झुंझुनूं में अब 389 सरपंच बनेंगे:पुनर्गठन में 66 नई ग्राम पंचायतें बनीं; बुहाना, चिड़ावा, और खेतड़ी में सबसे बड़ा बदलाव
झुंझुनूं में अब 389 सरपंच बनेंगे:पुनर्गठन में 66 नई ग्राम पंचायतें बनीं; बुहाना, चिड़ावा, और खेतड़ी में सबसे बड़ा बदलाव
झुंझुनूं : राज्य सरकार ने झुंझुनूं जिले में पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन की अंतिम अधिसूचना जारी कर दी है। जिला कलेक्टर द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, जिले में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक बदलाव किए गए हैं। जिले में 66 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई है। इस पुनर्गठन के बाद झुंझुनूं जिले में अब ग्राम पंचायतों की कुल संख्या बढ़कर 389 हो गई है।
झुंझुनूं जिले की सभी पंचायत समितियों में ग्राम पंचायतों का नया ढांचा लागू हो गया है। इस ऐतिहासिक पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन और नवसृजन से जिले के ग्रामीण शासन की तस्वीर बदल गई है। इसके लागू होते ही कई पुरानी ग्राम पंचायतें अस्तित्व में नहीं रहेंगी, और नई पंचायतों का कार्यकाल आगामी चुनाव के बाद शुरू होगा।
जिले में 66 नई ग्राम पंचायतों के गठन के लिए 148 ग्राम पंचायतों की सीमाएं बदली गई हैं। अधिकांश पंचायतों का क्षेत्रफल घटाकर नई पंचायतों का निर्माण किया गया। खेतड़ी पंस की 25 पंचायतों की सीमाओं में संशोधन हुआ, वहीं अलसीसर और पिलानी में 7-7 पंचायतों के क्षेत्र बदले गए। बुहाना में 20, चिड़ावा में 12, झुंझुनूं में 18, मंडावा में 8, नवलगढ़ में 10, सिंघाना में 11, सूरजगढ़ में 12 और उदयपुरवाटी में 18 पंचायतों का दायरा बदला गया है। बुहाना में चुड़िना, भूरीवास, सागा, सहड़, नानवास, रसूलपुर को प्रभावित किया गया। चिड़ावा में नालवा, नारनोद मालीगांव, झांझोत, श्री अमरपुरा, कंवरपुरा शामिल हैं। खेतड़ी में दलौता, किशनपुरा, गोविंदासपुरा, ढाणी बाढ़ान, श्री अशोक नगर, गुणीनीचा, चिंचडोली, काली पहाड़ी, विजयनगर, भिटेरा, श्रीकृष्ण नगर, रामनगर, बाड़लवास की सीमाओं में बदलाव हुआ। नवलगढ़ में भगेरा, डाबड़ी बलौदा, चारण की ढाणी-शादुर्लपुरा, बारवा, अंबेडकर नगर, तुर्कानी जोहड़ी, भोजनगर प्रभावित हुए। पिलानी में बिजोली, लाहुंदा, छापड़ा, ढंढार, जखोड़ा शामिल हैं। सूरजगढ़ में चौराड़ी अगुनी, भुड़नपुरा, कासनी, सिरसला, आसलवास, भापर, उदमपुरा की सीमाएं बदली गईं। उदयपुरवाटी में सोकडाला, खोह, झड़ायानगर, तेजाजी नगर, कोट, धोलाखेड़ा, गढ़ला कलां, कीरपुरा, बास बिशना, महला की ढाणी, मझाऊ, केशरीपुरा शामिल हैं। अलसीसर में बासड़ी और मंडावा में दुराना व कमालसर की सीमाओं में परिवर्तन किया गया है। झुंझुनूं में दोरादास, मालसर, कायस्थपुरा, चिंचड़ोली, पकोड़ी की ढाणी, काली पहाड़ी, खतेहपुरा-कुलोद खुर्द, शिशियां को नई पंचायतों के रूप में शामिल किया गया है। 2020 में 337 ग्राम पंचायतों में चुनाव हुए थे। बाद में 7 पंचायतों को खत्म कर शहरी सीमा में शामिल किया गया और 7 नगरपालिका बनाई गईं। इसके बाद कुल पंचायतें 323 रह गई थीं, जिनमें अब 66 नई पंचायतें जुड़ने से संख्या बढ़कर 389 हो गई है।
ब्लॉकवार बड़े बदलाव जिले की लगभग हर पंचायत समिति इस परिसीमन से प्रभावित हुई है, लेकिन बुहाना, चिड़ावा, और खेतड़ी में सबसे व्यापक परिवर्तन देखने को मिला है।
1. बुहाना पंचायत समिति: सबसे अधिक बदलाव और प्रशासनिक ढांचे बदलाव बुहाना इस परिसीमन में सबसे अधिक प्रभावित ब्लॉक रहा, जहां कई बड़े राजस्व गांवों को अलग पंचायतें बनाकर प्रशासनिक पहुंच बढ़ाई गई है।
- नई बनी पंचायतें: झारोडा, इस्माईलपुर, बडवर, भवानीपुरा, ढाणी लक्ष्मण, राधु, भालोठ, भिर्र, कांकड़ा, चुडिना, श्योपुरा, धुलवा, ठोठी, देवलावास, इन्द्रसर, शिवसिंहपुरा, गादली, गोपालपुरा, मदनसर, नरांत, झांझा, हंसास, कलवा, काजला, रामबास, वणीबाढ़, नुहनियां, मनोहरपुरा, जैतपुर, भूरीवास।
- लंबित मांगें पूरी: सागा, पृथ्वीपुरा, सिवनी, लाम्बी अहिर, भोपालपुरा, सहड़, नानवास, पचेरी कलां, धाणी खैराणा, बामनवास, रसूलपुर, सोहली, उदामांडी, थली और पालोता में ग्राम पंचायत विभाजन की लंबे समय से चली आ रही मांग अब पूरी हुई है।
2. चिड़ावा पंचायत समिति: शहरीकरण के दबाव वाले क्षेत्रों में बड़ा परिवर्तन हुआ है। चिड़ावा कस्बे के आसपास तेजी से बढ़ते आबादी दबाव को देखते हुए यहां महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
- नई प्रशासनिक संरचना: लाम्बा, नालवा, कुरैशी नगर, धत्तरवाला, जाखड़ा, कुतुबपुरा, चक आलमपुरा, बुडानिया, घुमनसर खुर्द, अलीपुर, नारनोद, मालीगांव, लाम्बा गोठड़ा, गोठड़ी, ढाणी दरोगा, खुडाना, नारी, जोधा का बास, इस्माईलपुर, अरडावता, बारी, खुडिया, पटेलनगर और गिडानिया।
- एकीकरण और पुनर्गठन: श्रीअमरपुरा और लोदीपुरा को एकीकृत कर नई पंचायत बनाई गई है, जबकि चनाना जैसे बड़े गांवों की सीमाओं का पुनर्गठन हुआ है।
3. खेतड़ी पंचायत समिति: पहाड़ी क्षेत्रों में पहली बार व्यापक परिसीमन हुआ है। पहाड़ी और खनन प्रभावित इलाकों की लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक पुनर्गठन की मांग पूरी हुई है।
- प्रमुख पुनर्गठन: राजोता, चिरानी, तिहाड़ा, लगरियावाला, कुरण्ड, नानूवाली बावड़ी, नृसिंहपुर, दूधवा, ठाठवाड़ी, ढौसी, दलौता, मुकुंदपुरा, टीबा, जमालपुर, किशनपुरा, ढाणी ईलाखर।
- स्वतंत्र पंचायतों का दर्जा: संजयनगर और विजयनगर जैसे विकसित आवासीय क्षेत्रों को स्वतंत्र पंचायतों का दर्जा मिला है। रामनगर, मोड़की और सांखड़ा का भी नया पंचायत क्षेत्र निर्धारित हुआ है।
4. बुहाना पंचायत समिति: सबसे अधिक बदलाव, कई नई पंचायतें
- परिसीमन में बुहाना सबसे अधिक प्रभावित पंचायत समितियों में रही। यहां झारोडा, इस्माईलपुर, बडवर, भवानीपुरा, ढाणी लक्ष्मण, राधु, भालोठ, भिर्र, कांकड़ा, चुडिना, श्योपुरा, धुलवा, ठोठी, देवलावास, इन्द्रसर, शिवसिंहपुरा जैसे इलाकों को नई संरचना में शामिल किया गया। गादली, गोपालपुरा, मदनसर, नरांत, झांझा, हंसास, कलवा, काजला, रामबास, वणीबाढ़, नुहनियां, मनोहरपुरा, जैतपुर, भूरीवास समेत कई गांव नई पंचायतों के केंद्र बने।
- बुहाना में कई बड़े राजस्व गांवों को अलग पंचायतें बनाकर प्रशासनिक पहुंच बढ़ाई गई है। सागा, पृथ्वीपुरा, सिवनी, लाम्बी अहिर, भोपालपुरा, सहड़, नानवास, पचेरी कलां, धाणी खैराणा, बामनवास, रसूलपुर, सोहली, उदामांडी, थली और पालोता—इन सभी क्षेत्रों में लंबे समय से ग्राम पंचायत स्तर पर विभाजन की मांग थी, जो अब जाकर पूरी हुई है।
5. चिड़ावा पंचायत समिति: शहरीकरण के दबाव वाले क्षेत्रों में बड़ा परिवर्तन
- चिड़ावा क्षेत्र में कई गांव अब बड़े और संगठित पंचायत क्षेत्रों में बदले हैं। लाम्बा, नालवा, कुरैशी नगर, धत्तरवाला, जाखड़ा, कुतुबपुरा, चक आलमपुरा, बुडानिया, घुमनसर खुर्द, अलीपुर, नारनोद, मालीगांव, लाम्बा गोठड़ा, गोठड़ी, ढाणी दरोगा, खुडाना, नारी, जोधा का बास, इस्माईलपुर, अरडावता, बारी, खुडिया, पटेलनगर और गिडानिया जैसी बसावटों को नई प्रशासनिक संरचना मिली।
- चिड़ावा कस्बे के आसपास तेजी से बढ़ते आबादी दबाव को देखते हुए कई छोटी ढाणियों और बढ़ते पैचों को अब स्वतंत्र अस्तित्व दिया गया है। श्री अमरपुरा और लोदीपुरा को एकीकृत कर नई पंचायत बनाई गई है, जबकि चनाना जैसे बड़े गांवों की सीमाएं पुनर्गठित कर आसपास की ढाणियों को जोड़ दिया गया है।
6. खेतड़ी पंचायत समिति: पहाड़ी क्षेत्रों में पहली बार व्यापक परिसीमन
खेतड़ी ब्लॉक में राजोता, चिरानी, तिहाड़ा, लगरियावाला, कुरण्ड जैसे गांवों का बड़ा पुनर्गठन किया गया। नानूवाली बावड़ी, नृसिंहपुर, दूधवा, ठाठवाड़ी, ढौसी, दलौता, मुकुंदपुरा, टीबा, जमालपुर, किशनपुरा, ढाणी ईलाखर सहित कई ग्राम पंचायतें नए स्वरूप में सामने आई हैं।
- यहां सबसे बड़ा बदलाव संजयनगर और विजयनगर जैसे विकसित आवासीय क्षेत्रों को स्वतंत्र पंचायतों का दर्जा देना रहा। कोलानी, रामकुमारपुरा, कालीपहाड़ी, लालगढ़, जसवंतनगर, गाडराटा, नंगली सलेदीसिंह, भिटेरा और बहलवाननगर सहित कई पंचायतों की सीमाएं बदली गईं।
- खेतड़ी क्षेत्र में पहाड़ी और खनन प्रभावित इलाके प्रशासनिक रूप से लंबे समय से पुनर्गठन की मांग कर रहे थे, विशेषकर रामनगर, मोड़की और सांखड़ा जैसे गांव, जिनका अब नया पंचायत क्षेत्र निर्धारित हुआ है।
7. मंडावा पंचायत समिति: ग्रामीण-शहरी मिश्रित क्षेत्रों में संतुलित परिसीमन
मंडावा ब्लॉक में कुहाड़ू, बास कुहाड़ू, मोजास, मोजावास, हेतमसर, लुमास, सिरियासर कलां, दुराना, चतरपुरा, मेहरादासी, वाजीदसर, पाटोदा, बीरमी, कमालसर, बास पुरिया जैसे कई गांव पुनर्सीमांकन में शामिल हुए।
- इस ब्लॉक में सबसे अधिक परिवर्तन उन ढाणियों में हुआ जहां पिछले वर्षों में आबादी तेजी से बढ़ी। बीरमी, हनुमानपुरा, ढाणी चारण, दुराना, चंदरपुरा, टोडरवास और कोलाली जैसे क्षेत्रों को प्रशासनिक दृष्टि से अधिक सुगम बनाने के लिए नया पंचायत स्वरूप दिया गया है।
8. नवलगढ़ पंचायत समिति: कस्बाई प्रभाव वाले गांवों की नई संरचना
नवलगढ़ ब्लॉक में निवाई, ढाका का बास, तोगड़ा कलां, देलसर कलां, भगेरा, डाबड़ी बलौदा, पनियां की ढाणी, गिरधरपुरा शाहपुरा और चोढाणी सहित कई गांव नए पंचायत ढांचे में शामिल किए गए।
- परसरामपुरा, भोपतपुरा, मोहनवाड़ी, झाझड़, खिरोड़, देवीपुरा, शार्दुलपुरा, नीम की ढाणी और भोजनगर जैसे गांवों की सीमाएं परिवर्तित की गईं। नवलगढ़ क्षेत्र में शहरी विस्तार और ग्रामीण ढांचों के बीच तालमेल बैठाने के लिए यह परिसीमन आवश्यक माना गया था।
9. पिलानी पंचायत समिति: विश्वविद्यालय शहर के प्रभाव में बदला पंचायत ढांचा
पिलानी क्षेत्र के दोवड़ा, बिजौली, पिपली, दूदवा, दूदी, लाडून्दा, बनगोठड़ी, छापड़ा, घुमनसरकला, सूर्यनगर, ढंढार, कुल्हरियों का बास और जाखोड़ा जैसे गांव इस परिसीमन के प्रमुख हिस्से रहे।
- पिलानी, बीआईटीएस और औद्योगिक गतिविधियों के कारण यहां ग्रामीण प्रशासन लगातार दबाव में था। जाखोड़ा, भवानीपुरा, मैनफरा और भैंरूगढ़ जैसे बड़े ग्रामीण खंडों को अब अलग पंचायतों का दर्जा मिला है।
10. सिंघाना पंचायत समिति: हर बड़े राजस्व गांव को मिली पहचान
- सिंघाना क्षेत्र में गाडाखेड़ा, कलगांव, खानपुर, महराणा, पचेरी खुर्द, अलीपुर, नावता, रामसर, भैसावता, टीकुपुरा, भोदन, मांकडो, मुरादपुर, शाहपुर, बाग, सैदपुर और मोईसद्दा जैसे गांवों में सबसे अधिक प्रशासनिक पुनर्गठन किया गया।
- गांवों के आकार, जनसंख्या और भौगोलिक विस्तार को देखते हुए सिंघाना ब्लॉक की पंचायतें लंबे समय से विभाजन का इंतजार कर रही थीं, जो इस बार पूरी तरह से कार्यान्वित हो गया।
11. सूरजगढ़ पंचायत समिति: माइग्रेशन और विस्तार वाले क्षेत्रों को मिला नया ढांचा
- सूरजगढ़ ब्लॉक में अगवाना खुर्द, बिशनपुरा, धिंगड़िया, चौराड़ी अगूनी, उरीका, महपालवास, जाखोद, कुलोठ, भुडनपुरा, पिलोद, कासनी, भावठड़ी, बड़सरी का बास, काजड़ा, भापर, स्वामीसेही और उधमपुरा जैसी पंचायतें नए स्वरूप में सामने आईं। यहाँ परिवर्तन की मुख्य वजह तेजी से हो रहा माइग्रेशन, कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव और नए मार्गों का विकास रहा।
12. उदयपुरवाटी पंचायत समिति: बड़े भूभाग वाली पंचायतों में विभाजन उदयपुरवाटी ब्लॉक में छापोली, सोकडाला, बागोरा, जहाज, मणकसास, खोह, पचलंगी, झडाया नगर, तैजाजी नगर, नांगल, कोट, रघुनाथपुरा, धोलाखेड़ा, मैनपुरा, गढला कलां, केड, कीरपुरा, भाटीवाड़, बासबिसना, बामलास और महला की ढाणी जैसे क्षेत्रों का पुनर्गठन किया गया।
- उदयपुरवाटी क्षेत्र की कई पंचायतें भौगोलिक रूप से अत्यधिक विस्तृत थीं, जिनमें ढाणियाँ 8–10 किलोमीटर दूर तक फैली थीं। नए परिसीमन ने इन क्षेत्रों में प्रशासनिक पहुँच को आसान बनाया है।
13. अलसीसर पंचायत समिति: रेगिस्तानी और बिखरे भूभागों को मिला नया स्वरूप अलसीसर क्षेत्र में रामपुरा, मरोदा, कायमपुरा, सोनासर, पीपल का बास, हमीरी कला, नाथासर, चंदवा, बासड़ी, राहड़ो का वास सहित कई गांवों को नई पंचायत पहचान दी गई है।
- यहां मुख्य परिवर्तन उन्हीं स्थानों पर किया गया, जहां रेतीले भूभाग और दूर-दराज की ढाणियों के कारण प्रशासनिक पहुंच कठिन थी।
14. झुंझुनूं पंचायत समिति: जिला मुख्यालय के आसपास बढ़ते दबाव को मिला समाधान जिला मुख्यालय के आसपास बिशनपुरा, बिन्जुसर, हमीरवास बजावा, दोरादास, मिश्रपुरा, पातुसरी, देवीपुरा जैसे कई गांवों का पुनर्गठन हुआ।
- झुंझुनूं शहर के विस्तार, बढ़ते आवासीय क्षेत्रों और ग्रामीण इलाकों के साथ बढ़ते संपर्क को देखते हुए यह परिसीमन जरूरी हो गया था।
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