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बेगुनाह था, पुलिस ने स्पीकरों से अनाउंसमेंट कराया- रेपिस्ट है:सबूतों के लिए 4 महीने भिखारी बनकर रहा, 3 दिन पीटा, फिर सर्टिफिकेट दिया- नहीं किया रेप


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बेगुनाह था, पुलिस ने स्पीकरों से अनाउंसमेंट कराया- रेपिस्ट है:सबूतों के लिए 4 महीने भिखारी बनकर रहा, 3 दिन पीटा, फिर सर्टिफिकेट दिया- नहीं किया रेप

बेगुनाह था, पुलिस ने स्पीकरों से अनाउंसमेंट कराया- रेपिस्ट है:सबूतों के लिए 4 महीने भिखारी बनकर रहा, 3 दिन पीटा, फिर सर्टिफिकेट दिया- नहीं किया रेप

जयपुर : जयपुर पुलिस जिस युवक को सास-बहू के साथ दुष्कर्म का आरोपी मानकर टॉर्चर करती रही, उसे कोर्ट ने बेगुनाह माना है। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने भी युवक को निर्दोष मानकर चरित्र प्रमाण पत्र जारी किया है। नोट भी डाला है कि जयेंद्र राजपुरोहित S/0 देवी सिंह राजपुरोहित के खिलाफ कोई अपराध नहीं है।

लेकिन सर्टिफिकेट में बेगुनाह बताने वाली इसी पुलिस ने गांव जाकर स्पीकरों से अनाउंसमेंट किया था कि ये दुष्कर्मी है। परिवार को बेइज्जत किया। मेडिकल शॉप में रखी 17 लाख रुपए की दवाइयां जला डाली। थाने लाकर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया वो अलग।

चार महीने अजमेर में भिखारियों के बीच छिपकर रहा ताकि झूठे मुकदमे में अपनी बेगुनाही के सबूत जुटा सके। जयेंद्र ने पुलिस की बर्बरता और प्रताड़ना की पूरी कहानी बताई…

इस सर्टिफिकेट और रेप के मुकदमे के बीच का एक साल जयेंद्र के लिए प्रताड़ना भरा रहा।
इस सर्टिफिकेट और रेप के मुकदमे के बीच का एक साल जयेंद्र के लिए प्रताड़ना भरा रहा।

25 लाख का लेनदेन कैसे रेप के मुकदमे तक पहुंचा?

मुझ पर दोनों महिलाओं ने 3 सितंबर 2022 को तांत्रिक बन कर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इसके पीछे की असल कहानी ये थी मैं उस परिवार के 25 लाख रुपए मांगता था। कुछ दिन पहले ही पैसे लौटाने को कहा था।

9 सितंबर को मैं कमला नेहरू नगर में अपनी मेडिकल शॉप पर ही बैठा था। अचानक से फोन आया कि भांकरोटा थाने में रेप का मुकदमा दर्ज हुआ है। मेरे लिए यह सुनना किसी सदमे से कम नहीं था। मैं पिता को लेकर भांकरोटा थाने पहुंचा और वहां सीआई रविन्द्र प्रताप सिंह मिलकर रेप का मुकदमा झूठा होने की शिकायत दी।

उन्होंने शिकायत लेने की बजाय फाड़कर दोनों को थाने से बाहर निकाल दिया। एएसआई बबरूमान यादव को जांच सौंप दी। मुझे वकील ने बेगुनाही के सबूत जुटाने के लिए कुछ दिन छिपने की सलाह दी।

झूठे केस के डर से मैं चार महीने तक अजमेर में पुलिस से छिपता भागता रहा। कई रातें भिखारियों के साथ फुटपाथ पर रहकर गुजारीं। 3 जनवरी 2023 को परेशान होकर भांकरोटा थाने पहुंचा और सरेंडर कर दिया। एएसआई बबरूमान यादव ने बिना कोर्ट में पेश किए 3 से 5 तारीख तक अवैध रूप से हिरासत में रखा। अपराध स्वीकारने के लिए मुझ पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया।

यह बात करते हुए जयेन्द्र की दो बार आंखें भर आई
यह बात करते हुए जयेन्द्र की दो बार आंखें भर आई

पुलिस ने तीन दिन तक मेरे साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया वो अलग। परिवार को भी टॉर्चर किया। 5 जनवरी की शाम सीआई मोहन मीणा ने मेरे खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाली दोनों महिलाओं को थाने बुलाया। तब दोनों महिलाओं ने अपना अपराध स्वीकार किया और कहा कि हमारे बीच 25 लाख रुपए के लेनदेन का मामला है। इस कारण दोनों सास-बहू ने मिलकर रेप का झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है। तब जाकर पुलिस ने देर रात मुझे घर जाने दिया। लेकिन इससे पहले जो टॉर्चर हमने झेला उसकी भरपाई पुलिस नहीं कर सकती।

फरारी के दौरान ASI ने दुकान मालिक को धमकाया

मैं कमला नेहरू नगर में पिछले सात साल से किराए की दुकान में मेडिकल स्टोर चला रहा था। एफआईआर दर्ज होने के बाद जब मैं वकील की सलाह पर सबूत जुटा रहा था। तब एक दिन जांच अधिकारी बबरूमान यादव हमारी दुकान पर आ धमका।

तब पिता उस दुकान पर बैठे थे। उसने दुकान मालिक को धमकी देते हुए कहा कि कि इसे खाली करवाओ वरना सील कर देंगे। इस डर से दुकान मालिक ने हमें तुरंत दुकान खाली करने को कहा। इतना ही नहीं एएसआई ने दुकान में रखी 17 लाख रुपए की दवाओं का सारा माल उठवाया और भांकरोटा पेट्रोल पंप के पीछे खाली जगह पर ले जाकर आग लगा दी।

मेरे पिता जांच अधिकारी के सामने गिड़गिड़ाते रहे, फिर भी वह नहीं माना। होलसेल मार्केट से उधार पर जो 17 लाख की दवाइयां उठाई थी, आंखों के सामने ही उन्हें नष्ट कर दिया।

जयेन्द्र ने हमें कोर्ट का वो आदेश दिखाया जिसमें उन्हें आरोप मुक्त किया गया है।
जयेन्द्र ने हमें कोर्ट का वो आदेश दिखाया जिसमें उन्हें आरोप मुक्त किया गया है।

जांच अधिकारी की कदम यहीं नहीं रुके। हमारे पैतृक गांव जाकर लाउड स्पीकर से मुनादी करवाई कि जयेन्द्र पुत्र देवी सिंह राजपुरोहित दुष्कर्मी है। उसके खिलाफ दो महिलाओं ने दुष्कर्म करने की एफआईआर दर्ज है। जांच अधिकारी के इस रवैये से पूरे गांव में उनके परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी।

नया थानाधिकारी ने जांच करवाई तो पिछले महीने 19 अगस्त को कोर्ट ने मुझे सभी आरोपों से मुक्त किया है। उसके बाद जयपुर पुलिस कमिश्नरेट ने भी मुझे चरित्र प्रमाण पत्र का एक टुकड़ा जारी किया है। लेकिन गांव में सबके सामने जो मानहानी हुई उसका क्या? जिन पुलिसकर्मियों की गलत जांच की वजह से मैंने जो टॉर्चर सहे उसका क्या?

हम शिकायत लेकर गए, दर्ज ही नहीं की

जयेन्द्र राजपुरोहित ने बताया कि उन्होंने खुद पर लगे आरोपों से बरी होने के बाद दोनों महिलाओं के खिलाफ षड़यंत्र करने और गंदे आरोप में फंसाने की शिकायत भांकरोटा थाने में दो बार दी। पहली बार पीड़ित 29 अप्रैल 2023 को शिकायत लेकर गया जिस पर पुलिस ने आज तक कोई एक्शन नहीं लिया। जबकि संविधान में ये अधिकार है कि अगर कोई व्यक्ति किसी के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराता है तो उसके खिलाफ भी पुलिस एफआईआर दर्ज कर सकती है।

पीड़ित की शिकायत को परिवाद में रखने के बाद भी इस पर कोई जांच नहीं हुई और ना ही कोई मुकदमा दर्ज हुआ। दोनों आरोपी महिलाओं ने पीड़ित के मोबाइल नंबर महिलाओं की गंदी तस्वीरों पर लगाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए। जिस पर पीड़ित ने फिर से भांकरोटा थाने में 23 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई। लेकिन भांकरोटा थाना पुलिस ने इस पर भी अबतक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है।

जयेंद्र ने बताया कि वे झूठा आरोप लगाने वाली महिलाओं के खिलाफ शिकायत दे चुके हैं लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
जयेंद्र ने बताया कि वे झूठा आरोप लगाने वाली महिलाओं के खिलाफ शिकायत दे चुके हैं लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।

दोनों महिलाएं पहले भी लगा चुकी इसी तरह के आरोप

जयेंद्र ने बताया कि दोनों महिलाओं ने 23 अगस्त 2022 को भी भांकरोटा थाना इलाके के एक निजी अस्पताल में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। जिस पर भांकरोटा थाना पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की था। बाद में केस झूठा पाए जाने पर उस पर एफआर लगा दी थी।

हैरानी की बात यह है कि उस केस की जांच भी एएसआई बबरू मान यादव ने ही की थी। पीड़ित ने आरोप लगाया है कि भांकरोटा थाने का एएसआई इस परिवार के साथ मिला हुआ है। ये लोग किसी पर भी गंदे आरोप लगाकर उनका शोषण करते हैं। जिसके बाद मामला सेटल कर दिया जाता है।

इन आरोपों पर मीडिया ने एएसआई बबरूमान यादव से बात की। उन्होंने बताया कि उसका इस मामले में कोई इंटरफेयर नहीं है। आमने-सामने कर लो मैंने किसी के साथ कोई ज्यादती नहीं की है। हॉस्पिटल मामले में यह दोनों ही पक्ष एक थे, लेकिन मामला झूठा होने के कारण मैंने उसमें एफआर लगा दी थी जिससे यह दोनों ही नाराज हो गए थे।

25 लाख रुपए के लिए हत्या तक का प्लान बना

जयेंद्र राजपुरोहित ने बताया कि उसकी हत्या की साजिश भी हो चुकी है। सतीश यादव नाम के एक बदमाश ने 5 लाख रुपए में मेरी सुपारी ली थी। मैंने भांकरोटा थाने में ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई जांच नहीं की।

आश्वासन दिया कि सतीश तुम्हें कुछ नहीं कहेगा। पीड़ित का आरोप है कि उसके पास इस बात के भी ‌एविडेंस हैं कि सतीश को किसने सुपारी दी थी। लेकिन उसके बाद भी पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। जिसके बाद दोनों महिलाओं ने उसके खिलाफ यह गंदा आरोप लगाया।

हर पल रहता है जान का खतरा

पीड़ित ने बताया कि उसे हर पल अपनी जान का खतरा रहता है। जो लोग 25 लाख रुपए के लिए उस पर इतना भद्दा आरोप लगा सकते हैं। मारने की सुपारी दे सकते हैं। वह कभी भी कुछ भी कर सकते हैं।

पुलिस ने मेरे पूरे परिवार को आतंकवादी की तरह ट्रीट किया। जब मन करता जबरन घर में घुसती, डराती धमकाती रही। अभी-भी जांच अधिकारी भांकरोटा के कमला नेहरू नगर में उसे मिल जाता है तो गंदी गालियां देता है। लात घूंसों से जबरदस्ती मारता है। पुलिस कमिश्नर और डीजीपी को शिकायत दी है। उम्मीद है कि पुलिस अधिकारी एक्शन लेंगे।

जयेन्द्र ने खुद के साथ हुई इस घटना को लेकर जयपुर कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ और डीजीपी राजस्थान उमेश मिश्रा से न्याय की गुहार लगाई है। यही नहीं मारपीट करने, दवाओं को आग लगाने और बार-बार मारने की धमकी देने वाले भांकरोटा थाने के एएसआई बबरूमान यादव के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए शिकायत दी है।

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