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जिला अस्पताल में दोनों सोनोग्राफी मशीन बंद, वजह- सोनोलॉजिस्ट नहीं, नतीजा- 250 से अधिक मरीजों को रोज चुकाने पड़ रहे दो लाख रुपए


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जिला अस्पताल में दोनों सोनोग्राफी मशीन बंद, वजह- सोनोलॉजिस्ट नहीं, नतीजा- 250 से अधिक मरीजों को रोज चुकाने पड़ रहे दो लाख रुपए

जिला अस्पताल में दोनों सोनोग्राफी मशीन बंद, वजह- सोनोलॉजिस्ट नहीं, नतीजा- 250 से अधिक मरीजों को रोज चुकाने पड़ रहे दो लाख रुपए

नीमकाथाना : नए जिले में 398 सरकारी अस्पताल हैं। लेकिन गर्भवती महिलाओं सहित मरीजों को निशुल्क सोनोग्राफी जांच की सुविधा कहीं नहीं मिल रही। जिला मुख्यालय स्थित जिला कपिल अस्पताल को छोड़कर कहीं भी सोनोग्राफी मशीन नहीं है।

यहां पीपी मोड पर चल रही सोनोग्राफी जांच सुविधा भी बीते दो महीने से बंद है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं व मरीजों को निजी सेंटरों से 900 रुपए देकर सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है। वहीं जिला अस्पताल में सोनोलॉजिस्ट नहीं होने से दो नई सोनोग्राफी मशीनें धूल फांक रही हैं।

सीएमएचओ के निर्देश पर यहां आई एक मशीन रींगस अस्पताल को भेज दी गई। जिला अस्पताल में हर दिन करीब 2500 मरीजों का ओपीडी है। अकेले गाइनिक विभाग में एक हजार मरीज रोज आ रहे हैं। करीब 250 को सोनोग्राफी करानी पड़ती है। पीएमओ डॉ. सुमित गर्ग बताते हैं कि दो बार पीपीपी मोड पर निजी सेंटरों से टाइअप कर सोनोग्राफी जांच सुविधा के लिए टेंडर मांगे गए। लेकिन किसी भी सेंटर ने टेंडर नहीं डाले।

टेंडर का टाइम भी बढ़ाया गया फिर भी कोई नहीं आया। इसी दौरान निजी सेंटरों ने 700 रुपए में होने वाली सोनोग्राफी की दरों को बढ़ाकर 900 रुपए कर दिया। गर्भवती महिलाएं भी सोनोग्राफी जांच के लिए सड़कों पर भटकती रहती हैं। मरीजों को घंटों कतार में खड़े रहने के बाद भी निशुल्क सोनोग्राफी जांच का फायदा नहीं मिल रहा।

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