टिकट नहीं मिलने पर बागी चेहरे भाजपा के समीकरण बिगाड़ते रहे हैं। विगत 2003 के आम चुनाव के बाद भाजपा अपना कमल नहीं खिला पायी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार खेतड़ी से परिवारवाद के गुटबंदी के भंवर जाल से बाहर निकलते हुए भाजपा नया कार्ड खेलने की संभावनाओं में से कास्टीज्म सोशल इंजीनियरिंग बैलेंस पावर बनाते हुए टोंक सवाई माधोपुर के सांसद सुखबीर जौनपुरिया को खेतड़ी से भाजपा प्रत्याशी बनाया जा सकता है।

सुखबीर जौनपुरिया गुर्जर समाज के बड़े चेहरे, भामाशाह व लोकप्रिय नेता हैं। खेतड़ी भाजपा के आंतरिक कलह से निजात पाने की युक्ति को लेकर संघ परिवार व भाजपा संगठन में गहन मंत्रणा होने के कियास्क बताए जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो खेतड़ी में दोनों पक्षों के बीच तालमेल व सामंजस्य बनाने की उम्मीद सांसद सुखबीर जौनपुरिया में जताई जा रही है। खेतड़ी में भाजपा की टिकट को लेकर एक ही परिवार के दो बड़े नेताओं के बीच उलझी गुत्थी की सुलझाने के लिए अन्य उम्मीदवार पर नजर दौड़ते हुए पहले कियास्क लगाया जा रहा कि टिकटार्थी पैनल में धर्मपाल गुर्जर व प्रधान मनीषा गुर्जर के साथ-साथ झुंझुनू जिले के उप जिला प्रमुख व संघ की गहरी जड़ों तक तालुक रखने वाले सामान्य कार्यकर्ता सत्यवीर गुर्जर पर भी नजर दौड़ाई जा रही थी। लेकिन भाजपा के आंतरिक कलह शांत नहीं होने की संभावना को लेकर भाजपा हाई कमान अपने हुक्म के पत्ते खोलते हुए गुर्जर समाज के बड़े नेता वर्तमान टोक सवाई माधोपुर सांसद सुखबीर जौनपुरिया को उम्मीदवार बना सकती है। धर्मपाल गुर्जर और लगातार दो बार प्रधान रही मनीषा गुर्जर के बीच टिकट के दाव पेच फसने से भाजपा की हाई कमान इस बार खेतड़ी से भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए नया कार्ड खेलने के इरादे सांसद सुखबीर जौनपुरिया को खेतड़ी से प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। भाजपा की परिवर्तन यात्रा स्वागत रैली में दोनों सभाओं के शक्ति प्रदर्शन ने भाजपा हाई कमान को फिर संकट में डाल दिया।

पार्टी की इंटेलिजेंस फीडबैक के बाद अन्य उम्मीदवार की तलाश में नजर दौड़ना शुरू किया है। जिसमें राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सांसद सुखबीर जौनपुरिया के नाम पर सहमति बनने की संभावना जताई जारी है। लेकिन एक तरफ खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र के संभावित टिकटार्थियों की जहाँ धड़कने बड़ी हुई है। वही 2003 के बाद खेतड़ी से भाजपा नहीं जीतने के बाद भाजपा संगठन में जहां गुटबंदी नजर आ रही थी। उसके समाधान का भाजपा हाई कमान द्वारा रास्ता निकालने का जहां प्रयास बताया जा रहा है वही खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र से राजनीतिक सियासी मायने बदलने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। खेतड़ी विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर बाहुल्य मतदाताओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुखबीर जौनपुरिया पर यह कार्ड खेला सकता है। सांसद सुखपुरा जौनपुरिया ने खेतड़ी क्षेत्र में कई सभा में अपनी भूमिका निभा चुके हैं। वे इससे पहले गुरुग्राम से चलकर राजस्थान की राजनीति में गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र टोंक सवाई माधोपुर से संसद का उम्मीदवार बनाया गया था। इससे पहले भी जौनपुरिया अपने राजनीतिक पृष्ठभूमि की तलाश आंतरिक तौर पर खेतड़ी से कर चुके हैं। इस बार राजस्थान में भाजपा कांग्रेस के गढ़ को चाहने के लिए खेतड़ी से लगातार तीन बार हारने के बाद खेतड़ी को जीत में तब्दील करने के लिए सांसद जौनपुरिया पर यह कार्ड खेलने की सियासी चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में गर्म हवाओं के झोंकों के साथ देखी जा सकती हैं। हालांकि धर्मपाल गुर्जर व प्रधान मनीषा गुर्जर की राजनीतिक सक्रियता की पृष्ठभूमि को इतनी आसानी से नहीं नकारा जा सकता।

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