झुंझुनूं में 4साल में एक भी नवजात नहीं फेंकी गई:इस साल दूसरी बार सुरक्षित मिली बच्ची, बीडीके अस्पताल के पालनागृह में मिली नवजात
झुंझुनूं में 4साल में एक भी नवजात नहीं फेंकी गई:इस साल दूसरी बार सुरक्षित मिली बच्ची, बीडीके अस्पताल के पालनागृह में मिली नवजात
झुंझुनूं : झुंझुनूं में राजकीय बीडीके अस्पताल का पालनागृह अब जिले के लिए जीवनदायिनी केंद्र बन गया है। यहां एक बार फिर एक नवजात बालिका सुरक्षित मिली है, जिसने न केवल मानवता की उम्मीद को जिंदा रखा बल्कि यह भी साबित किया कि “फेंके नहीं, हमें दें” जैसी संवेदनशील मुहिम अब आमजन तक गहराई से पहुंच रही है।
बीडीके अस्पताल की आपातकालीन इकाई में रविवार देर रात ड्यूटी कर रहे नर्सिंग अधिकारी अनिल ढाका को अचानक पालनागृह की घंटी बजने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने साथी नर्स सीमा बेनीवाल के साथ तत्काल वहां पहुंचकर दरवाजा खोला तो सामने एक नवजात बालिका थी। दोनों ने बिना देर किए नवजात को अस्पताल की आपातकालीन इकाई में लाकर चिकित्सकीय देखभाल शुरू की।
सीएमओ डॉ. राजीव दुलड़ ने नवजात की प्रारंभिक जांच कर उसे नवजात शिशु इकाई (NICU) में भर्ती करने के निर्देश दिए। NICU प्रभारी डॉ. विजय झाझड़िया और ऑन-कॉल शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा चौधरी ने टीम बनाकर जांच की। उन्होंने बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष और पुलिस को सूचना दी ताकि नवजात के संरक्षण की आगे की प्रक्रिया शुरू हो सके।

नवजात की हालत स्थिर
वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ और पीएमओ डॉ. जितेन्द्र भाम्बू ने बताया कि नवजात बालिका की उम्र लगभग 32 से 34 सप्ताह लग रही है और वजन करीब 2.5 किलोग्राम है। नाल पूरी तरह से साफ नहीं थी और उसका रंग गहरा मटमैला था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रसव के दौरान मीकोनियम पास हुआ था। सांस लेने में तकलीफ के कारण नवजात को सी-पैप मशीन पर रखा गया है और जीवनरक्षक दवाओं के साथ हृदय सहयोगात्मक उपचार भी चल रहा है। फिलहाल बच्ची की स्थिति स्थिर है और उसकी निरंतर मॉनिटरिंग की जा रही है।
“फेंके नहीं, हमें दें” से बदल रही तस्वीर
बीडीके अस्पताल के पालनागृह में नवजातों का इस तरह सुरक्षित मिलना इस बात का संकेत है कि समाज में जागरूकता बढ़ी है। पीएमओ डॉ. भाम्बू ने बताया कि पिछले 4 वर्षों में झुंझुनूं जिले में कोई भी नवजात झाड़ियों, सड़कों या सार्वजनिक स्थलों पर नहीं छोड़ी गई। सभी मामलों में अभिभावकों ने नवजात को बीडीके अस्पताल के पालनागृह में सुरक्षित छोड़ा है।
चार साल में सभी नवजात सुरक्षित
अस्पताल प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 4 वर्षों में बीडीके अस्पताल में कुल 5 नवजात शिशु सुरक्षित रूप से पालनागृह में मिले हैं। इनमें से तीन 2024 में मिले थे, जबकि इस वर्ष फरवरी में एक और अब अक्टूबर में दूसरी बालिका मिली है। सभी नवजातों को अस्पताल की देखरेख में स्थिर करने के बाद बाल कल्याण समिति को सौंपा गया है, जहां से कई बच्चों को दत्तक ग्रहण प्रणाली के तहत नया परिवार मिला है।
हर घंटी के साथ बचती है एक जिंदगी
पालना गृह में लगे साउंड सिस्टम और मॉनिटरिंग व्यवस्था इतनी संवेदनशील है कि जैसे ही कोई नवजात अंदर छोड़ा जाता है, घंटी बजती है और आपातकालीन स्टाफ तुरंत पहुंच जाता है। नर्सिंग अधिकारी अनिल ढाका ने बताया, “जब भी घंटी बजती है, हमें पता होता है कि कोई नई जिंदगी हमारी जिम्मेदारी बन गई है।
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