होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है:राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में सजी जगजीत सिंह की गजलों की संध्या, सिटी सिंगर्स ने किया परफॉर्म
होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है:राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में सजी जगजीत सिंह की गजलों की संध्या, सिटी सिंगर्स ने किया परफॉर्म

जयपुर : शहर का सबसे ग्लैमरस राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर का मुख्य ऑडिटोरियम गजल सम्राट जगजीत सिंह की यादों से मखमली हो रहा था। शहर के कई नामी गायक इस मौके पर उनकी एक से बढ़कर एक दिलकश गजलों को सलीके से गाकर आवाज और अनुभूतियों के इस बेताज बादशाह को स्वरांजलि दे रहे थे। मौका जगजीत सिंह की 12वीं पुण्य तिथि पर यहां आयोजित ‘ट्रिब्यूट टू जगजीत सिंह’ गजल संध्या के आयोजन का।
सृजन दी स्पार्क संस्था के बैनर पर आयोजित हुई इस गजल संध्या में जगजीत सिंह की गाई एकल और उनकी हमसफर चित्रा सिंह के साथ गाई युगल गजलों को प्रदेश के कई जाने माने गायकों संजीव जैन, डॉ. देवेन्द्र सिंह हिरन, डॉ. जितेन्द्र सिंह मक्कड़, किशोर सरावगी, निकिता बंसल, सोनिया बिरला और डॉ. वर्षा तनु ने अपनी आवाज से जीवंत किया।

इस गजल संध्या का म्यूजिक अरेंजमेंट टीम संजय माथुर और रवि टिलवानी ने किया। गजल संध्या की शुरुआत संजीव जैन ने कैफी आजमी की लिखी और जगजीत सिंह की स्वरबद्ध की गई चर्चित गजल ‘झुकी झुकी सी नजर बेकरार है के नहीं’ से की, इसके बाद किशोर सरावगी ने निदा फाजली की गजल ‘होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है’ और इबने इंशा की लिखी गजल ‘की चौदहवीं की रात थी’ पेश कर माहौल को रूमानी कर दिया। जगजीत सिंह के कृतित्व और व्यक्त्वि पर पीएचडी करने वाले उदयपुर के डॉ. देवेन्द्र सिंह हिरन मंच पर आए और उन्होंने जैसे ही शाहिद कबीर के लिखे कलाम ‘मैं नशे में हूं’ सुनाया तो वहां उपस्थिति हर श्रोता इस गजल के भावों के सुरूर में झूूमता नजर आया।
देवेन्द्र सिंह ने इस मौके पर अमीर मिनाई का कलाम ‘सरकती जाय है रूख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता’ को रूमानी अंदाज में पेश कर संगीत प्रेमियों का दिल जीत लिया। प्रदेश में दिल के इलाज के लिए मशहूर डॉ. जितेन्द्र सिंह मक्कड़ ने अपने पेशे से जुड़े भावों सराबोर शायर जमीर काजमी के लिखे गीत ‘बड़ी नाजु़क है ये मंजिल, मोहब्बत का सफर है धड़क आहिस्ता से ऐ दिल’ को उसी मखमली अंदाज में सुनाकर श्रोताओं को खूब वाहवाही लूटी।

इन युगल गजलों ने याद ताजा की जगजीत-चित्रा की
समारोह में कलाकारों ने कई दिलकश युगल गजलें सुनाकर जगजीत सिंह के समान ही उनकी हमनवा चित्रा सिंह की याद भी ताजा कर दी। निकिता बंसल और संजीव जैन ने सुदर्शन फाकिर की गजल ‘ये दौलत भी ले लो ये शौहरत भी ले लो’, किशोर सरावगी और डॉ. वर्षा तनु ने शाहिद कबीर के कलाम ‘गम का खजाना’ और किशोर सरावगी और सोनिया बिड़ला ने कतील शिफाई का कलाम ‘किया है प्यार जैसे’ को रूमानी अंदाज में पेश कर इस गजल संध्या को उसके सफलतम मुकाम पर पहुंचाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। कार्यक्रम का अर्थपूर्ण संचालन प्रदक्षिणा ने किया।