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सिंघानिया विश्वविद्यालय में संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन


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सिंघानिया विश्वविद्यालय में संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन

सिंघानिया विश्वविद्यालय में संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन

पचेरी कलां : सिंघानिया विश्वविद्यालय एवं संस्कृत भारती के संयुक्त तत्वावधान में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर “महर्षि वाल्मीकि रचित रामायणस्य आधुनिक परिप्रेक्ष्य उपादेयता” विषय पर एक दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय सभागार में हुआ।

कैंपस डायरेक्टर प्रो. पी.एस. जस्सल ने स्वागत भाषण में संस्कृत मूल्यों और नैतिक उत्थान पर बल दिया। मुख्य अतिथि अशोक सिंह शेखावत (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने कहा कि वाल्मीकि रामायण आज भी जीवन मूल्यों का शाश्वत मार्गदर्शन देती है। मुख्य वक्ता कमल जी ने संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए संस्कृत संभाषण को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।

विशिष्ट अतिथि हिमांशु सिंह सैनी (जिला जनसंपर्क अधिकारी) ने कहा कि रामायण जीवन की हर समस्या का समाधान प्रस्तुत करती है। कैलाश चतुर्वेदी (पूर्व संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी) और गणेश नारायण डूगलच ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ. सुमित शर्मा (संस्कृत विभागाध्यक्ष) ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूरे स्टाफ के साथ-साथ नन्द किशोरी शर्मा, कृष्णानंद, विजय सिंह शेखावत (वरिष्ठ अध्यापक, बख्तावरपुरा), सुरेंद्र शर्मा (प्रधानाध्यापक, संस्कृत विद्यालय बख्तावरपुरा), विमल जी (विभाग संगठन मंत्री), रिद्धू सिंह जी, राकेश शर्मा (प्रधानाध्यापक, मेहरमपुर वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय), रवि दत्त शर्मा (प्रधानाध्यापक, वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय दलोता), तथा अभिमन्यु शर्मा (प्रमुख ज्योतिषाचार्य) सहित विश्वविद्यालय स्टाफ के साथ अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। संगोष्ठी का समापन मंगलाचरण एवं धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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