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जयपुर : राजस्थान के लाल का कमाल, पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए उर्दू में किया खाटू श्याम चालीसा का अनुवाद


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जयपुर : राजस्थान के लाल का कमाल, पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए उर्दू में किया खाटू श्याम चालीसा का अनुवाद

राजस्थान में झुंझुनूं जिले के कोलसिया गांव निवासी एक हिंदू युवक ने खाटू श्याम चालीसा का उर्दू में अनुवाद किया है। यह उर्दू चालीसा इन दिनों सोशल मीडिया में खूब शेयर किया जा रहा है।

जयपुर : राजस्थान में झुंझुनूं जिले के कोलसिया गांव निवासी एक हिंदू युवक ने खाटू श्याम चालीसा का उर्दू में अनुवाद किया है। यह उर्दू चालीसा इन दिनों सोशल मीडिया में खूब शेयर किया जा रहा है। श्याम चालीसा के उर्दू अनुवादक राजीव शर्मा ने पत्रिका डॉट कॉम से खास बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर उर्दू में पोस्ट की थी, जिस पर कमेंट करते हुए एक पाकिस्तानी हिंदू ने आग्रह किया कि हमारे लिए भी उर्दू में अनुवाद कीजिए।

पाकिस्तानी हिंदुओं को बहुत खुशी मिली:
उस पाकिस्तानी हिंदू ने कहा कि उनके यहां भी खाटू श्यामजी के कुछ मंदिर हैं, लेकिन पूजा-अर्चना के लिए किताबें आसानी से नहीं मिलतीं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में हिंदू समुदाय अपनी राष्ट्रभाषा उर्दू लिखता-बोलता है, जिसमें श्याम बाबा की पूजा से संबंधित किताबें बहुत मुश्किल से मिलती हैं। अगर ऑनलाइन ढूंढ़ते हैं तो भारतवासियों द्वारा पोस्ट की गईं किताबें हिंदी में मिल जाती हैं, जिन्हें पाकिस्तानी हिंदू पढ़ नहीं पाते।

राजीव शर्मा ने इसका समाधान निकालते हुए श्याम चालीसा और आरती का उर्दू में अनुवाद किया और उसे ऑनलाइन प्रकाशित भी किया। इससे पाकिस्तानी हिंदुओं को बहुत खुशी हुई। कई श्रद्धालुओं ने इसे डाउनलोड किया और आज वे इसके जरिए श्याम बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं। राजीव शर्मा ने बताया कि अनुवाद करने में उनकी बहुत रुचि है।

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इस्लाम के पवित्र ग्रंथ क़ुरान का भी मारवाड़ी में अनुवाद किया:
राजीव शर्मा ने सिक्ख धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीजपुजी साहिब और इस्लाम के पवित्र ग्रंथ क़ुरान का भी मारवाड़ी में अनुवाद किया है। वे इनके वचन समय-समय पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं, जिन्हें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, सऊदी अरब, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, जापान समेत दुनिया के कई देशों में पढ़ा जाता है। राजीव ने इसे ईश्वर की कृपा बताते हुए कहा कि उनके माता-पिता, भाई और बहनों ने उनका हमेशा सहयोग किया। उन्होंने अच्छे भाषाज्ञान का श्रेय अपने मौसाजी रमेश शर्मा और ताऊजी मुरारी लाल शर्मा को दिया है।

 

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