[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 15 लाख की:आरोपी देवी सिंह पर 20,000 का ईनाम घोषित, फर्जी नियुक्ति पत्र देकर लाखों रुपए हड़पने का आरोप


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
झुंझुनूंटॉप न्यूज़राजस्थानराज्य

रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 15 लाख की:आरोपी देवी सिंह पर 20,000 का ईनाम घोषित, फर्जी नियुक्ति पत्र देकर लाखों रुपए हड़पने का आरोप

रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 15 लाख की:आरोपी देवी सिंह पर 20,000 का ईनाम घोषित, फर्जी नियुक्ति पत्र देकर लाखों रुपए हड़पने का आरोप

झुंझुनूं : जिले में रेलवे की ग्रुप-D परीक्षा में सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा देकर लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने का एक बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस थाना कोतवाली में दर्ज इस मामले की गंभीरता को देखते हुए SP बृजेश उपाध्याय ने फरार आरोपी देवी सिंह शेखावत की गिरफ्तारी पर 20,000 रुपये के नकद इनाम की घोषणा की है।

मुख्य आरोपी देवी सिंह शेखावत निवासी खेड़ी राडान, सीकर हाल नवलगढ़ अभी भी फरार है। पुलिस ने उसकी तलाश में कई ठिकानों पर दबिश दी है, लेकिन वह लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा है। झुंझुनू पुलिस ने आमजन से अपील की है कि जो कोई भी आरोपी देवी सिंह को गिरफ्तार करवाएगा या उसकी सटीक सूचना देगा, उसे 20,000 रुपये का इनाम दिया जाएगा। सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी।

यह है मामला

पीड़ित दर्शन सिंह (निवासी दुराणा) ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 में दर्शन सिंह और उनके भाई देवेंद्र सिंह की मुलाकात आरोपी देवी सिंह शेखावत से हुई। देवी सिंह ने खुद को रसूखदार बताते हुए देवेंद्र को रेलवे में स्थायी नौकरी दिलाने का वादा किया और इसके बदले 15.20 लाख रुपये की मांग की।

ठगों ने विश्वास जीतने के लिए “सैलरी आने के बाद बाकी पैसे देने” की शर्त रखी। अक्टूबर 2024 में आरोपियों ने देवेंद्र को एक फर्जी ‘ऑफर ऑफ अपॉइंटमेंट’ (नियुक्ति पत्र) थमा दिया। इस झांसे में आकर पीड़ित परिवार ने किस्तों में कुल 15.20 लाख रुपये आरोपियों को दे दिए।

खुद ही डाली ‘डमी सैलरी’

धोखाधड़ी को पुख्ता करने के लिए आरोपियों ने शातिर चाल चली। दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में पीड़ित के खाते में 18,021 रुपये की राशि सैलरी के नाम पर जमा करवाई गई ताकि उन्हें लगे कि नौकरी लग चुकी है। लेकिन जब सैलरी आना बंद हुई और पीड़ित ने जॉइनिंग के लिए दबाव बनाया, तो आरोपी टालमटोल करने लगे। जांच करने पर पता चला कि नियुक्ति पत्र पूरी तरह फर्जी था।

Related Articles