मुख्यमंत्री आवास योजना खेतड़ी की हकीकत: अधूरे फ्लैट, न बिजली-पानी, न हक के कागज – गरीबों का सपना बना सिरदर्द
खेतड़ी नगरपालिका की उदासीनता के चलते 22 करोड़ 76 लाख का प्रोजेक्ट हुआ धराशाही, 8 साल से अधूरी योजना, घटिया निर्माण से परेशान लोग, कई परिवार मजबूरी में लौटे पुराने घर

जनमानस शेखावाटी सवंददाता : विजेंद्र शर्मा
खेतड़ी : खेतड़ी में गरीबों को पक्के घर देने के सपने के साथ शुरू की गई मुख्यमंत्री जन आवास योजना अब लापरवाही, भ्रष्टाचार और व्यवस्थागत बेइमानी की सबसे काली मिसाल बन गई है। 23 जुलाई 2017 को शिलान्यास हुई इस योजना के तहत 22 करोड़ 76 लाख रुपये की लागत से 40 ब्लॉकों में कुल 640 फ्लैट बनाए जाने थे। टेंडर के अनुसार निर्माण कार्य 27 नवंबर 2020 तक पूरा होना तय था। लेकिन 8 साल बीतने के बाद भी योजना अधूरी है, और यह अधूरापन सिर्फ ईंट-पत्थर तक सीमित नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता और जवाबदेही तक फैला हुआ है।अब तक महज़ 193 फ्लैटों का आवंटन हो पाया है, जिनमें भी बिजली, पानी और लीज डीड जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। जिन गरीब परिवारों ने अपनी जीवनभर की पूंजी लगाकर ये फ्लैट लिए, वे आज या तो अधूरे मकानों में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं या फिर लौट चुके हैं अपने पुराने टूटे-फूटे घरों में।योजना के तहत बनाए गए फ्लैटों की हालत खुद गवाही दे रही है कि निर्माण कार्य में न गुणवत्ता का ख्याल रखा गया और न ही निरीक्षण की जिम्मेदारी निभाई गई। उखड़ती टाइल्स, टूटी पाइपलाइन, घटिया ईंटें और अधूरी रेलिंगें देखकर साफ है कि ठेकेदार ने निर्माण को सिर्फ खानापूर्ति समझा। लेकिन क्या यह सब सिर्फ ठेकेदार की लापरवाही थी? स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह ठेकेदार और नगर पालिका की मिलीभगत से अंजाम दिया गया सुनियोजित घोटाला है। शिकायतें दी गईं, मगर नगर पालिका ने हर बार यह कहकर पल्ला झाड़ा कि कोई लिखित शिकायत नहीं मिली।
जब आठ साल बाद भी न फ्लैट पूरे हुए, न सुविधा मिली, न हक के कागज़, तो यह योजना अब सिर्फ़ गरीबों के साथ किया गया एक क्रूर मज़ाक और करोड़ों के भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गई है।
बिना पानी के नारकीय जीवन, महिलाएं-बच्चे एक-एक किलोमीटर से ढो रहे मटकों में पानी
मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत खेतड़ी में बने फ्लैटों में आज भी पानी की सप्लाई नहीं है। राजेश देवी और संतोष देवी जैसी रहवासी महिलाओं ने बताया कि कॉलोनी में अब तक पानी का कोई कनेक्शन नहीं दिया गया। हालत यह है कि लोगों को एक-एक किलोमीटर दूर से मटकों में पानी भरकर लाना पड़ रहा है। अमीर परिवार टैंकर मंगवा लेते हैं, लेकिन गरीब तबके के लिए यह व्यवस्था मुमकिन नहीं है। महिलाएं और बच्चे सुबह-शाम सिर्फ पानी ढोने में ही लगे रहते हैं।
रहवासियों का कहना है कि मटकों में पानी लाने की थकावट के चलते रोजमर्रा के जरूरी काम तक समय पर नहीं हो पा रहे। सबसे ज्यादा मार बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रही है – स्कूल जाने से पहले और आने के बाद, विद्यार्थियों को भी पानी ढोने में लगना पड़ता है। गर्मियों में यह परेशानी और भी बढ़ गई है।
सबसे गंभीर सवाल यह है कि जब कॉलोनी में अभी तक पानी की लाइन ही नहीं डाली गई, तो फिर नगर पालिका और प्रशासन ने इन फ्लैटों का आवंटन आखिर किस आधार पर कर दिया?
अंधेरे में जिंदगी: न स्थाई बिजली कनेक्शन, न राहत – ठेकेदार से 14 रुपये यूनिट में खरीदनी पड़ रही महंगी बिजली
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत खेतड़ी में बने फ्लैटों में रह रहे गरीब परिवारों को अब तक बिजली का स्थाई कनेक्शन नहीं मिल पाया है। नगर पालिका की लापरवाही का आलम यह है कि जिन घरों में लोग वर्षों से रह रहे हैं, वहां अभी तक स्थाई बिजली लाइन नहीं डाली गई।
रहवासी खुद भी बिजली कनेक्शन लेने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि फ्लैटों के कानूनी स्वामित्व के दस्तावेज भी अधूरे हैं। ऐसे में लोग मजबूरी में ठेकेदार के अस्थाई कनेक्शन से बिजली लेने को मजबूर हैं। लेकिन राहत की बजाय यह व्यवस्था लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है। ठेकेदार हर यूनिट बिजली के लिए 14 रुपये तक वसूल रहा है।इसमें भी देरी से बिल देने पर कनेक्शन काट दिए जाते हैं, जिससे लोग अचानक अंधेरे में जीने को मजबूर हो जाते हैं। गर्मी के दिनों में तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों का स्वास्थ्य और दैनिक जरूरतें सभी कुछ प्रभावित हो रहे हैं।सवाल यह उठता है कि जब सरकार की योजना थी गरीबों को सम्मानजनक और बुनियादी सुविधाओं से युक्त मकान देने की, तो फिर बिजली जैसी मूलभूत सुविधा की व्यवस्था नगर पालिका ने अब तक क्यों नहीं की? क्या यह लापरवाही है या गरीबों के साथ सीधा अन्याय?
साल तक बिजली कनेक्शन की फाइल दबाए बैठी रही नगर पालिका
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के अंतर्गत बने फ्लैटों में बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया जिस लापरवाही से की गई, वह प्रशासनिक उदासीनता की सबसे बड़ी मिसाल है। नियमों के मुताबिक फ्लैट आवंटन से पहले ही बिजली कनेक्शन की फाइल बिजली विभाग में जमा होनी चाहिए थी, लेकिन खेतड़ी नगर पालिका इस ज़िम्मेदारी से सात साल तक आँख मूंदे बैठी रही।आखिरकार 27 जून 2024 को, यानी उद्घाटन के सात साल बाद, बिजली विभाग में कनेक्शन की फाइल भेजी गई। लेकिन अब तक न तो मीटर लगे हैं और न ही केबल डाली गई है। इससे साफ है कि नगर पालिका ने जानबूझकर समय पर प्रक्रिया नहीं अपनाई, जिससे आमजन को भारी परेशानी झेलनी पड़ी।रहवासियों का सवाल है — जब यह फाइल पहले दिन ही लगनी थी, तो अब जाकर क्यों भेजी गई? अगर समय रहते बिजली कनेक्शन की प्रक्रिया पूरी कर दी जाती, तो लोगों को ठेकेदार से महंगी बिजली खरीदने की मजबूरी नहीं झेलनी पड़ती
8 साल तक अटका कर रखी पानी की फाइल, रहवासियों को झेलनी पड़ी भारी परेशानी
खेतड़ी में मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत बनाए गए फ्लैटों में जल सुविधा को लेकर भी नगर पालिका की घोर लापरवाही सामने आई है। जिस पानी की सप्लाई के लिए शिलान्यास के साथ ही जरूरी फाइलें भेजी जानी चाहिए थीं, वही प्रक्रिया आठ साल तक टाल दी गई। आखिरकार 9 जुलाई 2025 को जलदाय विभाग में फाइल भेजी गई – वो भी तब, जब लोग पानी के लिए दर-दर भटकने लगे।
रहवासियों का कहना है कि यदि योजना की शुरुआत में ही पाइपलाइन और टंकियों की समुचित व्यवस्था कर दी जाती, तो आज यह हालात नहीं होते। कॉलोनी में रहने वाले लोगों को एक-एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। गर्मियों में यह संकट और भी गहरा हो गया है।
नगर पालिका की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि 2021 से जलदाय विभाग से बातचीत चल रही थी, लेकिन सवाल उठता है – अगर बात चल रही थी, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई? और फाइल आठ साल बाद ही क्यों भेजी गई? ये सारे सवाल सीधे तौर पर पालिका की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।
घटिया निर्माण पर फूटा लोगों का गुस्सा, नगर पालिका और ठेकेदार की मिलीभगत के आरोप
खेतड़ी की मुख्यमंत्री जन आवास योजना में निर्माण की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। रहवासी वेदप्रकाश और संजय सिंह ने बताया कि फ्लैटों के निर्माण में बेहद घटिया गुणवत्ता की ईंटें, ब्लॉक और टाइल्स का उपयोग किया गया है। स्थिति यह है कि कई स्थानों पर टाइल्स उखड़ चुकी हैं, पाइपलाइन फटी हुई है और बच्चों के खेलने की जगह पर सुरक्षा रेलिंग अधूरी पड़ी है। यह सब तब है, जब योजना गरीब परिवारों को बेहतर आवास देने के उद्देश्य से चलाई गई थी।रहवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर पालिका को शिकायतें दीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हैरानी की बात तो यह है कि नगर पालिका अब यह कहकर पल्ला झाड़ रही है कि उन्हें इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली। स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि ठेकेदार और नगर पालिका के अधिकारियों की मिलीभगत से घटिया निर्माण कार्य को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है।लोगों की मांग है कि तत्काल निर्माण सामग्री की गुणवत्ता की जांच करवाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो सके
अधूरे 193 फ्लैटों ने बढ़ाई चिंता, सुरक्षा के बिना रहना पड़ रहा खतरे के बीच
खेतड़ी की मुख्यमंत्री जन आवास योजना के अंतर्गत जिन 193 फ्लैटों का आवंटन किया गया है, उनमें से अधिकांश का निर्माण आज तक अधूरा है। कई फ्लैटों में सीढ़ियों पर रेलिंग नहीं लगी है, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। पानी की पाइपलाइन अधूरी पड़ी है, टंकियों की व्यवस्था नहीं है, और बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।
रहवासी सवाल उठा रहे हैं कि जब ये फ्लैट पूरी तरह तैयार ही नहीं थे, तो फिर जल्दबाजी में इनका आवंटन क्यों कर दिया गया? बिना सुरक्षा इंतजाम और सुविधाओं के लोगों को इनमें बसाना एक बड़ा जोखिम है। अगर कोई दुर्घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
वहीं, जब इन सवालों पर नगर पालिका से जवाब मांगा गया, तो अधिकारियों ने कह दिया कि अभी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है – और इसी बहाने से वे अपनी जवाबदेही से बचने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन लोगों का कहना है कि यदि निर्माण अधूरा था, तो फिर फ्लैटों की चाबियां किस आधार पर सौंपी गईं?रहवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही अधूरे कार्य पूरे नहीं किए गए और जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
40 ब्लॉकों में बनने थे 640 फ्लैट, 8 साल बाद भी अधूरे ख्वाब
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत खेतड़ी में 40 ब्लॉकों में कुल 640 फ्लैट बनाने का लक्ष्य रखा गया था। योजना की शुरुआत 2017 में हुई थी और ठेकेदार को 2020 तक कार्य पूरा करने की शर्तों के साथ ठेका दिया गया था। लेकिन 8 साल बाद भी अब तक केवल 354 फ्लैट ही बन पाए हैं, बाकी करीब 286 फ्लैटों का निर्माण अधूरा है।सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि पिछले लगभग एक वर्ष से निर्माण कार्य पूरी तरह ठप पड़ा है। कभी-कभी नाम मात्र का काम होता है, वह भी सिर्फ दिखावे के लिए। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि यदि ठेकेदार समय पर कार्य नहीं कर पाया, तो नगर पालिका ने अब तक उसके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की? ठेकेदार पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया गया?
लोगों का कहना है कि जिस योजना से गरीबों को छत मिलने की उम्मीद थी, वह अब खुद एक सवाल बन गई है। आधा अधूरा पड़ा निर्माण, बंद पड़ा कार्य और जिम्मेदारों की चुप्पी – ये सभी सवालों के घेरे में हैं। आखिर यह काम कब तक ऐसे ही लटका रहेगा और इसकी जवाबदेही कौन तय करेगा?
446 आवेदन निरस्त, फंसा हुआ पैसा बना पीड़ा
मुख्यमंत्री आवास योजना में खेतड़ी नगर पालिका द्वारा 446 आवेदन विभिन्न खामियों के आधार पर निरस्त कर दिए गए। इनमें से कई लोगों ने बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं न होने के कारण खुद ही आवेदन वापस ले लिए, लेकिन उन्होंने जो पैसा जमा कराया था, वह आज तक लौटाया नहीं गया। नगर पालिका का कहना है कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद राशि लौटाई जाएगी, लेकिन सवाल यह है कि यह प्रोजेक्ट कब पूरा होगा? लोग वर्षों से चक्कर काट रहे हैं, परंतु नगर पालिका के पास इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
किसको कितने में मिला फ्लैट, 180 परिवारों ने पूरी रकम चुकाई फिर भी सुविधाएं अधूरी
मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के फ्लैट लगभग 3.90 लाख रुपये और एलआईजी फ्लैट करीब 6 लाख रुपये में आवंटित किए गए। रहवासियों का कहना है कि इनमें से 180 परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने पूरी राशि समय पर जमा कर दी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल पाई हैं। न बिजली का स्थायी कनेक्शन है, न पानी की उचित व्यवस्था, और न ही निर्माण पूरी तरह से सुरक्षित या पूर्ण है। सवाल उठ रहा है कि जब रकम पूरी वसूल ली गई, तो सुविधाएं अधूरी क्यों हैं?
लीज डीड की रकम जमा करने के बाद भी नहीं मिल रहा हक
मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्होंने लीज डीड के लिए एक बीएचके फ्लैट के लिए दस हजार रुपये और दो बीएचके के लिए सोलह हजार रुपये नगर पालिका में जमा करवा दिए हैं। इसके बावजूद आज तक उन्हें लीज डीड जारी नहीं की गई। लोग वर्षों से नगर पालिका के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं। न तो कोई लिखित अधिकार पत्र मिला और न ही प्रक्रिया पूरी की जा रही है। राजेश देवी ने बताया कि उन्होंने लीज डीड की पूरी राशि जमा कर दी है, लेकिन नगर पालिका में बार-बार जाने के बावजूद भी उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। कर्मचारियों का व्यवहार भी ठीक नहीं है, कई बार बदसलूकी तक की जाती है। ऐसे में रहवासी अपने हक के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
खेतड़ी कस्बे में जंगली जानवरों का खतरा, कॉलोनी की आधी दीवारें ही बनी
मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बनी कॉलोनी में रहने वाले लोग इन दिनों जंगली जानवरों के खतरे से डरे हुए हैं। कॉलोनी पहाड़ी इलाके में स्थित है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर नगर पालिका ने सिर्फ दो ओर ही दीवार बनाई है। बाकी दो दिशाओं में कोई भी बाउंड्री वॉल नहीं है। वहीं, पहाड़ी के किनारे भी कोई सुरक्षा दीवार नहीं बनाई गई, जिससे पहाड़ खिसकने या पत्थर गिरने जैसी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। लोग कह रहे हैं कि एक तरफ अधूरे मकान, दूसरी तरफ असुरक्षित लोकेशन – ऐसे में जान-माल दोनों खतरे में हैं, लेकिन नगर पालिका को इसकी कोई फिक्र नहीं है।
बिजली कटौती और गंदगी से छात्राओं की पढ़ाई पर असर, रीतिमा ने बताया हाल
मुख्यमंत्री आवास योजना में रह रही छात्रा रीतिमा ने बताया कि कॉलोनी में ठेकेदार द्वारा अस्थायी रूप से बिजली का कनेक्शन लिया गया है, जिसके चलते उन्हें ₹14 प्रति यूनिट की दर से बिजली भरनी पड़ रही है। लेकिन जब ठेकेदार ने समय पर बिल जमा नहीं कराया, तो पंद्रह दिन तक बिजली सप्लाई पूरी तरह से ठप रही। रीतिमा के अनुसार, इसी दौरान उसकी बोर्ड परीक्षा की तैयारी बाधित हुई और नंबर कम आने का उसे मलाल है। वहीं कॉलोनी में गंदगी और मच्छरों का प्रकोप भी गंभीर बना हुआ है। रीतिमा ने बताया कि वह मलेरिया जैसी बीमारी से भी पीड़ित हुई। रहवासियों का कहना है कि नगर पालिका न सफाई पर ध्यान दे रही है, न बिजली की स्थायी व्यवस्था पर – नतीजतन लोगों की सेहत और बच्चों की पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रही हैं।
बिजली और पानी को लेकर नगर पालिका के खिलाफ लोगों का फूटा गुस्सा, प्रदर्शन कर जताया विरोध
मुख्यमंत्री आवास योजना की बदहाल स्थिति से त्रस्त होकर रहवासियों ने सोमवार को नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। लोगों का कहना था कि कॉलोनी में बिजली और पानी की व्यवस्था ठप है, वहीं घटिया निर्माण ने उनकी परेशानियां और बढ़ा दी हैं। बार-बार शिकायतों के बावजूद नगर पालिका उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही, जिससे लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। प्रदर्शन के दौरान नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग उठी। प्रदर्शन में वेद प्रकाश, संजय सिंह, निशा कंवर, संतोष देवी, रिद्धिमा कंवर, राजेश देवी, रितिमा कुमावत, राजू सैनी, अनीशा कंवर, माया देवी, युवराज सिंह, करण सिंह, राजेंद्र सिंह, शिवपाल गुर्जर, राम सिंह, अनिल, धर्मपाल, महेंद्र सिंह, ओम सिंह, सुमित्रा देवी, गोकुल, राजेंद्र, सांवरमल गुर्जर, निर्मला देवी सहित बड़ी संख्या में रहवासी शामिल रहे।
इनका कहना है
पेयजल व्यवस्था की जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी की है, मुख्यमंत्री आवास योजना में रह रहे परिवारों के लिए पानी की आपूर्ति की जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी की होती है। कॉलोनी में पेयजल की व्यवस्था संबंधित संस्था अपने स्तर पर करती है। – दौलत राम वर्मा, सहायक अभियंता, पीएचईडी विभाग
नगर पालिका द्वारा मुख्यमंत्री आवासीय कॉलोनी में अपने स्तर पर ट्रांसफार्मर स्थापित किया गया है। कॉलोनी में बिजली से संबंधित सभी सामग्री उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी नगर पालिका की थी, जिसे नगर पालिका ने ही पूरा किया है। अब तक नगर पालिका द्वारा इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की अनुमति एवं इंस्टॉलेशन इंस्पेक्शन रिपोर्ट विभाग को नहीं दी गई है। जैसे ही यह रिपोर्ट प्राप्त होगी, उसके तीन दिन बाद विभाग की ओर से कॉलोनी में विद्युत कनेक्शन जारी कर दिया जाएगा। विभाग की ओर से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। – बृजपाल, सहायक अभियंता, खेतड़ी