[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

श्रीमाधोपुर तहसीलदार पदोन्नत होकर बने सहायक कलेक्टर:जगदीश प्रसाद बैरवा को कोटपुतली-बहरोड़ की मिली नई जिम्मेदारी


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
टॉप न्यूज़राजस्थानराज्यश्रीमाधोपुरसीकर

श्रीमाधोपुर तहसीलदार पदोन्नत होकर बने सहायक कलेक्टर:जगदीश प्रसाद बैरवा को कोटपुतली-बहरोड़ की मिली नई जिम्मेदारी

श्रीमाधोपुर तहसीलदार पदोन्नत होकर बने सहायक कलेक्टर:जगदीश प्रसाद बैरवा को कोटपुतली-बहरोड़ की मिली नई जिम्मेदारी

श्रीमाधोपुर : श्रीमाधोपुर तहसीलदार जगदीश प्रसाद बैरवा अब कोटपुतली-बहरोड़ में सहायक कलेक्टर का कार्यभार संभालेंगे। वे राजस्थान प्रशासनिक सेवा में अपनी कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में राज्य सरकार ने सिविल सेवा के आरटीएस अधिकारियों की पदोन्नति सूची जारी की थी। इस सूची में बैरवा को आरटीएस से आरएएस अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया है। शुक्रवार शाम को जारी सूची के अनुसार, उन्हें कोटपुतली-बहरोड़ में सहायक कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है।

श्रीमाधोपुर में तहसीलदार के पद पर रहते हुए बैरवा ने जनता के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की थी। विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में राहत और विकास कार्यों में उनकी पहल की सराहना की गई। तहसील श्रीमाधोपुर में उनकी सरल और शांत स्वभाव की छवि ने उन्हें हर वर्ग में पहचान दिलाई।

जगदीश प्रसाद बैरवा को जिला कलेक्टर द्वारा जिला स्तरीय सम्मान पत्र देकर सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्होंने कार्यभार संभालते ही ग्रामीण क्षेत्रों में लंबित और अवरुद्ध रास्तों के निस्तारण पर विशेष ध्यान दिया।

उनके प्रयासों से अब तक 60 से अधिक रास्ते खुलवाए गए हैं, जो वर्षों से बंद पड़े थे और लोगों के लिए आवागमन में बाधा बने हुए थे। यह कार्य उनकी प्रशासनिक दक्षता और समस्या समाधान के प्रति तत्परता को दर्शाता है। जगदीश प्रसाद बैरवा का मानना है कि सिर्फ दफ्तर में बैठकर काम नहीं होता, बल्कि लोगों के बीच जाकर उनकी कठिनाइयों को समझना और उनका समाधान करना ही असली सेवा है।

श्रीमाधोपुर के ग्रामीण इलाकों में, जहां पहले खेतों के बीच से गुजरने के लिए लोगों को कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था, अब सड़कों का जाल बिछ चुका है। इससे बीमारों को त्वरित चिकित्सा सुविधा, किसानों को फसल बाजार तक आसान पहुंच और बच्चों को स्कूल तक सुरक्षित रास्ते मिल पाए हैं। यह सब तहसीलदार बैरवा की सोच और कार्यप्रणाली का परिणाम है।

Related Articles