लोगों ने मुझे हमेशा ग्लैमरस रोल में पसंद किया है। मेरा मानना है शायद फिल्म मेकर्स ने मेरे टैलेंट को सीमित कर दिया। हालांकि ग्लैमरस बोलने को मैं तारीफ की तरह लेती हूं। ये कहना है बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी कुंद्रा का। जो अपनी फिल्म ‘सुखी; के प्रमोशन के लिए जयपुर पहुंची। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए फिल्म से जुड़े अनुभवों के साथ एक्टिंग एक्सपीरिएंस को शेयर किया। उन्होंने बताया बिग ब्रदर शो से पहले वो एक प्रोटेक्टिव चाइल्ड की तरह थीं। आगे पढिए शिल्पा शेट्टी कुंद्रा का पूरा इंटरव्यू...
सवाल: सुखी किस तरह की फिल्म है। किस तरह का किरदार है?
शिल्पा- मेरे किरदार का नाम है सुखप्रीत कालरा, जिसे प्यार से लोग सुखी बुलाते हैं। किरदार बहुत ही प्यारा है। एक तरह से बेपरवाह, बेधड़क और बेशर्म तरह की है। 20 साल बाद कॉलेज री यूनियन का वक्त आता है। तब वह अपने दोस्तों से मिलने जाती है। कैसे वह अपने घर-परिवार से निकलकर वहां जाती है और क्यूं जाती है? यह कहानी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। वह रिलाइज करती है कि उसकी मुलाकात री यूनियन वाले साथियों से नहीं होती है। उस सुखी से होती है, जो 20 साल पहले कॉलेज में थी। फिल्म में मुख्य भूमिका में हूं, लेकिन फिल्म में किरदार बैक सीट वाला है। ऐसे में उसकी बैक सीट से फ्रंट सीट की जर्नी को इस फिल्म में दिखाया गया है।
सवाल: स्टूडेंट्स से आप कह रहे थे कि आप अपनी मदर्स को यह फिल्म देखाने लेकर जाएं, फिल्म में ऐसा क्या है?
शिल्पा: मेरा मानना है कि मदर ही नहीं हर एक महिला इसे रिलेट करेगी। हमारे समाज में महिलाएं को इस तरह से तैयार किया जाता है कि बाहर काम भी कर रहे हैं तो घर भी आपको ही संभालना है। पति बाहर जाकर काम करें तो भी वापस आने पर उनसे कोई अपेक्षा नहीं रख सकते। वे भी कोई हाथ बंटाए। यह देखना चाहिए कि इतने सालों से हमारी हालात कैसे रहे हैं। आज भी ऐसे ही हैं। बाहर जाकर हम कुछ भी अचीव कर लें, लेकिन घर आकर हम होम मेकर ही कहलाएंगी। यह कहानी उन सारी लेडीज की है। मेरा मानना है कि हम सभी में एक सुखी है। इसीलिए मैं कहती हूं कि होम मेकर हैं। उनमें एक गिल्ट रहता है। वे 24 घंटे घर के लिए काम करती हैं। बच्चों की परवरिश करती हैं। बाहर जाकर काम करने के बाद भी घर पर काम करती हैं। ऐसे में वह गिल्ट हम सभी औरतों में है।
ऐसे में मैं उन सभी औरतों को सलाम करती हूं, जो होम मेकर है। निस्वार्थ तरीके से जितना भी काम करती हैं। उन्हें थैंक्यू भी कभी नहीं मिलता है। मेरा एक डायलॉग है ट्रेलर में, उसे देखने के बाद सभी लेडीज यही कह रही हैं कि आपने कितनी सच बात कही है। जब हम अपने लिए ब्रेक की बात करते है तो सब लोग सवाल करते हैं। पूछते हैं कि तुम्हें किस चीज के लिए ब्रेक चाहिए। यह नौबत आ गई है। मेरा मानना है कि सभी लोग ब्रेक डिजर्व करते हैं। मर्द हो या औरत सभी को अपना ब्रेक चाहिए। यहां वीमन इमोशन नहीं, ह्यूमन इमोशन देखना चाहिए। पारिवारिक फिल्म है। रिश्तों की कहानी है। इसमें हमने बहुत सारी चीजें डिस्कस की हैं। ह्यूमर के साथ।
सवाल: इस तरह की कहानियां कब से ढूंढ़ रही थी और कितना चैलेंजिंग रहा किरदार?
शिल्पा: मैंने अपनी जिंदगी को या करियर कभी प्लान नहीं किया है। जो चॉइसेज मिले उसी से गुजारा किया है। उन चॉइसेज में से बेस्ट चॉइस काे चुना है। यह फिल्म जब मेरे पास आई तब मैं बहुत बिजी थी। फ्रेम ऑफ माइंड भी ठीक नहीं था। बहुत सारा काम था मेरे पास। दो बच्चे है, उनके लिए भी समय निकालना था। जब कहानी सुनी तो मन तो किया की करनी है। मेरा मानना था कि इस फिल्म की कहानी को दिखाना चाहिए। सिनेमा की जो लैंग्वेज होती है, वह बहुत शक्तिशाली है। लेडीज को हिम्मत मिले, जब तक जिन्दा है। तब तक अंदर के बच्चे को जिंदा रखें। यही मैसेज हम देने वाले है। हमारी फिल्म की टैगलाइन भी यही है कि बेपरवाह, बेशर्म और बेधड़क होकर जीयो। तभी आप सुखी रह सकते है।
इसीलिए हम इसे ओटीटी पर नहीं थिएटर पर रिलीज कर रहे हैं। हम फिल्में इसलिए बनाते हैं, क्योंकि समाज को वह तस्वीर दिखा सकें। जो वहां सच में चल रहा है। मुझे लगता है कि यही चल रहा है। हम सभी के घर की कहानी है। मिडिल क्लास हो, अपर मिडिल क्लास है, सब जगह ऐसा लगा रहता है। अमीर लोग लग्जरी की तरफ मूव कर जाते है, लेकिन गिल्ट वहां भी रहता है।
सवाल: ऐसा कभी हुआ है, जब आपने भी परिवार या घर से ब्रेक लेकर सपनों को पूरा करने निकली हों?
शिल्पा: मैं अपनी जिंदगी को बहुत एन्जॉय कर रही हूं। जो मैं जिंदगी जी रही हूं यह मेरी चॉइस है। बहुत ऐसी महिलाएं हैं, जो ऐसी जिंदगी जी रही है। बहुत बेमन से जी रही हैं। रिस्पॉन्सिबिलिटी को पूरा तो कर रही है, लेकिन मजा नहीं आ रहा है। यह सही है कि ब्रेक तो सभी को मिलना चाहिए, लेकिन मैं वह सब कर पाती हूं, जो करना चाहती हूं। मैंन कुछ मुश्किल चॉइसेज किए हैं। मुझे जब भी थोड़ा वक्त मिलता है। मैं अपने बच्चों के साथ गुजारती हूं। मेरी सिचुएशन किरदार से बिल्कुल अलग है। कभी-कभी यह जरूर सोचती हूं कि ब्रेक लेकर अकेले कहीं जाऊं। दोस्तों के बीच रहूं। मैं भी इंसान ही हूं।
सवाल: आपको हमेशा ग्लैमरस रोल ऑफर हुए, वह नहीं जिसमें आप एक्टिंग प्रूव कर सकें?
शिल्पा: ऐसे किरदार ऑफर तो हुए हैं। कुछ ऐसी फिल्में भी की है। लोगों ने मुझे हमेशा ग्लैमरस रोल में पसंद किया है। मेरा मानना है शायद फिल्म मेकर्स ने मेरे टैलेंट को सीमित कर दिया। हालांकि ग्लैमरस बोलने को मैं तारीफ की तरह लेती हूं। 30 साल के बाद मुझे खुशी है कि मैं आज भी सरप्राइज कर पा रही हूं। ऐसी कहानी लेकर आई हूं। इसमें लोग रुचि रखते हैं। यह अच्छी बात है कि मैंने पहले इस तरह की कहानी नहीं की है। ऐसे में लोगों को सरप्राइज करना भी खास है।
सवाल: बिग ब्रदर के बाद लाइफ में कई बदलाव आए, पहले शूटिंग में मां साथ रहती थी, इसके बाद इंडिपेंडेंट हो गई?
शिल्पा: यह सही है मैंने बहुत प्रोटेक्टिव चाइल्ड की तरह अपना जीवन जिया है। बहुत ही प्रोटेक्टिव एनवायरनमेंट में ही मैं पली-बढ़ी हूं। बहुत लेट ग्रोअप कर पाई। बिग ब्रदर के घर के अंदर में मां को लेकर नहीं जा सकती थी। ऐसे में वहां से मैं खुद इंडिपेंडेंट हो गई। इसके बाद मैंने शो जीत लिया। फिर लाइफ बदल गई। शादी हो गई। घर संभालना पड़ा। बच्चे हो गए। यह जर्नी बहुत खास रही है। मैं इन पलों को खूब एन्जॉय कर रही हूं।
सवाल: आपके करियर को गानों ने बहुत आगे बढ़ाया है। दर्शकों को गाने आज भी आपकी याद दिलाते है, क्या कहेंगी?
शिल्पा: मेरी फिल्में भले ही न चले, लेकिन मेरे जितने भी गाने रहे। वे सुपरहिट रहे हैं। उनका श्रेय मैं बिल्कुल नहीं ले सकती। उनका श्रेय मेरे प्रोड्यूसर्स और म्यूजिक डायरेक्टर्स को जाना चाहिए। 90 के दशक में जो दौर था। वह म्यूजिकल था। वैसा आज म्यूजिक मिलता नहीं है। सुनने को नहीं मिलता है। आज भी मेरे पुराने गाने रीमिक्स हो रहे हैं। इसे देखकर मैं बहुत खुश होती हूं कि नाइंटीज की खुशबू मिलती रहती है। इन गानों के जरिए आज भी रिलेवेंट बनी हुई हूं।
सवाल: कोरोना के बाद थिएटर्स पर जो संकट आए थे, उसे जवान, गदर और पठान ने खत्म कर दिया है, इस दौर को कैसे देखती हैं?
शिल्पा: सच कहूं तो सुखी होने का समय आ गया है। मेरा मानना है कि ऑडियंस को थिएटर में जाना चाहिए। फिल्म के लिए सिर्फ एक्टर्स को एप्रिशियेशन नहीं, मेकर्स को भी मिलनी चाहिए। उनकी हौसला अफजाई बहुत जरूरी है। एक फिल्म को बनाने में बहुत समय लगता है। हजारों लोगों की मेहनत होती है। प्रोड्यूसर का पैसा लगा होता है, हमारे जैसे एक्टर्स का खून-पसीना और मेहनत लगी होती है। सुखी को भी हमने उतने ही प्यार से बनाई है। ऐसे में मैं चाहती हूं कि इसे भी ऑडियंस का प्यार मिले। ऐसे सब्जेक्ट को देखें, प्यार से बनाई हुई कहानी है। प्रेरित हो, एन्जॉय करें। आज ऑडियंस बहुत स्मार्ट हो गई है। वो वही देखते हैं। जो उनको भाता है। ऐसे में सुखी भी उनके लिए बनी है।
सवाल: जयपुर, राजस्थान से जुड़ी आपकी यादें रही है, आपने राजस्थान रॉयल भी खरीदी हैं, क्या कहेंगी?
शिल्पा: राजस्थान से मेरा बहुत ज्यादा लगाव रहा है। जयपुर से खास जुड़ाव है। यह मेरा हमेशा से होम ग्राउंड रहा है। ऐसे में यह चाहती हूं कि जयपुर की ऑडियंस थिएटर में जाए और इसे देखें और प्यार दें और एप्रिशिएट करें।