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झुंझुनूं में 9 साल बाद मानसिक रोगी की जंजीरें कटीं:जाखोद गांव में सालों से था कैद, शुरू हुआ इलाज


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झुंझुनूं में 9 साल बाद मानसिक रोगी की जंजीरें कटीं:जाखोद गांव में सालों से था कैद, शुरू हुआ इलाज

झुंझुनूं में 9 साल बाद मानसिक रोगी की जंजीरें कटीं:जाखोद गांव में सालों से था कैद, शुरू हुआ इलाज

सूरजगढ़ : जिले के सूरजगढ़ उपखंड के जाखोद गांव में इंसानियत की एक मिसाल पेश की गई। नौ साल से जंजीरों में कैद ‘जोकर मेघवाल’ (बदला हुआ नाम) के जीवन में इस बार दीपावली सच्ची खुशियां लेकर आई है। ज़िले के प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत ने चिकित्सा विभाग को मौके पर भेजा, जिसके निर्देश पर टीम ने जोकर को वर्षों पुरानी जंजीरों से मुक्त कराया और उनका इलाज शुरू किया। नौ साल बाद मिली आज़ादी: “आज पहली बार लग रहा है कि जोकर सच में आज़ाद हो गया”

राजकीय भगवान दास खेतान जिला अस्पताल झुंझुनूं से मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. कपूर थालौर के निर्देशन में एक विशेष चिकित्सा टीम जाखोद गांव पहुंची। विस्तृत चिकित्सकीय जांच में पता चला कि जोकर लंबे समय से मानसिक अस्वस्थता से पीड़ित थे और देखरेख के अभाव व आर्थिक तंगी के कारण उन्हें मजबूरन जंजीरों में कैद कर रखा गया था।चिकित्सा टीम ने मौके पर ही जोकर को मानसिक रोगी के रूप में उपचाराधीन श्रेणी में दर्ज किया और उनका तत्काल इलाज शुरू किया।

ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर जोकर की जंजीरें काटीं। इसके बाद उनकी हेयर कटिंग, नहलाने और साफ-सफाई की व्यवस्था की गई। डॉक्टरों की देखरेख में उन्हें प्राथमिक चिकित्सा दी गई। ग्रामीणों की आंखों के सामने वर्षों से बंधा जोकर आखिरकार जब आज़ाद हुआ, तो कई लोगों की आंखें नम हो गईं।

विकलांग प्रमाण पत्र जारी, सरकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ

चिकित्सा टीम ने मानवीयता दिखाते हुए जोकर मेघवाल का विकलांग प्रमाण पत्र भी जारी किया है, ताकि भविष्य में उन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके। डॉक्टरों ने बताया कि जोकर को नियमित रूप से दवाएं दी जाएंगी और जिला अस्पताल में उनके फॉलोअप के लिए पंजीकरण कराया गया है। उचित इलाज से वह धीरे-धीरे सामान्य जीवन जी सकेंगे। ज़िला अस्पताल में उनकी नियमित काउंसलिंग और दवा उपचार जारी रहेगा।

जाखोद गांव में सालों से था कैद, शुरू हुआ इलाज
जाखोद गांव में सालों से था कैद, शुरू हुआ इलाज

प्रशासनिक पहल: आवास, शिक्षा और आर्थिक सुरक्षा

ग्राम पंचायत प्रशासन ने भी जोकर मेघवाल के परिवार को निशुल्क पट्टा जारी किया है। पंचायत ने परिवार को आश्वासन दिया है कि अब उन्हें आवास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का पूरा लाभ दिलाया जाएगा। वहीं, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने जोकर की दोनों बेटियों के नाम पालनहार योजना में जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत परिवार को हर माह नियमित आर्थिक सहायता मिलेगी। शिक्षा विभाग ने बच्चियों की पढ़ाई-लिखाई में किसी तरह की बाधा न आए, इसके लिए भी जिम्मेदारी ली है।

मंत्री गहलोत ने दिए निरंतर निगरानी के निर्देश

गांव के लोगों ने बताया कि जोकर मेघवाल पहले एक मेहनतकश थे, लेकिन अचानक मानसिक स्थिति बिगड़ने के बाद परिजन असमंजस में आ गए थे। इलाज की सुविधा न मिल पाने और आर्थिक तंगी के कारण परिवार ने उन्हें घर में ही जंजीरों से बांध दिया था। यह स्थिति करीब नौ साल तक बनी रही।

प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि, “ऐसी स्थिति किसी व्यक्ति के साथ नहीं होनी चाहिए। सरकार हर जरूरतमंद तक इलाज और राहत पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने चिकित्सा विभाग और ज़िला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि जोकर मेघवाल के इलाज और पुनर्वास की निरंतर निगरानी की जाए।

दीवाली से पहले घर में खुशी का माहौल

गांव के बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर जोकर के घर की सफाई की और दीपावली से पहले पूरे परिवार के लिए नए कपड़ों और भोजन की व्यवस्था की।

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