वर्षा जल संचय एवं जल संरक्षण पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना’ डूंगरपुर मॉडल को देशभर में अपनाया जाना चाहिए : केके गुप्ता
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत डूंगरपुर ने ऐतिहासिक कार्य किए, डूंगरपुर में भूजल स्तर में वृद्धि हुई तथा पुरानी बावडीयों को साफ करके प्रतिदिन 8 लाख लीटर पानी पीने के लिए उपलब्ध हुआ, धरती पर जल सीमित मात्रा में है यदि समय रहते इसका संचय नही किया तो धरती पर जीवन भी नही रहेगा : केके गुप्ता

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं/उदयपुर : जल हमारी धरती पर उपलब्ध अमूल्य संसाधनों में से एक है। बिना जल के धरती पर जीवन की कल्पना करना भी नामुमकिन है। जल धरती पर सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है और धरती पर आबादी निरंतर बढ़ती ही जा रही है।आने वाले समय में हमें जल की कमी का सामना ना करना पड़े इसीलिए हम सबको आज जल को बचाना है। जल संरक्षण एवं जल संचय जल की कमी हम देख रहे हैं कई शहरों में तो पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है धरती में भी पानी खत्म हो चुका है। ऐसी स्थिति में मात्र एक ही रास्ता है कि बरसात के पानी को शहरों में वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से धरती में डालना तथा गांव में वर्षा के पानी को रोककर जगह-जगह, कुंड, तालाब व कुआं में पानी ले जाकर धरती को सींचना होगा। छोटे-छोटे तरीकों से पानी को बचाना होगा। तभी हम धरती में घट रहे जलस्तर को बढ़ा पाएंगे तथा आने वाले समय को सुखद बना पाएंगे। जल है तो कल है यह यथार्थ है उपरोक्त तीनों कामों में अगर हमने विजय प्राप्त कर ली तो आने वाला कल सुखद होगा। पृथ्वी पर जल सीमित मात्रा में है। जल को पुनः वैज्ञानिक तरीके से पुनः नहीं बनाया जा सकता है। देश में स्वच्छता, पर्यावरण एवं जल संरक्षण व जल संचय आवश्यक है।