झुंझुनूं में 477अपात्र अभी भी खा रहे गरीबों का हक:विद्या विहार नगरपालिका ने टारगेट पूरा किया, सिंघाना सबसे पीछे
झुंझुनूं में 477अपात्र अभी भी खा रहे गरीबों का हक:विद्या विहार नगरपालिका ने टारगेट पूरा किया, सिंघाना सबसे पीछे

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) से जुड़े गिव अप अभियान में अब तक 5,314 अपात्र लाभार्थियों का आवेदन विभाग के पास पहुंच चुका है। लेकिन प्रशासन ने इनमें से 4,837 आवेदकों के नाम ही हटाये है। यानि 477 अपात्र लाभार्थियों के नाम अब तक सूची में जस के तस बने हुए हैं, जिसके कारण वे अभी भी सरकारी गेहूं और अन्य खाद्य सामग्री का लाभ उठा रहे है। इसको लेकर जिला रसद विभाग की उदासीनता झलक रही है।
अंतिम तिथि नजदीक, फिर भी धीमी गति गिव अप अभियान की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर तय की गई है। बावजूद इसके, प्रशासन ने अब तक सभी मामलों को निपटाने में गंभीरता नहीं दिखाई है। विभागीय सुस्ती का आलम यह है कि आवेदन मिलने के बावजूद लाभार्थियों के नाम हटाने की कार्रवाई लंबित है। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर समय रहते सभी एप्लिकेशन निपटाई नहीं गईं तो गरीबों का हक किसके जिम्मे छूटेगा।
विद्या विहार नगर पालिका ने किया बेहतर काम जिले की विद्या विहार नगर पालिका ने हालांकि सराहनीय प्रदर्शन करते हुए सभी अपात्र लाभार्थियों के नाम नेगेटिव कर 100 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया है। यह साबित करता है कि अगर प्रशासन गंभीरता से काम करे तो निर्धारित समय सीमा में लक्ष्य हासिल करना संभव है। लेकिन जिले के अन्य हिस्सों में लापरवाही साफ झलक रही है।
सिंघाना में सबसे कम प्रगति सिंघाना पंचायत समिति की स्थिति सबसे चिंताजनक है। यहां मात्र 70.37 प्रतिशत नाम ही नेगेटिव किए जा सके है। बाकी अपात्र लोग अभी भी सूची में बने हुए हैं और सरकारी अनाज का लाभ उठा रहे है। यह प्रशासनिक ढिलाई ही है कि अंतिम तिथि नजदीक आने के बावजूद कार्रवाई अधूरी है।
DSO बोली- सभी अपात्रों के नाम हटा दिए जाएंगे जिला रसद अधिकारी डॉ. निकिता राठौड़ का कहना है कि गिव अप अभियान में नाम लगातार हटाए जा रहे है और अंतिम तिथि तक सभी अपात्र लाभार्थियों के नाम हटा दिए जाएंगे।
गरीबों का हक छिन रहा प्रशासन की इस धीमी कार्यवाही का सीधा असर गरीब परिवारों पर पड़ रहा है। अपात्र लोग अभी भी सरकारी गेहूं उठा रहे है और वास्तविक पात्र परिवारों को उतनी राहत नहीं मिल पा रही है, जितनी मिलनी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार यह शिकायत सामने आई है कि समृद्ध परिवारों ने नाम हटवाने की बजाय देरी का सहारा लिया, जिससे वे अनाज का लाभ लगातार उठा रहे है।