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Wrestlers Protest: BJP सांसद बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, 27 जून को होगी सुनवाई


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Wrestlers Protest: BJP सांसद बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, 27 जून को होगी सुनवाई

अदालत ने 10 मई को भाजपा सांसद के खिलाफ पुलिस से जांच कर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। पहलवानों ने अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है।

नई दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच पर पुलिस ने अदालत में स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दी है। पुलिस ने अदालत से कहा कि सभी शिकायतकर्ता पहलवानों का इकबालिया बयान दर्ज कर लिया गया है। राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने पुलिस को स्थिति रिपोर्ट की एक प्रति शिकायतकर्ता पहलवानों को देने का निर्देश देते हुए सुनवाई 27 जून के लिए स्थगित कर दी है।

उधर, दूसरी तरफ डब्ल्यूएफआई के मुखिया के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। अदालत में इस मामले की सुनवाई 9 जून को होगी। इस मामले की जांच कर पुलिस से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष पर यौन उत्पीड़न के कथित आरोप और प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के मामले में पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग और साक्षी मलिक के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराते हुए उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।

अदालत ने 10 मई को भाजपा सांसद के खिलाफ पुलिस से जांच कर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। पहलवानों ने अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है। साथ ही जांच के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश देने की मांग की गई है।

पहलवानों ने इससे पहले भाजपा सांसद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। पुलिस ने तब शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है और गवाहों के बयान भी दर्ज किए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बंद करते हुए पहले के निर्देश के मुताबिक शिकायतकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने को कहा था। साथ ही यह भी कहा था कि किसी दूसरी राहत के लिए याचिकाकर्ता संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत या उच्च न्यायालय जा सकते हैं।

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