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अब 700 फीट गहराई तक होगी कॉपर माइनिंग,13 से बढ़ाकर 30 लाख टन तांबा निकालेंगे;पांच और जगह बड़े भंडार मिलने की संभावना


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अब 700 फीट गहराई तक होगी कॉपर माइनिंग,13 से बढ़ाकर 30 लाख टन तांबा निकालेंगे;पांच और जगह बड़े भंडार मिलने की संभावना

खेतड़ी माइंस में 47 मिलियन टन ताम्र अयस्क बचा हुआ, 25 साल तक निकाला जा सकेगा

खेतड़ी नगर (खेतड़ी) : खेतड़ी कॉपर माइंस में इस वक्त 450 से 500 मीटर गहराई में खनन हो रहा है। ज्यादा तांबा निकालने के मकसद से अब खनन कार्य 700 मीटर गहराई तक ले जाने की योजना है। इसके अलावा उत्पादन भी 13 से 30 लाख टन तांबा निकालने का लक्ष्य लिया है। खेतड़ी और इसके आसपास के क्षेत्रों में तांबे के प्रचुर मात्रा भंडार हैं। अब इसका दायरा बढ़ाने पर काम चल रहा है।

सर्वे और एक्सप्लोरकेशन के आधार पर कहा जा रहा है कि नीमकाथाना जिले में पांच और जगह भंडार मिलने की संभावना है। केसीसी प्रोजेक्ट को शुरू रखने और क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के अवसर बनाए रखने के लिए केसीसी के आसपास (50 किमी क्षेत्र में) नई खदानों के खोज की आवश्यकता है। डिपॉजिट की खोज के बाद करीब 10 साल का समय लगता है। इसमें डिपॉजिट खोजना, एक्सप्लोरकेशन करने जैसे काम होते हैं। केसीसी भूगर्भ विभाग के प्रयासों से अब तक कुछ क्षेत्र कॉपर डिपॉजिट की संभावना के लिए चिह्नित किए हैं।

इनमें कोलिहान एवं खेतड़ी खदान की बीच का करीब 7 किमी लम्बा क्षेत्र। बन्नी वाला की ढाणी (डोकन) ब्लॉक नीमकाथाना, काला पहाड़ गांव खरकड़ा, सिंघाना एक्सटेंशन ब्लॉक बुहाना, मुरादपुर सेंट्रल ब्लॉक, मुंडियावास खेड़ा अलवर, धनोटा ब्लॉक उदयपुरवाटी है। इनमें मुडियावास 50 किलोमीटर की परिधि से बाहर है। बाकी खेतड़ी के आसपास ही हैं। इन जगहों पर ताम्र अयस्क भंडार मिलने की भरपूर संभावना है। खदान खोलने में कम से कम 10 साल का समय लगता है। गौरतलब है कि हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने 1972 में खेतड़ी में खनन शुरू किया। अब तक यहां 18.5 किलोमीटर लंबी सुंरग खोदी जा चुकी हैं। खेतड़ी व कोलिहान खदानों में 300 ड्राइव एवं क्रॉश कट्स हैं, जिनकी लंबाई करीब 35 किमी है। दोनों खदानों में अभी धरातल से 450-500 मीटर गहराई तक खनन हो रहा है।

1972 में शुरू हुई हिन्दुस्तान कॉपर माइंस पूरी तरह से भूमिगत है। इसमें रेल की तरह पटरियां भी बिछाई गई है। जिन पर ट्रॉली चलती है।

खेतड़ी माइंस में 47 मिलियन टन ताम्र अयस्क बचा हुआ, 25 साल तक निकाला जा सकेगा

कॉपर प्रोजेक्ट की इकाई केसीसी प्रोजेक्ट की तीनों खदानों से करीब 57 मिलियन टन ताम्र अयस्क निकाला जा चुका है। खेतड़ी खदान में 1972 में खनन कार्य शुरू किया था। इसमें करीब 30 मिलियन टन ताम्र अयस्क और 2.56 लाख टन ताम्र धातु निकाला गया है। कोलिहान खदान में 24 मिलियन टन ताम्र अयस्क और 3.11 लाख टन ताम्र धातु निकाला जा चुका है। चांदमारी खदान में करीब 2.72 मिलियन टन ताम्र अयस्क व 32 हजार टन ताम्र धातु का उत्पादन किया जा चुका है। खेतड़ी खदान में 47 मिलियन टन ताम्र अयस्क बचा हुआ है। खदान की वर्तमान उत्पादन क्षमता के क्रम में उत्पादन होने से यह खदान आगामी 25-30 वर्षो तक तांबे अयस्क का उत्पादन कर सकेगी। इसी प्रकार कोलिहान खदान में 16 मिलियन टन खनन करना है। चांदमारी खदान में करीब 13.26 मिलियन टन ताम्र अयस्क है, अभी बंद है। केसीसी प्रोजेक्ट की खेतड़ी खदान देश की दूसरी सबसे बड़ी ताम्र अयस्क उत्पादक खदान है। खेतड़ी खदान और कोलिहान खदान में लगभग 350 स्थायी व लगभग 2000 ठेका कर्मी कार्यरत है।

हिन्दुस्तान कॉपर प्रोजेक्ट के केसीसी महाप्रबंधक व इकाई प्रमुख हैं। इन्हें तांबा खनन और इसके प्रबंधन का लंबा अनुभव है। इसके विशेषज्ञ हैं।

खासियत : भूकंपरोधी सुरंग, इनसे निकला तांबा हवाई जहाज, बिजली के उपकरण बनाने में काम आता है

तांबे का उपयोग विद्युत केबल, मशीनरी आदि के निर्माण, मिश्र धातुएं बनाने, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, इलेक्ट्रोटाईपिंग की वेल्डिंग, संधारण प्रतिरोधी गुण होने के कारण शीट बनाने, बॉईलर, कंडेंशन, अंतरिक्ष, रेल्वे, डिफेंस, हवाई जहाज, बिजली के उपकरण, इलेक्ट्रीकल वाहनों में काम आता है। खदानों में सभी टनल भूकंपरोधी तकनीक है। वेंटिलेशन की पूरी व्यवस्था है। अंदर वेंटिलेशन के लिए बड़े-बड़े एग्जस्ट पंखें लगे हैं। खदान के अंदर रेलवे की तरह पटरियां बिछी हुई हैं। इन पर बैट्री से संचालित ट्रोलियां चलती हैं। लिफ्ट में एक साथ दो ट्रोली बाहर लाई जा सकती हैं।

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